Surya Grahan: सूर्य ग्रहण किन राशियों के लिए शुभ और किसके लिए अशुभ? इसके प्रभाव से कैसे बचें...क्या है इससे जुड़ी कहानी, जानिए

साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर 2022 को लगेगा. सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है. ग्रहण को अशुभ घटनाओं में गिना जाता है.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:32 AM IST
  • 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है
  • 1300 वर्षों बाद ऐसा योग

आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण है. हर साल दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है लेकिन इस बार ग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा एक दिन बाद यानी 26 अक्टूबर को होगी. दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच सूर्य ग्रहण का ऐसा संयोग कई वर्षो बाद पड़ रहा है. पिछले 1300 वर्षों बाद सूर्य ग्रहण दो प्रमुख त्योहारों के बीच पड़ने के साथ बुध, गुरु, शुक्र और शनि सभी अपनी-अपनी राशि में मौजूद रहेंगे. सूर्य ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है.

भारत में सूर्य ग्रहण दिल्ली, राजस्थान,पश्चिमी मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब,उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू, श्रीनगर, लेह और लद्दाख में दिखाई देगा जबकि दक्षिण भारत के हिस्से जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, मुंबई, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और बंगाल जैसे हिस्सों में कुछ समय के लिए दिखाई देगा.वहीं देश के पूर्वी भाग जैसे असम,अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड में ग्रहण नहीं दिखाई देगा.

सूर्य ग्रहण क्यों होता है?
सूर्य ग्रहण के कई सारे कारण हैं. विज्ञान की दृष्टि से देखें तो पृथ्वी चंद्रमा के साथ सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इस दौरान जब चंद्रमा परिक्रमा करते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में होते हैं, तब चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और जहां-जहां चंद्रमा की छाया पड़ती है, वहां सूर्य नहीं दिखता है. इस स्थिति को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं. 

जबकि धर्म के नजरिए से ग्रहण की कथा राहु और केतु से जुड़ी है. कथा है कि जब देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र को मथा तो उसमें से अमृत निकला. विष्णु जी मोहिनी अवतार लेकर देवताओं को अमृत पान करा रहे थे. एक असुर राहु देवताओं का वेष बनाकर देवताओं के बीच बैठ गया और उसने अमृत पी लिया. सूर्य और चंद्र ने राहु को पहचान लिया और उन्होंने विष्णु जी को ये बात बता दी. विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन चूंकि राहु ने अमृत पी लिया था, इस वजह से वो मरा नहीं. राहु के दो हिस्से हो गए. एक हिस्से को राहु और दूसरे हिस्से को केतु कहा जाता है. क्योंकि राहु की शिकायत सूर्य और चंद्र ने की थी, इस कारण वह इन दोनों को दुश्मन मानता है और समय-समय पर इन दोनों ग्रहों को ग्रसता है, जिसे ग्रहण कहा जाता है.


इस ग्रहण का अलग-अलग राशियों पर क्या प्रभाव रहेगा. आइए आपको बताते हैं.

मेष राशि
मेष राशि वालों को व्यापार और वैवाहिक जीवन का ध्यान देना चाहिए.
 
वृष राशि
वृष राशि वालों को सफलता मिलेगी, रुके हुए काम पूरे होंगे.
 
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों को संतान पक्ष और स्वास्थ्य का ध्यान देना चाहिए
 
कर्क राशि
कर्क राशि के स्थान परिवर्तन और माता को समस्या के योग हैं.
 
सिंह राशि
सिंह राशि वालों को हर प्रकार की सफलता मिलेगी, रुके काम पूरे होंगे.
 
कन्या राशि
कन्या राशि वालों को धन की समस्या और चोट से बचना चाहिए.
 
तुला राशि
तुला राशि वालों को पारिवारिक जीवन और दुर्घटनाओं का ध्यान रखना चाहिए.
 
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों को करियर और रिश्तों का ध्यान रखना चाहिए.

धनु राशि
धनु राशि वालों को मनचाही सफलता मिलेगी, शत्रु परास्त होंगे .
  
मकर राशि
मकर राशि वालों को करियर में बड़ी सफलता मिलेगी.
 
कुंभ राशि
कुम्भ राशि वालों को स्वास्थ्य और धन का ध्यान रखना चाहिए.

मीन राशि
मीन राशि वालों को वैवाहिक जीवन और दुर्घटनाओं का ध्यान रखना चाहिए.

 

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