शनि देव (Shani Dev) अर्थ, धर्म, कर्म और न्याय के प्रतीक हैं. शनि ही धन-संपत्ति, वैभव और मोक्ष देने वाले हैं. आपके सुख से, आपकी नौकरी और रोजगार से शनि का संबंध होता है. जो व्यक्ति शनि देव को प्रसन्न कर लेता है, उसके सभी काम बन जाते हैं और वहीं शनि देव की नाराजगी बनते कामों को बिगाड़ सकती है. आइए जानते हैं कब शनि का हानिकारक योग बनता है और न्याय के देवता को प्रसन्न करने के महाउपाय क्या हैं?
कब बनता है शनि का हानिकारक योग
शनि देव को न्याय का अधिपति भी कहा जाता है. शनि को अनुशासन और कठोरता का ग्रह माना जाता है. शनि ग्रह कानून, नौकरी, तकनीक और संघर्ष से संबंध रखते हैं. आज हम आपको शनि के तीन खतरनाक योग के बारें में बताने जा रहे हैं. कहते हैं कि कोई भी जातक इन योगों को अपनी राशि में नहीं देखना चाहता.
1. नंदी योग: शनि और राहु के योग से नंदी योग बनता है. शनि और राहु का योग होने से जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है. व्यक्ति को आर्थिक और पारिवरिक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. आम तौर पर गोपनीय तरह की बीमारी होती है, जो ठीक तरह से पकड़ में नहीं आती, व्यक्ति घुलता जाता है. इस योग के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. भूलकर भी काले रंग के वस्त्रों का नियमित प्रयोग न करें. शनिवार शाम को पीपल के नीचे सरसों के तेल के चार दीपक जलाएं. नित्य प्रातः जल में गोमूत्र डालकर स्नान करें. शनिवार को सरसों के तेल का दान करें.
2. दुर्ता योग: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि और राहु की युति से दुर्ता योग बनता है. राहु का स्वभाव शनि के समान बताया गया है. राहु एक क्रूर ग्रह के रूप में भी जाना जाता है. राहु जब नीच का होता है तो भयंकर रोग भी देता है.
3. विष योग: ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा और शनि की युति से बनने वाले योग को विष योग कहते हैं. चंद्रमा मन का कारक होता है और शनि शरीर के अलग-अलग भागों में दर्द का कारक माना गया है. शनि और चंद्र मारक होकर जिस घर में युति बनाएंगे, उस घर से संबंधित रोग देते हैं. विष योग के होने पर व्यक्ति को नशे की जैसे शराब और नशीली दवाओं की आदत हो जाती है. व्यक्ति कभी-कभी अपराधिक संगति में पड़ जाता है और अपराध करता है. यदि दशा खराब आए तो व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होकर आत्महत्या तक करने के बारे में सोचने लगता है.
शनि और चंद्र के बीज मंत्र का करें जाप
विष योग से बचने के लिए शनि और चंद्र के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए. सोमवार का उपवास रखें. इस दिन केवल दूध और जल का सेवन करें. नित्य प्रातः 108 बार ॐ जूं सः माम पालय पालय का जाप करें. शनिवार को अस्पताल में दवाइयों का दान करें. सोमवार को शिव जी को गन्ने का रस अर्पित करें. एक और विष योग का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और शनि की युति होती है.
ज्योतिष में इस योग को अशुभ माना जाता है. आइए जानते हैं क्या होता है सूर्य और शनि वाले विष योग का प्रभाव. यदि कुंडली में यह योग हो तो व्यक्ति को अपार संघर्ष करने के बावजूद बहुत कम सफलता मिलती है. व्यक्ति को पिता का सुख नहीं मिलता या व्यक्ति के पिता के साथ संबंध बहुत खराब होते हैं. व्यक्ति को हड्डियों या स्नायु तंत्र की गंभीर समस्या होती है, जो लंबे समय तक परेशान करती है.
कब शनि के कारण होती है धन हानि
यदि शनि कुंडली के अशुभ भावों में हो, शनि नीच राशी में हो या सूर्य के साथ हो तो धन हानि होती है. यदि कुंडली में प्रतिकूल शनि हो और शनि की साढ़े साती या ढैया चल रही हो, यदि बिना सही निर्णय के आपने नीलम धारण कर लिया हो, यदि व्यक्ति का आचरण शुद्ध न हो, बुजुर्गों का अनादर करता हो तो धन हानि होती है. मनुष्य के जीवन में कर्म बहुत महत्व रखते है, जैसा कर्म, वैसा जीवन होता है. शनिदेव के दंश से बचने के लिए अच्छे कर्म कीजिए क्योंकि कहते हैं किसी व्यक्ति का शनि उच्च होता है तो शनि देव उस पर प्रसन्न होते हैं तो रंक से राजा बना सकते हैं. इसी वजह से लोग शनि देव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय खोजते हैं.
शनि देव कब बनाते हैं धनी
यदि शनि कुंडली में अनुकूल हो, तीसरे, छठवें या एकादश में हो तब व्यक्ति धनी बन सकता है. यदि शनि उच्च का हो या अपने घर में हो, यदि शनि विशेष अनुकूल हो और शनि की महादशा,साढ़ेसाती या ढैया चल रही हो, अगर व्यक्ति का आचरण शुद्ध हो, आहार सात्विक हो, यदि व्यक्ति पर उसके माता-पिता और बड़ों का आशीर्वाद हो तब शनि देव धनी बनाते हैं. इसके अलावा यदि व्यक्ति शिव जी या कृष्ण जी का भक्त हो तो भी उसपर शनि देव की कृपा बनी रहती है. शनि को प्रसन्न करने के लिए सबसे पहले अपने कर्मों में शुद्धता लाएं. फिर शनि को प्रसन्न करने के उपाय करें क्योंकि अच्छे कर्म करने वालों को सुख, शांति और धन की संपन्नता शनि देव देते हैं.
नौकरी में धन प्राप्ति के लिए उपाय
1. शनिवार को पीपल वृक्ष के नीचे सरसों का दीपक जलाएं.
2. वृक्ष की कम से कम तीन बार परिक्रमा करें.
3. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें.
4. किसी निर्धन व्यक्ति को सिक्कों का दान करें.
व्यापार में धन प्राप्ति के लिए उपाय
1. शनिवार सुबह पीपल के वृक्ष में जल डालें.
2. शाम को उसी वृक्ष के नीचे एक मुखी दीपक लोहे की कटोरी में जलाएं.
3. शनि चालीसा का पाठ करें.
4. पाठ के बाद किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन करवाएं. इस दिन सात्विक रहें.
कैसे शनि देव धन संचय में करेंगे मदद
1. अपने धन के कुछ हिस्से से हर माह सरसों के तेल या काली दाल का दान करें.
2. एक लोहे का सिक्का काले कपडे में बांधकर घर के अंधेरे जगह पर रख दें.
3. शनिवार को मांसाहार और मदिरापान न करें.
4. शनि की एक खास बात है कि वो दान-पुण्य करने से बहुत खुश होते हैं.
5. हनुमान जी ही शनि के दंश से बचा सकते हैं तो प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें.
6. शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं.