बिहार के मुजफ्फरपुर में परंपरागत खेती की जगह गेंदा फूल की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है. इससे मुजफ्फरपुर जिले के पियर मनियारी काटी वीरपुर की दर्जनों महिलाओं की जिंदगी भी अब फूल की सुगंध की तरह महकने लगी है.
वीरपुर गांव की रूबी देवी ने बताया कि पहले उनका परिवार परंपरागत खेती करता था, जो घाटे का सौदा साबित हुआ था. लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी देखरेख में दस कट्ठा खेत में गेंदा के फूल की खेती शुरू की. इसकी रोपाई से लेकर तुराई तक की तमाम काम वे खुद करते हैं. इसमें दूसरी महिलाएं भी सहयोग करती हैं. रूबी कहती हैं कि घर के पुरुष सिर्फ इसकी बिक्री के लिए फूल मार्केट शहर ले जाते हैं.
रूबी बताती हैं कि एक कट्ठा में खर्च 1500 से 2500 तक आता है और सीजन बढ़िया रहा तो 5 से 10000 हजार की आमदनी प्रति कट्ठा होती है. प्रतिदिन दस कट्ठा में करीब 50 किलो फूल निकलते हैं, जिसकी बाजार में 100 रुपए किलो के हिसाब से बिक्री होती है.
फूल बाजार में बिक्री के लिए आए मोहन राम बताते हैं कि फूल की खेती से संबंधित सभी कार्य महिलाएं ही करती हैं. पुरुष केवल इसे बाजार बिक्री के लिए लाते हैं. वहीं पियर गांव से आए शैलेंद्र सिंह ने बताया कि 8 कट्ठा में गेंदा के फूल की खेती किए हुए हैं. खेती की जिम्मेदारी महिलाओं की होती है. हमलोग इसे बाजार लाकर बिक्री करते हैं. दो से ढाई हजार का इसमें खर्च होता है. सीजन बढ़िया रहा तो 8 से दस हजार प्रति कट्ठा आमदनी हो जाती है.
फूल की बिक्री के लिए लाने वाले इंद्रजीत शाही ने बताया कि पहली बार ट्रायल के रूप में गेंदा फूल की खेती की है. खेती के लिए टेनिस बॉल नाम के गेंदा फूल की हाइब्रिड वैरायटी के बीज को मंगवाया गया, फिर नर्सरी तैयार की गई और रोपाई के बाद फूलों की हार्वेस्टिंग की गई.
फूलों की खेती में खास बात यह है कि इससे कम पानी कम लागत और कम मेहनत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. गेंदा फूल की मांग साल भर बनी रहती है. इससे अच्छी आमदनी हो रही हैं.
वही जिला कृषि पदाधिकारी शिलाजीत सिंह ने बताया कि टेनिस बाल गेंदा फूल पौधे की हाइट 3 से 4 फुट होती है. तीन महीने में फूल आना शुरू हो जाता है और पैदावार भी अधिक होती है. इसमें मेहनत भी दूसरी फसल की अपेक्षा में कम लगती है. जिले में दर्जनों महिलाओं ने इसकी खेती शुरू की है. (रिपोर्ट-मणि भूषण शर्मा)