आए दिन खबरों में हम डिजिटल स्कैम्स के बारे में सुनते-पढ़ते हैं. अच्छे-खासे पढ़े-लिखे लोग भी इन स्कैमर्स की शिकार बन रहे हैं. हालांकि, आपकी और आसपास के लोगों की सतर्कता आपको इससे बचा सकती है. हाल ही में, ऐसा मामला एक पत्रकार के साथ देखने को मिला. उन्हें भी आधार कार्ड के मिस यूज के नाम पर डिजिटल अरेस्ट किया गया. हालांकि, उनके परिवार की सतर्कता और उनके प्रेजेंस ऑफ माइंड ने उन्हें स्कैम से बचा लिया.
उत्तराखंड में ऋषिकेश के रहने वाले अजय (बदला हुआ नाम) दिल्ली-NCR में एक मीडिया कंपनी में काम करते हैं. अक्सर वीकेंड पर अजय अपने होमटाउन जाते हैं. इस घटना के समय भी वह ऋषिकेश में थे. यह घटना 8 सितंबर 2024 को रविवार के दिन की है. अजय ऋषिकेश से नोएडा के लिए निकलने की तैयारी में थे. उस समय दोपहर के करीब 1.30 बज रहे थे. अजय ने बताया, "मुझे एक नंबर से कॉल आई और बताया गया कि ये कॉल दिल्ली सेशंस कोर्ट (जिला सत्र न्यायालय, दिल्ली ) की तरफ से है."
कॉल पर उनसे बाद में कहा गया कि आपके खिलाफ एक कंप्लेन है. उसके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए 1 दबाएं. अजय का कहना है कि इस दौरान उन्हें फ्रॉड कॉल जैसा कुछ भी नहीं लगा. उन्होंने अपने फोन पर एक नंबर दबाया तो दूसरी तरफ से उन्हें एक लड़की की आवाज आई. लड़की ने उनसे कहा कि सर आपके खिलाफ एक शिकायत दर्ज है. अजय ने डिटेल मांगी तो उसने शिकायत की पूरी डिटेल देते हुए यह जानकारी दी.
Notified By Delhi Session Court Region For Violation Illegal Advertising And Harassment.
Shop Address- Electrical Market, Red Fort Delhi
PIN Code- 110006
Mobile Number- 7234215869
Mobile Number Applying Date- 10 May 2024
Complaint Number- 1538/DL
'... आपके आधार कार्ड का किया गया गलत इस्तेमाल'
उस लड़की ने अजय से पूरी शिकायत लिख लेने कि लिए कहा, ताकि उनके पास डिटेल रहे. पूरी शिकायत का जिक्र करते हुए उस लड़की ने अजय से कहा कि आपके आधार का किसी ने गलत इस्तेमाल किया है. आपके आधार पर एक सिम लिया गया और उसे गलत कामों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. उसने पूरा ब्यौरा देते हुए शिकायत संख्या से लेकर कारण और उस दुकान का एड्रेस तक लिखवाया, जहां से सिम कार्ड लिया गया. साथ ही कहा कि आपको दिल्ली के दरियागंज थाने आना होगा, नहीं आ सकते हैं तो आप ऑनलाइन ही दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम विभाग में अपनी बात को दर्ज करा सकते हैं.
अजय ने उस लड़की से कहा, "मेरे नाम से ऐसा कोई फोन नंबर नहीं है, न ही ऐसे किसी से भी मेरा संपर्क है. तो उसने कहा कि हो सकता है आपने कभी ऑनलाइन या कहीं किसी काम से अपना आधार दिया होगा. फिर भी मैंने कहा कि ऐसा नहीं है. तब उस लड़की ने कहा कि अगर ऐसा नहीं है तो आपको पुलिस के पास जाकर अपनी बात रखनी होगी. उसके बाद क्लेरिफिकेशन लेटर आपको दे दिया जाएगा. मैंने थाना आने से मना किया तो उसने कहा कि आप ऑनलाइन भी दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम विभाग में अपने स्टेटमेंट को दर्ज करा सकते हैं."
अजय कहते हैं कि उनके दिमाग में बस इतना ही आया कि घर किराए पर लेने के लिए या कभी ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए आधार का इस्तेमाल किया है. हो सकता है कि वहीं से आधार डिटेल्स चोरी हुए हों. अजय का कहना है कि अब तक भी मुझे फ्रॉड जैसा कुछ नहीं लगा क्योंकि दूसरी तरफ से उन्होंने बिल्कुल ऐसे महसूस कराया कि वाकई ऐसा मामला हो सकता है. अजय ने ऑनलाइन स्टेटमेंट दर्ज कराने पर सहमति जता दी.
विश्वास में लेकर किया डिजिटल अरेस्ट
उस लड़की कॉलर ने अजय से ऑनलाइन स्टेटमेंट के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखने को कहा. उसने कहा कि आपको दिल्ली साइबर क्राइम के पुलिस अधिकारी के पास से अभी 10 मिनट के बाद कॉल आएगी. इस दौरान आपको ऐसी जगह पर रहना होगा, जहां कोई तीसरा व्यक्ति (घर को कोई भी सदस्य) न आए. साथ ही, यह हिदायत दी कि आपको उस अधिकारी को इस शिकायत से संबंधित सारी बातें बतानी हैं. उसके बाद आपको कहना है कि जो नंबर (जिसे गलत कामों में यूज किया जा रहा है) मेरे आधार से जारी किया गया है, उसे बंद करवा दें और मुझे क्लेरिफिकेशन लेटर जारी कर दें. ताकि आगे से मुझे किसी तरह की कोई लीगल दिक्कत ना हो. इस लड़की से अजय की कुल 32 मिनट 10 सेकेंड तक बात हुई.
फिर कुछ ही देर के बाद अजय के Whatsapp पर एक नंबर से मैसेज आया, जिसमें लिखा था दिल्ली साइबर क्राइम. मैंने अपना नाम लिखकर रिप्लाई किया. फिर मुझे इसी नंबर से वीडियो कॉल आई. वीडियो में सामने पुलिस की वर्दी में एक आदमी चेयर पर बैठा था. पीछे दिल्ली पुलिस साइबर क्राइम का एक झंड़ा लगा था. उस आदमी को देखकर आपको कोई शक हो ही नहीं सकता था. उसकी बोल-चाल और बॉडी लैंग्वेज एकदम पुलिस ऑफिसर जैसी थी. जिस नंबर से व्हाट्सएप पर मैसेज आया, उसकी प्रोफाइल पिक्चर में दिल्ली पुलिस का लोगो लगा था. जिस पर लिखा था शांति, सेवा, न्याय.
उस नकली पुलिस ऑफिसर ने अजय से कहा कि आपके फोन की बैटरी 20 पर्सेंट से ऊपर होनी चाहिए और चार्जर भी पास में रहना चाहिए, ताकि स्टेटमेंट दर्ज कराने में कोई दिक्कत ना हो. अब अजय उस नकली पुलिस अधिकारी से व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर बात कर रहे थे. उन्होंने एक कमरे में खुद को बंद कर लिया और सवालिया लहजे में बातों का सिलसिला चल पड़ा. अजय बतात हैं कि यह कॉल करीब एक घंटे 10 मिनट तक चली. इस दौरान अजय ने पहले उस शिकायत का जिक्र किया और फिर बताया कि वह ऐसे किसी भी काम में संलिप्त नहीं हैं.
नकली अफसर ने मांगी घर-परिवार के साथ बैंकों की डिटेल्स
अजय ने आगे बताया, "उस नकली पुलिस अधिकारी ने फर्जी शिकायत से जुड़े काफी सारे सवाल किए, हर सवालों का मैंने जवाब दिया. उसने कहा कि अगर आपने ऐसा कुछ नहीं किया है तो आप अपना स्टेटमेंट दर्ज करा दो, हम आपके वीडियो स्टेटमेंट को कोर्ट में पेश करेंगे. जैसे पुलिस किसी भी मामले में पूछताछ करती है, ठीक उसी तरह उस नकली पुलिस अधिकारी ने उनसे पर्सनल जानकारी से संबंधित कई सवाल किए."
सबसे पहले उस नकली पुलिस अफसर ने फर्जी शिकायत के बारे में बात की. फिर उसने अजय से कार्यक्षेत्र, रेंट पर रहने का पता, घर का पता, आधार की डिटेल्स, घर में कितने मेंबर हैं, कौन कहां रहता है, कितने बैंक खाते हैं, किस कंपनी में कितने साल से हैं... इस तरह के कई सवाल पूछे. इस दौरान वह लगातार कहता रहा कि हर बात आपको सच बतानी है. तभी हम आपकी मदद कर सकते हैं. ये सब डिटेल लेने के बाद फर्जी पुलिस ऑफिसर ने कहा कि हम आपकी डिटेल निकालते हैं कि आपके आधार के उपयोग से जुड़ा या आपके खिलाफ कोई और मामला तो नहीं है.
गंभीर आरोप बताकर डराने की कोशिश
नकली पुलिस ऑफिसर ने अजय को कॉल पर रखा और उन्हें ऐसा प्रतीत कराया कि वह दिल्ली पुलिस के हेडक्वार्टर में बात कर रहे हैं. उस समय अजय को पुलिस के वॉकी-टॉकी जैसे बातचीत सुनाई दी. नकली पुलिस ऑफिसर ने हेडक्वार्टर से फोन पर सवाल करते हुए जानकारी मांगी कि इस आधार नंबर से जुड़ा कोई और केस तो नहीं है? उधर से (नकली दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर) से जवाब आया कि इस पर बहुत से सीरियस आरोप हैं. जिसमें 500 करोड़ की मनी लॅाड्रिंग से लेकर मानव तस्करी के अपराध शामिल हैं. साथ ही यह भी कहा कि इसमें तो सीबीआई जांच भी चल रही है.
परिवार में किसी को नहीं बताने के शर्त पर उसने बताया कि पूछताछ में संदीप नाम के एक आरोपी ने आपका नाम बताया है. साथ ही, उसने ये भी कहा कि आपने 50 हजार रुपये में एचडीएफसी बैंक का अकांउट बेचा है, उसमें संदिग्ध ट्रांजेक्शन पाए गए हैं. इन सभी आरोपों को लेकर वह अजय को धमकाने लगा. नकली ऑफिसर ने कहा कि अगर आपको बचना है तो आपको अपना बयान देना होगा, तभी हम आपको बचा सकते हैं. इसके बाद उसने एक और सीनियर अधिकारी से बात करने को कहा.
घरवालों ने किया अलर्ट... बाल-बाल बचे स्कैम से
अजय बताते हैं कि इस पूरी बातचीत के दौरान वह अपने परिवार से एकदम अलग थे. बाहर से उनके घरवाले दरवाजा खटखटा रहे थे लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इसी दौरान अजय के घर पर उनके कजिन भाई आए और घरवालों ने उन्हें इस कॉल के बारे में बताया. अजय के भाई ने तुरंत उन्हें कमरे से बाहर आने के लिए कहा और व्हाट्सएप पर मैजेस करके कहा कि यह फ्रॉड कॉल है. अजय का कहना है कि इस समय तक उन फ्रॉडस्टर्स ने उनके दिमाग को इस कदर ब्रेनवॉश कर दिया था कि वह कुछ और सोच ही नहीं पा रहे थे.
तभी फोन पर एक फर्जी सीनियर अधिकारी आया. उस सीनियर अधिकारी ने उस अधिकारी को डांटा जिसकी अजय की एक घंटे से मेरी बात हो रही थी. सीनियर मे उसे डांटते हुए कहा, "ये तुम्हारा रिश्तेदार है क्या, जो तुम कह रहे हो... ये पूछताछ में साथ दे रहा है. इसे कस्टडी में क्यों नहीं लिया अभी तक? फिर उसने उसे कहा कि मैं तुम्हें फायर कर दूंगा." अजय कहते हैं कि सीनियर अधिकारी की इस बात को सुनकर उनका दिमाग घूमा और उन्हें लगा कि कोई भी पुलिस अधिकारी इस तरह से दूसरे पुलिस अधिकारी से बात नहीं करता है.
फिर सीनियर अधिकारी ने कहा कि तुम्हें पता है, तुम मुझसे क्यों बात कर रहे हो? तुम पर इतने गंभीर आरोप हैं. इस दौरान अजय के परिवार के सदस्य लगातार कमरा खोलने के लिए कह रहे थे. इस डिस्ट्रेक्शन से अजय का
ध्यान कॉल से हटा और हड़बड़ाहट में उन्होंन कॉल काट दी. वह बाहर आए तो उनके परिवार ने उन्हें फ्रॉड की बात बताई और उन्हें भी समझ आया कि वह स्कैमर्स से बाल-बाल बच गए. थोड़ी देर में दोबारा कॉल आने पर उनके भाई ने फोन उठाया और कहा कि वह ऋषिकेश थाने से बोल रहे हैं, तो सामने से जवाब आया कि वीडियो कॉल पर आओ. फिर उनके भाई ने फोन काट दिया.
अजय कहते हैं कि वह इस तरह के मामलों के बारे में जानते हुए भी इसका शिकार हो गए. अगर उनका परिवार उन्हें डिस्ट्रैक्ट न करता तो शायद उनके पैसे चले जाते क्योंकि एक-डेढ घंटे में उन्होंने अजय को विश्वास दिला दिया था कि यह मामला सच है.
क्यों फंसे स्कैमर्स के चक्कर
इस पूरे मामले में एक बड़ी बात जो समझ में आई वह है कि आधार कार्ड की इनवॉल्वमेंट के कारण अजय उनकी बात सुनते गए. आधार कार्ड भारतीय नागरिकों के मूल दस्तावजों में से एक है. इसका लगभग सभी जगह इस्तेमाल होता है और खासकर फोन नंबर व आधार का गहरा कनेक्शन है. इस कारण लोगों को आधार कार्ड के नाम पर ठगना बहुत ही आम हो गया है. ऐसे में, जरूरी है कि आप आधार डिटेल्स को लेकर सतर्क रहें और संदेह होने पर तुरंत रिपोर्ट करें. सबसे पहले तो आप खुद यह चेक करें कि क्या वाकई आपके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल हुआ है?
अपने आधार कार्ड बायोमेट्रिक्स को ऑनलाइन लॉक करें:
आधार के दुरुपयोग की रिपोर्ट करना
अपने आधार कार्ड के दुरुपयोग की रिपोर्ट करने के लिए, 1947 पर कॉल करें, help@uidai.gov.in पर ईमेल करें, या UIDAI वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करें.
आधार कार्ड की फोटोकॉपी के दुरुपयोग को रोकें
1. अपनी फोटोकॉपी को वेरिफाई करें: कहीं भी आधार की फोटोकॉपी देने से पहले इसपर हस्ताक्षर करें, इसके इस्तेमाल का उद्देश्य लिखें और तारीख व समय लिखें.
2. मास्क्ड आधार का इस्तेमाल करें: एक मास्क्ड आधार कार्ड डाउनलोड करें जिसमें पहले 8 अंक अस्पष्ट हों. MyAadhaar पोर्टल पर जाएं, 'आधार डाउनलोड करें' विकल्प चुनें. अब आगे 'Do you want a masked Aadhaar?' विकल्प चुनें और दस्तावेज़ डाउनलोड करें.