Exclusive: सिविल इंजीनियर का कमाल, अब घर में ही पशुओं के लिए उगा सकते हैं चारा, वह भी मात्र 8 दिन में

बेंगलुरु में रहने वाले वसंत कामत ने सालों तक नौकरी करने का बाद अपना स्टार्टअप- Hydrogreens Agri Solutions शुरू किया. इसके जरिए वह डेयरी किसानों के लिए चारे की समस्या का समाधान दे रहे हैं.

Vasanth Madhav Kamath, Founder & CEO, Hydrogreens Agri Solutions
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 11 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 6:39 AM IST
  • सिविल इंजीनियर ने शुरू किया स्टार्टअप, चारे की समस्या को कर रहे हैं हल
  • किसानों को कम लागत और कम समय में मिल रहा है हाई-क्वालिटी का चारा

भारत कृषि-प्रधान देश है और इसके बावजूद हमारे यहां काफी बड़े स्तर पर चारे की कमी है. कृषि जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मवेशियों की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन हमारे यहां दूध उत्पादन ग्लोबल एवरेज से 50% कम होता है. और इसका कारण है मवेशियों को सही मात्रा में सही गुणवत्ता का चारा न मिल पाना. 

देश में चारा उत्पादन के लिए जमीन कम हो रही है और वहीं, दूध व अन्य डेयरी प्रॉडक्ट्स की मांग बढ़ रही है. चारे की कमी का मतलब है कि देश में डेयरी किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. ग्रामीण इलाकों में मवेशी के सहारे बहुत से परिवार चलते हैं. इसलिए इस समस्या को निदान बहुत जरूरी है और बेंगलुरु की एक कंपनी किसानों की इस परेशानी को हल करने में जुटी है. 

यह कहानी है Hydrogreens Agri Solutions के फाउंडर वसंत माधव कामत की, जिन्होंने चारे की समस्या को हल करने के लिए एक खास तकनीक बनाई है. GNT Digital से बात करते हुए वसंत ने अपने सफर के बारे में बताया. 

Kambali™ System

नौकरी छोड़ शुरू किया अपना स्टार्टअप
बेंगलुरु के रहने वाले 39 वर्षीय वसंत ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर IISc, बेंगलुरु से प्रॉडक्ट डिजाइनिंग का कोर्स किया. उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ऑन्ट्रॉप्रेन्योरशिप में सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी किया. पढ़ाई के बाद वसंत ने 15 साल से ज्यादा कॉर्पोरेट सेक्टर में काम किया. 

लेकिन एक महिला डेयरी किसान ने उनके जीवन की दिशा बदल दी. वसंत ने बताया कि एक बार अपने काम के दौरान उनकी मुलाकात एक महिला उद्यमी से हुई जो डेयरी का काम करती हैं. उनकी मेहनत से वसंत बहुत प्रभावित हुए. लेकिन उन महिला किसान ने बताया कि उन्हें अपने मवेशियों के लिए चारे की कमी पड़ रही है. जिस कारण दूध का उत्पादन एकदम कम है. 

वसंत कहते हैं, "उस पल मैनें तय किया कि इस दिशा में कुछ किया जा सकता है. मैनें इस बारे में रिसर्च की और तरीके ढूंढे की आखिर कैसे किसानों को कम जगह में ज्यादा और हाई-क्वालिटी चारा उगवाया जाए. वह भी कम से कम लागत व साधनों में."

चारा उगाने की खास तकनीक 
साल 2019 में वसंत ने अपनी कंपनी Hydrogreens की शुरुआत की. इसके तहत उन्होंने एक खास तकनीक बनाई, जिसका नाम है- Kambali™. यह दिखने में लोगों को ओपन अलमारी की तरह लगती है लेकिन हकीकत में यह एक वर्टिकल और हाइड्रोपॉनिक फार्मिंग सिस्टम है. 

इस सिस्टम को कोई भी अपने खेत या घर में लगाकर मवेशियों के लिए चारा उगा सकता है. इसमें किसान बिना मिट्टी के कम से कम पानी में चारा उगा सकते हैं और यह चारा भी हाई-क्वालिटी का होता है. इस सिस्टम में 7 रैक हैं और हर एक रैक में 4-4 ग्रो-ट्रे लगी हैं. इन ट्रे में हर हफ्ते 700 ग्राम मक्का, गेहूं या जौ के हाई-क्वालिटी बीज बोए जाते हैं. 

Low-cost fodder system

क्या हैं Kambali™ की विशेषताएं 
इस बारे में वसंत ने बताया कि, 

  • इसमें किसान आठ दिनों में चारा उगा सकते हैं. हर 2-3 दिनों में केवल एक बाल्टी पानी की आवश्यकता होती है.
  • हर सायकल में लगभग 20 से 30 किलो चारा सिस्टम पर उगाया जा सकता है.
  • प्रत्येक ट्रे 5-7 किलो चारा का उत्पादन कर सकती है. हर दिन मवेशियों को उच्च पोषक तत्वों वाला हरा चारा मिलेगा. इसमें 'कच्चा प्रोटीन' अधिक होता है. जिसके परिणामस्वरूप मवेशियों का स्वास्थ्य बेहतर होता है और दूध का उत्पादन अधिक होती है.
  • इसे संचालित करने के लिए बहुत कम बिजली, पानी और स्थान की आवश्यकता होती है.
  • इसमें किसी मिट्टी या कीटनाशक की जरूरत नहीं है.
  • यह सोलर और एसी, दोनों वर्जन में उपलब्ध है.
  • किसान इस प्रणाली से अपनी आवश्यकता के अनुसार अन्य छोटे पौधे, नर्सरी के लिए पौधे या मशरूम आदि उगा सकते हैं. 

वसंत का कहना है कि उनका लक्ष्य छोटे और सीमांत किसान, स्मार्ट-टेक डेयरी और दूध सहकारी डेयरियों को यह सिस्टम उपलब्ध कराना है. 

300 से ज्यादा किसानों की मदद 
वसंत कहते हैं कि जो लोग यह सिस्टम खरीद नहीं सकते हैं. ऐसे लोगों के लिए उन्होंने चारे की सर्विस शुरू की है. इसका मतलब है कि वह बड़े Kambali™ लगाते हैं और किसानों का सीधा चारा उपलब्ध कराते हैं. एक स्टेशन से हर दिन 600 किलो चारा मिलता है, जिससे 100 मवेशियों का पेट भरा जा सकता है.

राजस्थान के बज्जू गांव की प्रमिला बताती हैं कि 2020 में उन्होंने अपने मवेशियों के लिए इसी तरह चारा उगाना शुरू किया. इससे न सिर्फ उनका खर्च कम हुआ बल्कि दूध का उत्पादन भी बढ़ा. वसंत अब तक 300 किसानों की मदद कर चुके हैं. अब उनकी योजना पूरे देश में अपना काम फैलाने की है. इस काम में उन्हें CEEW and Villgro Innovations Foundation की पहल- Powering Livelihoods programme से मदद मिल रही है. 

आखिर में वसंत सिर्फ यही कहते हैं कि फिलहाल देश में एग्री सेक्टर को मजबूत करने की जरूरत है ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था आगे बढ़े. साथ ही, क्लाइमेट चेंज को ध्यान में रखकर कृषि करनी होगी ताकि हम कम से कम प्राकृतिक संसाधनों का हनन हो. 
 

 

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