यह कहानी है बिहार में रहने वाली 49 वर्षीय होममेकर अपर्णा मिश्रा की, जिन्होंने अपनी मेबनत और दृढ़ संकल्प से न सिर्फ अपने परिवार को पैसों की तंगी से बाहर निकाला बल्कि अपने च्यवनप्राश बिजनेस (Chyawanprash Business) से कई महिलाओं को रोजगार दे रही हैं. अपर्णा आज देश की हर बेटी और महिला के लिए मिसाल हैं. उन्होंने अपनी ज़िंदगी में बहुत सी परेशानियों का सामना किया लेकिन कभी हार नहीं मानी और आज खुद के साथ-साथ बहुत सी महिलाओं को अच्छे जीवन की राह दिखा रही हैं.
पति की नौकरी छूटी
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जूलॉजी में मास्टर्स डिग्री करने वाली अपर्णा बिहार के समस्तीपुर जिले के बेदौलिया गांव से ताल्लुक रखती हैं. वह अपने परिवार के साथ बेहद खुश और सुकूनभरी ज़िंदगी जी रही थीं. उनके पति, गिरींद्र मोहन मिश्रा, एक निजी कंपनी में अपनी नौकरी से अच्छा वेतन कमाते थे. लेकिन 2008 में आर्थिक मंदी के दौरान उनके पति की नौकरी चली गई और इसके बाद सबकुछ बदलने लगा. नौकरी खोने के बाद दूसरी नौकरी पाना बहुत मुश्किल था. गिरिंद्र डिप्रेशन में चले गए.
परिवार के हालात तब और खराब हो गई जब उनकी सबसे बड़ी बेटी, आद्या मिश्रा साल 2008 में गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं. यह अपर्णा के लिए बहुत मुश्किल समय था. उनके घर का खर्च जैसे-तैसे चल रहा था और ऐसे में, अपनी बेटी की दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी बेच दी.
मन में आया सुसाइड का विचार
अपर्णा ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से कहा कि उनके लिए बेटी के इलाज का खर्च उठाना मुश्किल हो गया क्योंकि उनके पति बेरोजगार थे और आय का कोई स्रोत नहीं था. वह वक्स अपर्णा के लिए कितना मुश्किल था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार उन्होंने सुसाइड करने बारे में भी सोचा था. लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
दरअसल, अपर्णा के पड़ोस में एक आयुर्वेदिक डॉक्टर ने उन्हें अपनी बेटी के लिए आयुर्वेदिक तरीके इस्तेमाल करने के लिए कहा. महंगी दवाओं के लिए पैसे नहीं होने के कारण, उन्होंने आयुर्वेदिक उपचार करना शुरू कर दिया. इस दौरान अपर्णा ने आयुर्वेदिक उपचार की बारीकियां सीखीं और घर पर ही एक खास 'च्यवनप्राश' बनाना शुरू कर दिया. यह च्यवनप्राश आयुर्वेदिक डॉक्टर ने आद्या के लिए लिखा था.
घर से शुरू किया बिजनेस
अपर्णा का बनाया च्यवनप्राश धीरे-धीरे उनके रिश्तेदारों, पड़ोस के लोगों और दोस्तों तक पहुंचने लगा. लोगों ने इसकी तारीफ की और इसे देखते हुए अपर्णा ने सिर्फ 1,000 रुपये के साथ अपने घर से ही आयुर्वेदिक च्यवनप्राश का व्यवसाय शुरू किया. लोगों ने इसे बहुत पसंद किया क्योंकि इसका स्वाद बाज़ार में उपलब्ध उत्पादों से काफी अलग था.
अपर्णा के च्यवनप्राश के ऑर्डर धीरे-धीरे बढ़ने लगे. जैसे-जैसे मांग बढ़ी, अपर्णा ने मार्केटिंग पर थोड़ा फोकस किया. हालांकि, वह आज भी 'वर्ड ऑफ माउथ' मार्केटिंग पर ज्यादा भरोसा करती हैं और विज्ञापनों में पैसे नहीं लगाती हैं. उनका अपना नेटवर्क है जिसके जरिए उन्हें अच्छे-खासे ऑर्डर मिल जाते हैं. आज उनके कस्टमर्स देशभर में फैले हैं और उनकी सालाना आय 25 लाख रुपए से ज्यादा हो गई है. अपर्णा ने 15 लोगों को रोजगार भी दिया है जो हर दिन 300 से 500 रुपए तक की दिहाड़ी कमा लेते हैं.