कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. बस इंसान की सच्ची मेहनत और कड़ी लगन ही उसे अर्श से फर्श तक पहुंचाती है. कोई आदमी जूते बेचकर अरबों का मालिक कैसे बन सकता है इसकी बारे में शायद ही कभी किसी ने सोचा हो. लेकिन बरसों पहले हरि कृष्ण अग्रवाल ने वो सपना देखा और आज इसी सोच के दमपर फोर्ब्स ने उन्हें 1.1 बिलियन अमरीकी डालर यानी 9000 करोड़ की संपत्ति के साथ अरबपति कारोबारियों की लिस्ट में एक नए भारतीय के रूप में शामिल किया है.
हरि कृष्ण अग्रवाल दिल्ली स्थित कैंपस एक्टिववियर (Campus Activewear)के अध्यक्ष हैं, जो भारत में स्पोर्ट्स शूज के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2022 में 19.3 मिलियन जोड़े बेचे और राजस्व में UAAD 158 मिलियन की कमाई की. कैंपस एक्टिववियर के पूरे भारत में पांच कारखाने हैं. कैंपस एक्टिववियर भारत में स्पोर्ट्स शूज का सबसे बड़ा मैन्युफेक्चर और ब्रांड है.
कब की थी शुरुआत?
हरि कृष्ण अग्रवाल ने 1983 में एक्शन ब्रांड के साथ स्पोर्ट्स शूज बेचने का अपना बिजनेस शुरू किया था. वह अपनी पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं. कंपनी का आईपीओ आने के बाद 66 वर्षीय हरि कृष्ण अग्रवाल की संपत्ति में जबरदस्त इजाफा हुआ. कंपनी के शेयर मई 2022 में आईपीओ मूल्य से 23% से अधिक प्रीमियम पर लिस्ट हुए थे.
ग्राहकों को किया आकर्षित
हरि कृष्ण की दूरदर्शी सोच ने उनके बिजनेस को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई. 2005 में जब हरि कृष्ण अग्रवाल ने पाया कि भारतीय बाजार में Adidas, Reebok और Puma जैसे स्पोर्ट्स शूज काफी महंगी कीमत पर बिक रहे हैं तो उन्होंने मात्र 800 रुपये की कीमत में कैंपस स्पोर्ट्स शूज़ लॉन्च किए. उनकी इस सोच ने अपना असर दिखाया और कम कीमत के कारण बहुत सारे ग्राहकों को इस प्रोडक्ट ने आकर्षित किया.
साल 2021 में, कैंपस ने 13 मिलियन (1 करोड़ 30 लाख) शूज पेयर बेचे, जिससे उसे 90 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ. एक्सपर्ट्स के मुताबिक आने वाले महीनों में कैंपस के अपने कारोबार का विस्तार करने की उम्मीद है क्योंकि स्पोर्ट्स शूज भारत में फुटवियर सेक्टर के भीतर सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट है.
परिवार में किसकी क्या है जिम्मेदारी
हरिकृष्ण अग्रवाल के बेटे निखिल अग्रवाल एक इंडस्ट्रियल इंजीनियर हैं और अब वे कंपनी के सीईओ हैं. निखिल की पत्नी प्रेरणा कंपनी की चीफ मार्केटिंग ऑफिसर हैं. वहीं हरि कृष्ण अग्रवाल की पत्नी विनोद अग्रवाल सितंबर 2021 तक कंपनी के बोर्ड में थीं.