Eco-Friendly Crockery Business: गन्ने की खोई, पराली और फलों के वेस्ट से बर्तन बना रहा है यह युवा, खड़ा किया लाखों का बिजनेस

बिहार में एक युवा ने YouTube से Idea लेकर अपना अनोखा Business शुरू किया है. उनके बिजनेस से न सिर्फ कमाई हो रही है बल्कि कृषि वेस्ट का भी अच्छा इस्तेमाल हो रहा है. जिस कारण बहुत से किसान अब पराली या गन्ने की खोई को नहीं जला रहे हैं.

Eco-Friendly Crockery Business
gnttv.com
  • नवगछिया,
  • 06 मई 2024,
  • अपडेटेड 9:23 AM IST

भारत में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के बाद बिहार में भी गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर होती है. लोग खेतों में गन्ने से रस निकाल तो लेते हैं, लेकिन उसकी खोई यूं ही बर्बाद हो जाती है. कई लोग इसे खेतों में ही जला देते हैं, जिससे काफी प्रदूषण फैलता है. लेकिन नवगछिया के रहने वाले रितेश ने गन्ने की खोई (Sugarcane Waste) से बड़े पैमाने पर कप, प्लेट, कटोरी बना रहे हैं. रितेश गन्ने के वेस्ट को प्रोसेस करते हैं. इससे वह इको फ्रेंडली सामान बनाते हैं. आज उनका दायरा बिहार सहित मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा जैसे राज्यों में भी फैला हुआ है. 

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगते ही बाजार फिर से खुद को नई व्यवस्था के अनुरूप ढालने लगा है. बाजार में फिलहाल डिस्पोजेबल थाली, प्लेट, कटोरा इत्यादि उत्पाद पहुंचने लगे हैं. गन्ने की खोई से बने उत्पाद खूबसूरत और टिकाऊ होने के कारण ग्राहकों को ज्यादा पसंद आ रहे हैं. ग्राहक भी दुकान पर पहुंचते ही सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प पर चर्चा करते हुए नए उत्पाद देखना और खरीदना पसंद कर रहे हैं. 

YouTube पर वीडियो देख मिली प्रेरणा 
रितेश बताते है कि गन्ने की खोई, धान की भूसे और सब्जी एवं फलों के वेस्ट से वे कप बनाते हैं. इसमें किसी प्रकार का कोई केमिकल उपयोग नही होता है. रितेश बताते है की उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय सबौर से इंटर की पढ़ाई एग्रीकल्चर में की है और वह एग्रीकल्चर में हीं अपना भविष्य आजमाना चाहते थे. लेकिन फिर पारिवारिक दिक्कतों के कारण स्नातक में आर्ट्स लेना पड़ा. 

यूट्यूब से वीडियो देखकर उन्हें यह उद्योग शुरू करने का मन हुआ. तीन महीने पहले उन्होंने स्टार्टअप शुरू किया था और उन्हें बाजार में बहुत अच्छे रिस्पांस मिल रहा है. लोग इसको पसंद भी कर रहे हैं. खासकर कि शुगर मरीजज्यादा पसंद कर रहे है क्योंकि वे चीनी डालकर चाय नही पीते है और अगर वो गन्ने के खोई से बने कप में चाय पीते है तो उनको हल्के मिठास का अनुभव होता है. मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना से 6 लाख का लोन लेकर उन्होंने काम की शुरुआत की है. रितेश के उद्योग में उनकी मां पूरा सहयोग कर रही है. अभी रितेश के बनाएं गए कप लोकल मार्केट से लेकर अन्य राज्यो में भी जाते हैं. 

(सुजीत सिंह चौहान की रिपोर्ट)

 

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