Budget 2024: क्या है बजट... कितने प्रकार का होता है यह... इसे बनाने वालों को 10 दिनों तक आखिर क्यों नहीं होती घर जाने की इजाजत... यहां जानिए सबकुछ 

What Is Union Budget: जैसे हम अपने घर का बजट बनाते हैं, वैसे ही सरकार पूरे देश का बनाती है. एक वित्तीय वर्ष में सरकार को कितनी आमदनी होगी, कितना खर्च होगा और बचत कितनी होगी, यह सब बजट में शामिल रहता है. 

Budget 2024
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 8:52 PM IST
  • 23 जुलाई 2024 को वित्त मंत्री पेश करेंगी बजट
  • बजट में आमदनी और खर्च का रखा जाता है हिसाब 

मोदी 3.0 सरकार (Modi 3.0 Government) का वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यूनियन बजट (Union Budget 2024) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 23 जुलाई 2024 को पेश करेंगी.

वह वित्त मंत्री के रूप में लगातार सातवां बजट पेश करेंगी. आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर क्या है बजट, यह कितने प्रकार का होता है और इसे तैयार करने वाले लोगों को आखिर क्यों लोकसभा में बजट पेश होने तक घर जाने तक की इजाजत नहीं होती है? 

कैसे हुई बजट शब्द की उत्पत्ति 
फ्रांसीसी शब्द बौगेट से बजट शब्द की उत्पत्ति हुई है. बौगेट का अर्थ है चमड़े की अटैची. बजट घोषणा के दिन 2019 से पहले तक सभी वित्त मंत्री चमड़े के ब्रीफकेस में दस्तावेज लेकर जाते थे. यह भारतीयों को अंग्रेजों से विरासत में मिला था. मोदी सरकार ने साल 2019 से बजट दस्तावेजों को ले जाने के लिए इस ब्रीफकेस यानी अटैची को बही खाता से बदल दिया.

क्या होता है बजट
जैसे हम अपने घर का बजट बनाते हैं, वैसे ही सरकार पूरे देश का बनाती है. बजट एक साल के आय-व्यय का लेखा-जोखा होता है. एक वित्तीय वर्ष में कितनी आमदनी होगी, कितना खर्च होगा और बचत कितनी होगी, यह सब बजट में शामिल रहता है. संविधान में सीधे तौर पर बजट का जिक्र नहीं किया गया है. हालांकि अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण की चर्चा है. इस अनुच्छेद के अंतर्गत ही सरकार को अपने हर साल की कमाई और व्यय का लेखा-जोखा देना अनिवार्य होता है.

कितने प्रकार का होता है बजट
बजट को हम तीन कैटगरी यानी श्रेणी में बांट सकते हैं. इसमें संतुलित बजट, अधिशेष बजट और घाटा बजट शामिल हैं. बजट का वर्गीकरण इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार की ओर से वर्ष भर में अनुमानित खर्च अनुमानित प्राप्तियों के बराबर है, उससे कम है या अधिक है.

1. संतुलित बजट
जब एक वित्त वर्ष में सरकार की आमदनी और खर्च के आंकड़े बराबर हों तो उसको संतुलित बजट यानी बैलेंस्ड बजट कहा जाता है. संतुलित बजट इस विचार पर जोर देता है कि सरकार का खर्च कभी भी उसके जमा राजस्व से अधिक नहीं होना चाहिए. संतुलित बजट से फायदा यह है कि इससे आर्थिक स्थितरता बनी रहती है.

सरकार बेवजह के खर्च से बचती है. ज्यादातर अर्थशास्त्री इस प्रकार के बजट का समर्थन करते हैं क्योंकि यह अपने साधनों के भीतर रहने के गुण पर आधारित है. संतुलित बजट से नुकसान यह है कि यह आर्थिक सुस्ती के समय बेअसर साबित होती है. बेरोजगारी जैसी समस्या के समाधान में मदद नहीं मिलती है. इस प्रकार के बजट को विकासशील देशों के लिए सही नहीं माना जाता है.  

2. सरप्लस बजट 
जब एक वित्तीय वर्ष में अनुमानित आय अनुमानित व्यय से अधिक है तो बजट को अधिशेष या सरप्लस बजट कहा जाता है. इस प्रकार का बजट यह दर्शाता है कि सरकार की टैक्स से होने वाली आय, सरकार की ओर से पब्लिक वेलफेयर पर खर्च किए गए धन से अधिक है. विशेषज्ञों के अनुसार मुद्रास्फीति के समय कुल मांग को कम करने के लिए इस प्रकार के बजट को लागू किया जा सकता है. अधिशेष बजट यह दर्शाता है कि कोई देश आर्थिक रूप से समृद्ध है.

3. घाटे का बजट
किसी बजट को घाटे वाला बजट यानी डेफिसिट बजट तब माना जाता है जब सरकार का अनुमानित खर्च उसकी राजस्व से प्राप्त आय से ज्यादा हो जाए. घाटे का बजट भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए उपयुक्त है.

ऐसा बजट मंदी के दौरान विशेष रूप से फायदेमंद होता है. घाटे के बजट में सरकार रोजगार दर बढ़ाने के लिए अत्यधिक व्यय करती है. सरकार को जन कल्याण के काम पर खर्च करने का मौका मिलता है. इस बजट का नुकसान यह है कि उधारी लेने की वजह से सरकार पर बोझ बढ़ सकता है. 

कौन तैयार करता है बजट
हमारे देश में बजट को तैयार करने में वित्त मंत्रालय के साथ नीति आयोग और खर्च से जुड़े मंत्रालय शामिल होते हैं. वित्त मंत्रालय इन्हीं अलग-अलग मंत्रालयों के अनुरोध पर खर्च का एक प्रस्ताव तैयार करता है.

इसके बाद बजट बनाने का काम वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आर्थिक मामलों के विभाग का बजट सेक्शन करता है. आखिर में वित्त मंत्रालय संशोधित बजट अनुमानों के आधार पर बजट भाषण तैयार करता है. बजट सरकार की बैलेंस शीट को दर्शाता है. यह लोगों को देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति के बारे में सूचित करता है.

बेहद गोपनीय होता है देश का बजट
हमारे देश में बजट बनाने की प्रक्रिया को पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है. बजट दस्तावेज (Budget Document) तैयार करने में शामिल अधिकारी और कर्मचारी वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में ही रहते हैं. इन्हें घर जाने तक इजाजत नहीं होती है.

एक तरह से उन्हें नजरबंद रखा जाता है. ये पूरी दुनिया से 10 दिनों तक बेखबर रहते हैं. इन अधिकारियों और कर्मचारियों को वित्त मंत्री का बजट भाषण होने के बाद ही नॉर्थ ब्लॉक से बाहर निकलने की अनुमति होती है. ऐसा इसलिए होता है ताकि बजट से जुड़ी कोई भी जानकारी लीक न होने पाए.

मोबाइल-इंटरनेट तक का नहीं कर सकते इस्तेमाल
बजट दस्तावेज तैयार करने में जुड़े लोगों को मोबाइल, फोन, ई-मेल और इंटरनेट का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती है. इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी इनपर लगातार नजर बनाए रखते हैं. बजट बनाने की प्रक्रिया में कौन शामिल होगा, इसका खुलासा नहीं किया जाता है.

पूरी जांच-पड़ताल के बाद करीब 100 अधिकारियों और कर्मचारियों को बजट दस्तावेज तैयार करने के लिए लगाया जाता है.उन्हें नॉर्थ ब्लॉक में एक गुप्त जगह पर रखा जाता है. बजट दस्तावेज तैयार करने के दौरान कोई अधिकारी और कर्मचारी यदि बीमार होता है तो उसे हॉस्पिटल जाने तक की इजाजत नहीं होती है. उन्हें इलाज करने के लिए डॉक्टरों की एक टीम तैनात रहती है.

इतने दिन पहले मीडिया की एंट्री भी हो जाती हैं बद
बजट संसद में पेश होने के 10 दिन पहले वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में स्थित प्रिंटिंग प्रेस में इसकी छपाई होती है. प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वालों को दिए जाने वाले खाने की भी गहराई से जांच होती है.

इस दौरान यदि किसी विजिटर का आना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है तो उन्हें सुरक्षाकर्मियों की निगरानी में अंदर भेजा जाता है. मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह से जाम रहता है. नॉर्थ ब्लॉक के प्रवेश और निकास द्वार पर CISF के अलावा दिल्ली पुलिस और खुफिया विभाग के अधिकारी तैनात रहते हैं. बजट बनने के एक महीने पहले से ही वित्त मंत्रालय में मीडिया की एंट्री बंद हो जाती है. 


 

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