खुशी वाले मौके पर नहीं... बल्कि आर्थिक तंगी पर हुआ था पहली बार Black Friday शब्द का इस्तेमाल, US गोल्ड मार्किट हो गई थी क्रैश... जानें इसके पीछे की पूरी हिस्ट्री

History of Black Friday: 1960 के दशक में, रिटेलर्स ने ब्लैक फ्राइडे की लोकप्रियता को भुनाने का फैसला किया और इसके अर्थ को बदलने की कोशिश की. 1980 के दशक तक, रीब्रांडिंग ने इसे अमेरिकी शॉपिंग कल्चर का हिस्सा बना दिया.

Black Friday History
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:21 PM IST
  • ब्लैक को गोल्ड में बदला गया
  • ब्लैक फ्राइडे का दूसरे देशों में बढ़ता गया चलन 

दुनिया भर में शॉपर्स ब्लैक फ्राइडे के भारी छूट और डोरबस्टर डील्स का बेसब्री से इंतजार करते हैं. यह दिन शॉपिंग मॉल्स और ऑनलाइन स्टोर्स को खचाखच भर देता है. लेकिन इसे ब्लैक फ्राइडे क्यों कहा जाता है, और इस खास दिन के पीछे की कहानी क्या है? ब्लैक फ्राइडे का इतिहास कई परतों से भरा हुआ है और ये केवल चमकीले एड्स और बड़े-बड़े डिस्काउंट और ऑफर से कहीं ज्यादा है. 

दरअसल, “ब्लैक फ्राइडे” (Black Friday) शब्द पहली बार 1950 के दशक में चर्चित हुआ, लेकिन इसका इतिहास और भी पुराना है. इसका लिंक 1869 से है. जब अमेरिका अपने इतिहास की सबसे बड़ी आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. 24 सितंबर, 1869 को, दो इंवेस्टर्स, जे गोल्ड और जेम्स फिस्क ने गोल्ड मार्केट पर कब्जा करने की कोशिश की. इसका परिणाम ये हुआ कि स्टॉक मार्केट पूरी तरह से गिर गया, और इसे ब्लैक फ्राइडे के नाम से जाना गया.

हालांकि, इस वित्तीय संकट का शॉपिंग से कोई लेना-देना नहीं था. रिटेल के साथ इसका संबंध दशकों बाद जुड़ा.

फिलाडेल्फिया का ब्लैक फ्राइडे
1950 के दशक में फिलाडेल्फिया में थैंक्सगिविंग के बाद का शुक्रवार क्रिसमस शॉपिंग सीजन की शुरुआत मानी जाती थी. इस दिन शहर में शॉपर्स की भीड़ उमड़ पड़ती थी. साथ ही, अगले दिन होने वाले आर्मी-नेवी फुटबॉल मैच को देखने के लिए लोग आते थे.

फिलाडेल्फिया के पुलिसकर्मी, जिन्हें इन भीड़ और ट्रैफिक जाम को संभालना पड़ता था, इस दिन को ब्लैक फ्राइडे कहने लगे. उनके लिए यह दिन काफी मुश्किल भरा होता था.

स्थानीय व्यापारी भी इस शब्द का इस्तेमाल करने लगे क्योंकि दुकानों में भीड़ और गड़बड़ी का माहौल रहता था.

ब्लैक को गोल्ड में बदलना
1960 के दशक में, रिटेलर्स ने ब्लैक फ्राइडे की लोकप्रियता को भुनाने का फैसला किया और इसके अर्थ को बदलने की कोशिश की. उन्होंने इसे आर्थिक दृष्टि से “रेड से ब्लैक” में जाने के प्रतीक के रूप में पेश किया.

पारंपरिक अकाउंटिंग में रेड इंक नुकसान को दिखाता था, जबकि ब्लैक इंक मुनाफे का प्रतीक था. बस इसी ने ब्लैक फ्राइडे को प्रॉफिट का प्रतीक बना दिया.

1980 के दशक तक, इस रीब्रांडिंग ने इसे अमेरिकी शॉपिंग कल्चर का हिस्सा बना दिया.

ब्लैक फ्राइडे का दूसरे देशों में चलन 
हालांकि ब्लैक फ्राइडे मूल रूप से अमेरिकी परंपरा थी, लेकिन इसकी लोकप्रियता ने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर लिया. अमेजन जैसी ग्लोबल कंपनियों और अमेरिकी पॉप कल्चर के प्रभाव ने इसे दूसरे देशों तक पहुंचा दिया.

आज, कनाडा, यूके, ब्राजील और भारत जैसे देशों ने ब्लैक फ्राइडे सेल शुरू होती है. भारत में, खासकर अमेजन, फ्लिपकार्ट और मिंत्रा जैसे ऑनलाइन रिटेलर्स ने इसे एक बड़ा शॉपिंग इवेंट बना दिया है. इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और घरेलू सामानों पर भारी डिस्काउंट लोगों को भी काफी आकर्षित करते हैं. 

आधुनिक ब्लैक फ्राइडे और सेल 
आधुनिक समय में ब्लैक फ्राइडे एक बड़ा इवेंट बन गया है. थैंक्सगिविंग के आधी रात से ही शॉपर्स मॉल के बाहर लाइन में लग जाते हैं या अपने ब्राउजर रिफ्रेश करते रहते हैं. रिटेलर्स ग्राहकों को लुभाने के लिए कई मार्केटिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करते हैं:

-डोरबस्टर डील्स: लिमिटेड टाइम के लिए स्पेशल डिस्काउंट.

-FOMO (फियर ऑफ मिसिंग आउट): फ्लैश सेल और काउंटडाउन टाइमर ग्राहकों को बेचैन रखते हैं.

-बंडल डिस्काउंट्स: प्रोडक्ट्स के बंडल को ज्यादा आकर्षक बनाने की कोशिश की जाती है.

2023 में, अकेले अमेरिका में लोगों ने ब्लैक फ्राइडे पर 9 बिलियन डॉलर ऑनलाइन खर्च किए थे. 

भविष्य की तस्वीर और ब्लैक फ्राइडे 
जैसे-जैसे खरीदारी के तरीके बदल रहे हैं, ब्लैक फ्राइडे भी बदल रहा है. महामारी के दौरान ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ने से यह और भी ज्यादा डिजिटल होता जा रहा है. बेस्ट डील्स की खोज का रोमांच. चाहे भीड़ भरे मॉल में हो या घर बैठे ऑनलाइन, ब्लैक फ्राइडे का आकर्षण शॉपर्स को अपनी ओर खींचता रहेगा.
 

 

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