Success Story: इंफोसिस में करते थे चपरासी का काम, 9 हजार थी सैलरी... फिर शुरू किया बिजनेस, आज करोड़ों का है कारोबार

DooGraphics: महाराष्ट्र के बीड के रहने वाले दादा साहेब भगत ने कुएं खोदने से लेकर मजदूरी तक की. इसके बाद इंफोसिस में चपरासी का काम किया. उन्होंने टॉयलेट तक साफ किया. लेकिन उनकी सीखने की आदत ने उनको एक सफल इंसान बना दिया. आज वो करोड़ों की कंपनी के मालिक हैं. उनके पास ऑडी कार है.

Dadasaheb Bhagat (Image Credit: Instagram/dadasaheb_bhagat)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST

जुनून और हौसला हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है. ये कहावत पूरी तरह से महाराष्ट्र के एक शख्स पर फिट बैठती है. ये कहानी ऐसे शख्स की है, जिसने घर चलाने के लिए गांव में मजदूरी की. इंफोसिस में चपरासी का काम किया. झाड़ू लगाया, टॉयलेट साफ किया. लेकिन हिम्मत नहीं हारी. इस दौरान उस युवक ने ग्राफिक डिजाइनिंग सीखी और चपरासी की नौकरी छोड़कर ग्राफिक्स कंपनी के साथ काम करने लगा. इस बीच उस लड़के का एक्सीडेंट हो गया. घर बैठना पड़ा. इस दौरान उसने दोस्त के लैपटॉप से टैम्पलेट बनाकर ऑनलाउन बेचना शुरू किया. जब इस काम से पैसे मिलने लगे तो उस शख्स ने खुद की कंपनी शुरू करने की ठान ली. उसने कंपनी बनाई और कंपनी तेजी से आगे बढ़ती गई. उस युवक का नाम दादा साहेब भगत है और उनकी कंपनी का नाम  DooGraphics है.

इंफोसिस में चपरासी की नौकरी की-
दादा साहेब भगत का जन्म साल 1994 में महाराष्ट्र के बीड में हुआ था. उन्होंने गांवों में पिता के साथ कुएं खोदने का काम किया, मजदूरी की. किसी तरह से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने 4000 रुपए की नौकरी की. इस दौरान उनको किसी ने बताया कि इंफोसिस में 9000 रुपए की नौकरी है, लेकिन काम चपरासी का है. दादा साहेब ने चपरासी की नौकरी कर ली. झाड़ू-पोछा किया, टॉयलेट साफ किया.

नौकरी के साथ कंप्यूटर सीखना शुरू किया-
इंफोसिस में काम करने के दौरान दादा साहेब ने कर्मचारियों को कंप्यूटर पर काम करते देखा. उनके मन में भी कंप्यूटर जानने की इच्छा हुई. इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर सीखना शुरू किया. वो दिन में ऑफिस में काम करते थे और रात में ग्राफिक्स डिजाइनिंग और एनिमेशन की पढ़ाई करते थे. उन्होंने नौकरी करते हुए C++ Python का कोर्स किया. 

एक्सीडेंट से बदली जिंदगी-
कंप्यूटर सीखने के बाद दादा साहेब ने चपरासी की जॉब छोड़ दी और एक ग्राफिक्स कंपनी में काम करने लगे. इस दौरान उन्होंने ग्राफिक्स संबंधी कई काम सीखा. इस कंपनी में उन्होंने 3-4 साल काम किया. लेकिन इस दौरान भगत के साथ हादसा हो गया. उनका एक्सीडेंट हो गया. उनको घर में बैठना पड़ा. इस दौरान दादा साहेब ने एक दोस्त से लैपटॉप लिया और घर से ही टैम्प्लेट बनाकर ऑनलाइन बेचना शुरू किया. इससे सैलरी से ज्यादा कमाई होती थी. इसके बाद उन्होंने अपनी कंपनी शुरू करने की ठान ली.

दादा साहेब ने बनाई कंपनी-
दादा साहेब भगत ने इसके बाद साल 2016 में Ninthmotion कंपनी शुरू की. जब कंपनी के पास 40 हजार से ज्यादा एक्टिव यूजर्स आने लगे तो उन्होंने ऑनलाइन ग्राफिक्स डिजाइनिंग का नया सॉफ्टवेयर डिजाइन कर दिया. इसका नाम DooGraphics है. इस कंपनी के पास बड़ी-बड़ी कंपनियों से ऑफर आने लगे. दादा साहेब की कंपनी लोगों को ग्राफिक टैम्पलेट बनाकर देती है. कंपनी मोशन ग्राफिक और 3डी टैम्प्लेट भी बनाती है. दादा साहेब भगत आज दो कंपनियों के मालिक हैं. ये कंपनी कई लोगों को रोजगार भी देती है.

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