एक फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में केंद्रीय बजट को पेश करेंगी. मंगलवार से शुरू होने वाले बजट सत्र के पहले दो दिन संसद के दोनों सदनों में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं होगा. संसद का बजट सत्र 31 जनवरी को सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ शुरू होगा.
संसदीय बुलेटिन में कहा गया है कि शून्यकाल के दौरान उठाए गए अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्व के मामले 2 फरवरी 2023 से उठाए जाएंगे. दो फरवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी, जिसके बाद प्रधानमंत्री मोदी संसद के दोनों सदनों में जवाब देंगे.
बजट सत्र दो हिस्सो में होगा
बुलेटिन में कहा गया है कि बजट सत्र दो हिस्सो में होगा. पहला हिस्सा 13 फरवरी 2023 तक चलेगा जबकि दूसरा पार्ट 13 मार्च को अवकाश के बाद 6 अप्रैल तक चलेगा. इस दौरान विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा होगी और केंद्रीय बजट पारित किया जाएगा. इस अवधि के दौरान अन्य विधायी व्यवसाय भी सरकार द्वारा उठाए जाएंगे.
पेपरलेस होगा बजट
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी 2023 को सुबह 11 बजे शुरू होगा और राष्ट्रपति संयुक्त सत्र में दोनों सदनों को संबोधित करेंगे, जिसके बाद आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को सुबह 11 बजे केंद्रीय बजट पेश करेंगी और इस बार यह पेपरलेस बजट होगा.
बजट सत्र में होंगी 27 बैठकें
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा. इसी दिन लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिभाषण होगा. संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि इस सत्र में 27 बैठकें होंगी और बजट के कागजात की जांच के लिए एक महीने के अवकाश के साथ 6 अप्रैल तक चलेगा.
क्या होता है प्रश्नकाल ?
दोनों सदन में कार्यवाही का एक वक्त या हिस्सा प्रश्नकाल होता है. प्रश्नकाल एक तरह से टाइम सेगमेंट है, जिसमें अन्य सांसद सरकार के मंत्रियों से सवाल पूछते हैं. यह टाइम राज्यसभा और लोकसभा में अलग-अलग होता है. अगर लोकसभा की बात करें तो लोकसभा की कार्यवाही में पहला घंटा (11 से 12 बजे) प्रश्नकाल कहा जाता है. प्रश्नकाल के दौरान सदस्य प्रशासन और सरकार के कार्यकलापों के प्रत्येक पहलू पर सवाल पूछते हैं. प्रश्नकाल के दौरान सरकार को कसौटी पर परखा जाता है और प्रत्येक मंत्री (जिसकी सवालों का जवाब देने की बारी होती है को खड़े होकर जवाब देना होता है.
क्या होता है शून्यकाल ?
शून्यकाल में भी कार्यवाही के दौरान सवाल ही पूछे जाते हैं. शून्यकाल भी प्रश्नकाल की तरह ही टाइम सेगमेंट है, जिसमें सांसद अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करते हैं. वहीं, दोनों सदनों में इसका टाइम अलग-अलग है. लोकसभा में तो कार्यवाही का पहला घंटा प्रश्नकाल होता है और उसके बाद का वक्त जीरो आवर यानी शून्यकाल होता है. वहीं, राज्यसभा में शून्यकाल से सदन की कार्यवाही की शुरुआत होती है और इसमें बाद में प्रश्नकाल होता है. वहीं, शून्यकाल में सांसद बगैर तय कार्यक्रम के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार व्यक्त करते हैं. लोकसभा में शून्यकाल तब तक खत्म नहीं होता, जबतक लोकसभा के उस दिन का एजेंडा खत्म नहीं हो जाता. कहा जाता है कि भारत में प्रश्नकाल का सिस्टम इंग्लैंड की वजह से शुरू हुआ है. इंग्लैंड में साल 1721 में इसकी शुरुआत हुई थी. भारत में संसदीय प्रश्न पूछने की शुरुआत 1892 के भारतीय परिषद् अधिनियम के तहत हुई.