TDS Deduction: टीडीएस काटने के लिए कंपनी को मांगनी होगी कर्मचारियों से जानकारी, चुन सकते हैं नया या पुराना टैक्स रिजीम

Central Board of Direct Taxes ने स्पष्ट किया है कि किसी भी नियोक्ता या एम्पलोयर को अपने कर्मचारियों से नए या पुराने Tax Regime में से उनकी चॉइस जानकर TDS काटना होगा.

Representational Image
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 06 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:41 AM IST
  • टैक्सपेयर्स चुनेंगे अपनी कर व्यवस्था 
  • पुरानी कर व्यवस्था में मिलती है छूट और कटौती की अनुमति

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हाल ही में निर्देश जारी किए हैं कि कंपनियों को वित्त वर्ष में कर व्यवस्था (Tax Regime) के लिए कर्मचारियों की प्रेफरेंस या चॉइस के बारे में विवरण मांगना होगा और उसके अनुसार टीडीएस काटना होगा. हालांकि, अगर कोई कर्मचारी अपनी चॉइस नहीं बताता है कि कंपनी या नियोक्ता को बजट 2023-24 में घोषित नई संशोधित कर व्यवस्था के अनुसार वेतन आय से टीडीएस की कटौती करनी होगी.

व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स के पास यह चुनने का विकल्प होता है कि वे पुरानी कर व्यवस्था में रहना चाहते हैं, जो छूट और कटौती देती है या नई कर व्यवस्था पर स्विच करें जिसमें टैक्स रेट्स कम हैं लेकिन कोई छूट नहीं है. 

टैक्सपेयर्स चुनेंगे अपनी कर व्यवस्था 
1 फरवरी को पेश किए गए बजट 2023-24 में वैकल्पिक छूट-मुक्त कर व्यवस्था में बदलाव किया गया, जो कि I-T अधिनियम की धारा 115BAC के तहत उपलब्ध है, ताकि सैलरी वाली कैटेगरी में आने वाले करदाताओं को नई कर व्यवस्था में जाने के लिए प्रेरित किया जा सके. संशोधित रियायती कर व्यवस्था को व्यक्तिगत करदाता (Individual Taxpayers) के लिए डिफ़ॉल्ट व्यवस्था बना दिया गया था. 

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष में नियोक्ताओं द्वारा टीडीएस कटौती पर स्पष्टीकरण जारी किया. सीबीडीटी ने कहा कि अधिनियम की धारा 192 के तहत किसी व्यक्ति की वेतन आय पर टीडीएस कटौती के संबंध में कई सवाल उठ रहे थे. क्योंकि कटौतीकर्ता, एक कंपनी या नियोक्ता होने के नाते, यह नहीं जानता होगा कि क्या व्यक्ति, एक कर्मचारी होने के नाते,अधिनियम की धारा 115BAC के तहत टैक्सेशन से बाहर होने का विकल्प चुनेंगे या नहीं. 

एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के ज्वाइंट पार्टनर (कॉरपोरेट एंड इंटरनेशनल टैक्स) ओम राजपुरोहित ने कहा कि नियोक्ताओं को सूचित करने के बाद भी, कर्मचारी रिटर्न दाखिल करते समय बाद में जिस टैक्स व्यवस्था में रहना चाहते हैं, उसे चुन सकते हैं. साथ ही, एक और स्पष्टीकरण यह दिया गया है कि यदि कर्मचारी टैक्स विकल्प के बारे में कोई जानकारी नहीं देता है तो डिफ़ॉल्ट मोड का उपयोग किया जाएगा. साथ ही, कंपनी या नियोक्ता पर टीडीएस डिफ़ॉल्ट लिटिगेशन भी फाइल नहीं किया जा सकेगा. 

क्या है नई कर व्यवस्था
नई कर व्यवस्था के तहत, जैसा कि बजट में घोषणा की गई थी, 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले लोगों के लिए कोई टैक्स नहीं होगा. 50,000 रुपये की मानक कटौती की भी अनुमति दी गई है और मूल छूट सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया है. 3-6 लाख रुपये के बीच की आय पर 5 प्रतिशत कर लगाया जाएगा; 6-9 लाख रुपये पर 10 फीसदी, 9-12 लाख रुपये पर 15 फीसदी, 12-15 लाख रुपये पर 20 फीसदी और 15 लाख रुपये और इससे ज्यादा की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा.

पुरानी कर व्यवस्था में है छूट और कटौती
पुरानी कर व्यवस्था में आपको छूट और कटौती की अनुमति मिलती है. हालांकि, इसकी मूल छूट सीमा 2.5 लाख रुपये है. साथ ही, 5 लाख रुपये सालाना आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना होता है. 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच की आय पर 5 प्रतिशत कर लगता है, जबकि 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच 20 प्रतिशत कर लगाया जाता है. 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी कर लगाया जाता है.

 

Read more!

RECOMMENDED