इस वीडियो में पंडित शैलेंद्र पांडेय बता रहे हैं कि ज्योतिष के अध्ययन में जन्मलग्न कुंडली मुख्य होती है. उसके साथ सहायक रूप से 15 कुण्डलियां जुडी होती हैं. इन लग्न और सहायक कुंडलियों को संयुक्त रूप से षोडश वर्ग कहा जाता है. इन कुंडलियों में लग्न कुंडली और नवमांश सबसे महत्वपूर्ण होता है. अगर लग्न कुंडली शरीर है तो नवमांश उसकी आत्मा है. बिना नवमांश देखे जन्मकुंडली पर विचार करना कभी भी सही परिणाम नहीं दे सकता.