हमारे देश में सड़कों का गड्ढों के कारण बुरा हाल है और इस रारण आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं.साल 2019 और 2020 में, भारत में क्रमशः 4,775 और 3,564 दुर्घटनाओं का कारण सड़कों के गड्ढे थे. इस समस्या के बारे में प्रशासन से लगातार गुहार लगाई जाती है लेकिन समाधान बहुत ही कम मिलते हैं. ऐसे में, इस परेशानी को हल करने की जिम्मेदारी भी दो आम लोगों ने उठाई है.
यह कहानी है प्रताप भीमसेना राव और सौरभ कुमार की, जिन्होंने 2016 में PotHoleRaja नाम से एक सामाजिक उद्यम की शुरुआत की है जो भारत के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए काम कर रहा है. यह स्टार्टअप सीधे नागरिकों के साथ काम करता है. इसे संस्थानों, सामाजिक समूहों या यहां तक कि सरकारी निकायों द्वारा बड़े पैमाने पर प्रोजेक्ट्स के लिए कमीशन किया जा सकता है.
निभा रहे हैं अपनी जिम्मेदारी
योरस्टोरी से बात करते हुए सौरभ ने अपने इस स्टार्टअप और सोच के बारे में बताया. उनका कहना था कि जब लोग गड्ढों के बारे में सोचते हैं, तो पहली बात जो दिमाग में आती है वह यह है कि यह सरकार की जिम्मेदारी है. क्योंकि हर कोई इसे अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी के रूप में ठीक करने के बारे में नहीं सोचता है.
ऐसे में, उनकी पहली चुनौती इस मिथक को तोड़ना था. वे लोगों के सोचने के तरीके को बदलना चाहते थे. उन्होंने इस समस्या पर काम किया और सड़कों को गड्ढा मुक्त और सुरक्षित बनाने के लिए समाधान खोजे. और उन्होंने इस समस्या का बहुत ही इनोवेटिव हल निकाला है.
रिसायकल्ड प्लास्टिक का कर रहे हैं इस्तेमाल
PotHoleRaja ने हाल ही में GridMats कॉन्सेप्ट पेश किया है, जो रिसायकल्ड पॉलीप्रोपाइलीन कचरे से बना एक पेटेंटेड पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद है. यह सामग्री टिकाऊ है और फुटपाथ/सड़कों के निर्माण के लिए 100% रिसायकल्ड प्लास्टिक कचरे से तैयार की गई है.
इंडस्ट्रियल गार्बेज इस संगठन के लिए रिसायकल्ड प्लास्टिक के लिए प्राइमरी सोर्स है. रीसाइक्लिंग कंपनियां पहले कचरा उठाती हैं, फिर उसे छांटती हैं और बेंगलुरु से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में शहर होसुर में संगठन के कारखाने में पहुंचाती हैं. इस रिसायकल्ड वेस्ट को एक पैलेट के रूप में, ग्रिडमैट बनाने के लिए उपयोग किया जाता है.
ग्रिडमैट से इन गड्ढों को भरा जा रहा है और इसकी लागत सामान्य तौर पर 20% -25% सस्ती होती है. हाल ही में, बेंगलुरु में एक सड़क को 3,000 किलोग्राम से अधिक रिसायकल्ड प्लास्टिक का उपयोग करके ठीक किया गया था.
और भी प्रोजेक्ट्स पर कर रहे हैं काम
ग्रिडमैट्स के अलावा, इस कंपनी ने हरियाणा स्थित सर्वशगुन इंफ्रा के साथ साझेदारी की है ताकि अपनी तरह की पहली स्वचालित मशीनरी पेश कर सकें जिससे 15 मिनट के भीतर गड्ढों को ठीक किया जा सके. योर स्टोरी के मुताबिक, आम तौर पर PotHoleRaja की टीम सार्वजनिक सड़कों पर सरकारों के साथ सीधे तौर पर काम नहीं करती है.
कंपनी का ध्यान इस बात पर रहा है कि कैसे वे कई कंपनियों के साथ उनकी सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से काम कर सकते हैं और नवीनतम तकनीक का प्रदर्शन कर सकते हैं. देश भर से लोग कंपनी की वेबसाइट पर गड्ढों के बारे में रिपोर्ट करते हैं. बदले में, PotHoleRaja टीम जनता की सड़कों को ठीक करने में मदद करती है.