Watermelon Farming Success Story: तरबूज की खेती से चमकी किसान की किस्मत, लाखों की हो रही कमाई

बिहार के गया में तरबूज की खेती से किसान धर्मेंद्र कुमार की किस्मत चमक गई. धर्मेंद्र कुमार पिछले 2 साल से 3 एकड़ में तरबूज की खेती कर रहे हैं. इससे उनको हर एकड़ से 3 लाख रुपए तक की कमाई हो रही है.

Watermelon Farming
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 7:19 PM IST

फल की खेती से बिहार में एक किसान की किस्मत बदल गई. उसको अच्छा-खासा फायदा हो रहा है. उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई है. गया के धर्मेंद्र कुमार एक ऐसे ही किसान हैं, जो तरबूज की खेती कर रहे हैं. इस खेती से उनको लाखों की कमाई हो रही है. धर्मेंद्र कुमार 3 एकड़ में तरबूज की खेती कर रहे हैं.

तरबूज की खेती से लाखों की कमाई-
किसान धर्मेंद्र कुमार गया के चंदौती के रहने वाले हैं. ये किसान तरबूज की जन्नत और सरस्वती वेरायटी उगाते हैं. तरबूज की इस खेती में धर्मेंद्र को प्रति एकड़ 70 से 80 हजार रुपए का खर्च आया. जबकि हर एक एकड़ से 3 लाख रुपए तक का मुनाफा हो रहा है. धर्मेंद्र कम खर्च में अधिक उत्पादन कर रहे हैं. किसान धर्मेंद्र कुमार हर चौथे दिन तीन से चार टन तरबूज का उत्पादन कर रहे हैं और इससे उनको हर चौथे दिन 70 हजार रुपए की इनकम हो रही है.

2 साल से कर रहे हैं तरबूज की खेती-
किसान धर्मेंद्र कुमार पिछले 2 साल से तरबूज की खेती कर रहे हैं. किसान ने इस वेरायटी के बीज आरा की नर्सरी से मंगवाया था. उन्होंने फरवरी महीने में तरबूज के बीज लगाए थे. तरबूज की इस वेरायटी डिमांड सबसे ज्यादा राजधानी पटना में है. इस तरबूज की सप्लाई नवादा जिले में भी हो रही है. अलग वेरायटी होने के कारण आम तरबूज के मुकाबले इसकी कीमत भी ज्यादा है. धर्मेंद्र कुमार इस वेरायटी की खेती के लिए खेत में ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग लगाया है.

तरबूज की खेती का तरीका-
तरबूज की खेती के लिए सबसे जरूरी खेत को तैयार करना होता है. दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी तरबूज की खेती के लिए सबसे बेहतर मानी जाती है. सबसे पहले खेत की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाएं. मिट्टी में गोबर की खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. तरबूज के बीजों को मेड़ों पर बोना चाहिए और नियमित तौर पर इसकी सिंचाई करनी चाहिए. जब फल लगने लगे तो सिंचाई पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. सिंचाई करते समय मेड़ों को गीला ना होने दें.

पौधों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए. उत्तर भारत में तरबूज की खेती फरवरी और मार्च में करनी चाहिए. जबकि नदियों के किनारे नवंबर से जनवरी के बीच कर सकते हैं. तरबूज की फसल 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है. तरबूज को ठंडी जगह पर स्टोर करना चाहिए.

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