चतरा के रहने वाले कुमार शुभम सिंह बीटेक और एमबीए करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी लगे. उनको अच्छी-खासी सैलरी भी मिलती थी. लेकिन उनका मन जॉब में नहीं लगता था. इस दौरान उन्होंने अपनी कंपनी भी बनाई. लेकिन इन सभी सुविधाओं पर गांव पर सपना भारी पड़ा. शुभम ने परदेश छोड़कर गांव लौट आए. उन्होंने गांव में अपने खेतों में पेड़ लगाए. इसके साथ ही खेती और पशुपालन का काम करने लगे. इससे उनको लाखों रुपए की कमाई होती है.
नौकरी की, खुद की कंपनी बनाई-
कुमार शुभम सिंह सिमरिया प्रखंड के सोहरकला गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता विनय कुमार सिंह सरकारी नौकरी में थे. शुभम ने 12वीं की पढ़ाई के बाद दिल्ली और पुणे में पढ़ाई की. उन्होंने साल 2003 में बीटेक और 2007 में एमबीए किया. इसके बाद मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब की. इस दौरान उन्होंने अपनी कंपनी बनाई. जिससे अच्छी-खासी कमाई हो रही थी. लेकिन उनका मन उसमें नहीं लगता था. वो गांव लौटना चाहते थे. जल्द ही उनका सपना हकीकत में बदल गया.
सबकुछ छोड़कर लौटे गांव-
शुभम ने साल 2011 में जॉब छोड़कर गांव लौट आए. उन्होंने साल 2012 में गांव की साढ़े 7 एकड़ बंजर जमीन पर पौधे लगाना शुरू किया. इसके बाद ये सिलसिला चल निकला. साल 2015 में उस जमीन पर लाल और सफेद चंदन के 200 पेड़ लगाए. इसके साथ ही उन्होंने 1100 सागवान, 1100 शीशम, 1100 गम्हार, 1100 महुगनी, 600 आम, 1000 नींबू, 100 नासपाती के पौधे लगाए. शुभम अब तक 20 हजार पौधे लगा चुके हैं. पौधे लगाने का मकसद पर्यवरण संरक्षण है.
खेती-पशुपालन से कमाई-
कुमार शुभम स्ट्रॉबेरी की खेती भी करते हैं. इसके साथ ही वो पशुपालन और पोल्ट्री भी चलाते हैं. इसमें देसी मुर्गी, कड़कनाथ, बकरी, गाय, भैंस से लेकर डॉग ब्रीडिंग तक शामिल है. बत्तख और कड़नाथ मुर्गियों से रोजाना एक हजार अंडे मिलते हैं. इससे उनकी अच्छी-खासी कमाई होती है. आम जैसे फलदार पेड़ों से भी उनकी कमाई होती है. शुभम को इन सभी चीजों से 15 से 20 लाख रुपए की सालाना कमाई होती है.
गांव के युवाओं को दी नौकरी-
शुभम का प्रभाव गांव के युवाओं पर भी पड़ा है. शुभम की कोशिशों से गांव के एक दर्जन से अधिक युवाओं को रोजगार भी मिला है. कई लोग दूसरे शहरों में काम करते थे. लेकिन अब वो शुभम के साथ काम करते हैं.
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