कई बार बहुत मेहनत करने पर भी हमें अच्छा नतीजा नहीं मिलता है. सबकुछ ठीक चलते-चलते अचानक खराब होने लगता है. ऐसा दरअसल हमारी कुंडली में बदल रही ग्रहों की स्थिति के कारण होता है. जब हमारी कुंडली में ग्रह अपनी दिशा और दशा बदलते हैं तो इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है.
ज्योतिषी शैलेंद्र पांडेय के अनुसार,कुंडली में ग्रहों की विशेष स्थितियों या संयोग से योगों का निर्माण होता है. ये योग शुभ भी होते हैं और अशुभ भी. अशुभ योग जीवन में समस्याएं पैदा करते हैं. इनसे संबंधित ग्रहों की दशा आने पर ये समस्याएं काफी बढ़ जाती हैं.
इनके लिये मन्त्रजप, साधना और जीवनचर्या में बदलाव करने से लाभ होता है. आगे ज्योतिषी शैलेंद्र ने इन अशुभ योगों के बारे में विस्तार से बताया है.
1. पहला योग - केमद्रुम योग
अगर आपकी कुंडली में चन्द्रमा के दोनों तरफ कोई ग्रह नहीं है तो यह योग बन जाता है. यानी चन्द्रमा कुंडली में अकेला बैठा हो तो केमद्रुम योग बन जाता है. ऐसी दशा में व्यक्ति को मानसिक रोग या मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है. कभी कभी एपीलेप्सी जैसी समस्या भी हो जाती है. यह योग कभी-कभी घोर दरिद्रता भी देता है.
उपाय:
2. दूसरा योग - विष योग
शनि और चन्द्र का सम्बन्ध हो तो कुंडली में विष योग बनता है. चन्द्रमा बहुत जल्दी नकारात्मकता ग्रहण करता है . शनि उस नकारात्मक प्रभाव को स्थाई और मजबूत कर देता है. ऐसे में व्यक्ति को नशे की खूब आदत हो सकती है. व्यक्ति की वाणी कर्कश और स्वभाव रूखा होता है.
व्यक्ति को जीवन में अक्सर अकेले रहना पड़ता है. व्यक्ति को विचित्र तरह की रहस्यमयी बीमारियां हो जाती हैं.
उपाय:
3. तीसरा योग - गुरु चांडाल योग
अगर कुंडली में राहु बृहस्पति एक साथ हों तो यह योग बन जाता है. हालांकि ज्यादातर यह योग बिल्कुल नहीं बनता है. कुंडली में कहीं भी यह योग बनता है तो हमेश नुकसान ही करता है. यह व्यक्ति के शुभ गुणों को घटा देता है , और नकारात्मक गुण बढ़ा देता है.
अक्सर यह योग होने से व्यक्ति का चरित्र कमजोर होता है. इस योग के होने से व्यक्ति को पाचन तंत्र, लीवर की समस्या और गंभीर रोग होने की सम्भावना बनती है. कभी-कभी यह कैंसर का कारण भी बन जाता है. साथ ही व्यक्ति धर्मभ्रष्ट हो जाता है, अपयश का सामना करना पड़ता है.
अगर किसी महिला की कुंडली में यह योग हो तो वैवाहिक जीवन नरक बन जाता है.
उपाय
चौथा योग - कालसर्प योग
वैसे तो ज्योतिष के मुख्य विद्वानों में से किसी ने भी "कालसर्प योग" का उल्लेख नहीं किया है. हालांकि सर्प शाप और सर्प की बात कही गयी है. कालसर्प योग कुंडली के रहस्यों को बता सकता है , कुछ भला बुरा नहीं करता.
इसमें राहु का प्रभाव महत्वपूर्ण हो सकता है , कालसर्प का नहीं. राहु केतु का प्रभाव छाया की तरह होता है , वास्तविकता की तरह नहीं. इसीलिए इस योग से छाया की तरह के परिणाम उत्त्पन्न होते हैं. अगर कोई उपाय करना है तो राहु का करें, कालसर्प योग का नहीं.