Exclusive : देश भर की महिलाओं के लिए मिसाल बन रहीं छोटे से राज्य उत्तराखंड की दीपा लोशाली, जैविक खेती कर कई औरतों को किया सशक्त

लोग अपने सपनों के पीछे तो अक्सर भागते हैं लेकिन, दूसरे के लिए सपना देखने वाले कम ही होते हैं. ऐसी ही सोच है उत्तराखंड के भीमताल से आगे परसोली गांव की रहने वाली दीपा लोशाली की, जोकि जैविक खेती कर आज खुद भी लाखों कमा रही हैं.

देश भर की महिलाओं के लिए मिसाल बन रहीं दीपा लोशाली
तनुजा जोशी
  • हल्द्वानी ,
  • 21 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST
  • जैविक खेती कर महिलाओं को रोजगार दे रहीं दीपा लोशाली
  • दीपा ने पति के साथ मिलकर की थी काम शुरुआत

महिलाओं को अपनों की ही नहीं बल्कि खुद की खुशी और ख्वाहिशों का ख्याल रखना भी आना चाहिए. जब एक महिला काम पर निकलती है तो वह कई लोगों के लिए प्रेरणा बनती है. दीपा लोशाली ने भी कुछ ऐसा ही किया. पहले नौकरी की तलाश में थीं फिर अपना खुद का काम शुरू करना ज्यादा जरूरी समझा, जिससे वह गांव की और महिलाओं को भी सशक्त कर सकें. 

लोग अपने सपनों के पीछे तो अक्सर भागते हैं लेकिन, दूसरे के लिए सपना देखने वाले कम ही होते हैं. ऐसी ही सोच है उत्तराखंड में हल्द्वानी के फताबंगर गांव  से आगे परसोली गांव की रहने वाली दीपा लोशाली की, जोकि जैविक खेती कर आज खुद भी लाखों कमा रही हैं और महिलाओं को भी इस काम से जोड़ने में मदद कर रही हैं. 

दीपा ने पति के साथ की थी काम शुरुआत 

दीपा की कोशिश थी कि वह हमेशा से महिलाओं के लिए आगे आए और बढ़-चढ़कर काम करें. पहले उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी काम किया लेकिन, जब उन्हें लगा कि उन्हें अपना काम शुरू करना चाहिए तो उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर बड़ी, मोमबत्ति और दालों के काम से शुरुआत की, जिसमें वह केवल खुद के लिए ही कमा पा रही थी. 

"जैविक खेती के साथ कई ऐसे व्यवसाय जुड़े हैं, जिसमें हमारे देश के हजारों लोग लगे हैं जैसे ऑर्गेनिक फूड बेचने की दुकान, ऑर्गेनिक फूड रेस्तरां. इसलिए मैंने सोचा मैं और मेरे पति भी ऐसा ही कुछ करके यहां कि महिलाओं को रोजगार देंगे" 

इन्होंने पीएमईजीपी (PMEGP)योजना के तहत एक युनिट की स्थापना की, जिसके जरिए वह महिलाओं को रोजगार दे रही है और लोगों तक जैविक उत्पाद पहुंचा रही हैं. 

जैविक खेती को ही क्यों चुना 

दीपा बताती हैं कि उन्होंने जैविक खेती (Organic Farming)को इसलिए चुना क्योंकि पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए फसलों के सतत विकास को पूरा करती है. साथ ही उन्हें कई महिलाओं को इससे जोड़ना था, जैविक खेती एक ऐसा रास्ता था जिससे वह खुद भी मुनाफा कमा सकती थीं और गांव की महिलाओं को भी रोजगार दे सकती थीं. 

दीपा अबतक 10 से 12 महिलाओं को रोजगार दे चुकी हैं

दीपा अब तक 10 से 13 महिलाओं को रोजगार दे चुकी हैं. वह पंतनगर से कई लोगों को अब तक इसकी ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं. उनके पति ने बताया कि वह आगे इस काम से और महिलाओं को भी जोड़ने के किए मेहनत कर रहे हैं. उनका सपना है कि वह ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को सशक्त बना सके. 

पहाड़ों की मुसीबतों का डट कर सामना करती हैं 

दीपा के पति ने बताया कि शुरुआत में उन्हें कई तरह की परेशानियां हुई. खेती करने से लेकर बेचने तक... उनके आगे कई परेशानियां आईं लेकिन, फिर भी उन दोनों ने हार नहीं मानी और आज दोनों मिलकर लाखों रुपये कमा रहे हैं और लोगों को रोजगार दे रहे हैं. 

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