Lantana Camara to Eco-Wood: इस खरपतवार को इको-फ्रेंडली लकड़ी में बदल रहा है यह इनोवेटर... 100 से ज्यादा इनोवेशन कर बने Recycle Man of India

यह कहानी है अहमदाबाद के रहने वाले इनोवेटर और उद्यमी डॉ. बिनीश देसाई की. डॉ. बिनीश ने लैंटाना कैमारा को 'इको-वुड' में बदलकर मिसाल पेश की है.

Dr. Binish Desai (Facebook)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 08 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 3:16 PM IST

पिछले कुछ समय से लैंटाना कैमारा नामक एक खरपतवार काफी चर्चा में है. चर्चा का कारण है हमारी बायोडाइवर्सिटी पर मंडराता खतरा. लैंटाना कैमारा एक खरपतवार है और यह ग्रेज़िंग लैंड, चरागाह, बाग-बगीचों और कॉफी, चाय, कपास, नारियल, पाम ऑयल आदि जैसे बागानों को संक्रमित कर रही है. इसकी वजह से जानवरों के हैबिटैट खतरे नें आ रहे हैं और फसलों को भी नुकसान पहुंच रहा है. 

लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे शख्स के बारे में जो इस खतरनाक खरपतवार से इको-फ्रेंडली लकड़ी बना रहे हैं. यह कहानी है अहमदाबाद के रहने वाले इनोवेटर और उद्यमी डॉ. बिनीश देसाई की. डॉ. बिनीश ने लैंटाना कैमारा को 'इको-वुड' में बदलकर मिसाल पेश की है. डॉ. बिनीश के इस प्रोजेक्ट का इम्पैक्ट काफी ज्यादा है. 

बना रहे हैं कई तरह के प्रोडक्ट्स 
डॉ. बिनीश ने अपने इंटरव्यू में बताया कि अगर लैंटाना कैमारा से बनी लकड़ी से एक मेज बनाई जाती है तो मतलब आपने 15 किलोग्राम कार्बन एमिशन को रोक लिया. उन्होंने बताया कि जिम कॉर्बेट की एक ट्रिप के दौरान उन्होंने देखा कि लैंटाना कैमारा काफी ज्यादा मात्रा में फैली हुई है. उन्होंने इस प्लांट के तने, टहनी, पत्ते और फूल आदि को कलेक्ट किया और फिर धोकर सुखाया. सूखने के बाद इको पीसकर पाउडर बनाया गया और फिर इस पाउडर में बाइंडर मिलाया जाता है. 

82 प्रतिशत लैंटाना पाउडर में 18 प्रतिशत बाइंडर मिलाया जाता है. फिर इसे स्टेबलाइज होने के लिए रखा जाता है. बाद में, इस मैटेरियल को अलग-अलग मोल्ड में डालकर अलग-अलग चीजें जैसे फ्लोरिंग, काउंटरटॉप्स, किचन कैबिनेट, फर्नीचर, डेकॉर आइटम जैसे लैंप, बर्तन आदि बनाए जाते हैं. बाद में, इन उत्पादों को पेंट किया जाता है. 

पहले भी कर चुके हैं कई तरह के इनोवेशन 
गुजरात के वलसाड़ में जन्मे बिनीश ने बायोटेक्नोलॉजी में एमएससी की. उनके पास टेक्सस यूनिवर्सिटी से एनवायरमेंटल साइंसेज में मानद पीएचडी डिग्री है. बिनीश हमेशा से कुछ न कुछ इनोवेशन करने में दिलचस्पी लेते रहे हैं. बचपन में उन्हें डेक्सटर्स लैबोरेटरी नामक कैर्टून शो ने बहुत इंस्पायर किया. उन्होंने 11 साल की उम्र में ही घर पर ही च्युइंग गम और कागज़ के साथ प्रयोग करके अपनी इनोवेशन की यात्रा शुरू कर दी थी. 

वर्तमान में, वह 147 इनोवेशन कर चुके हैं और उनके नाम 19 पेटेंट हैं. आज वह इकोइक्लेक्टिक टेक्नोलॉजीज के बैनर तले अपने प्रोजेक्ट्स कर रहे हैं. उन्होंने अब तक 150 से ज़्यादा इको-प्रोडक्ट बनाए हैं. उन्होंने वेस्ट को रिसायकल करके पी-ब्रिक बनाई जिससे कंस्ट्रक्शन सस्ता हो सके. उन्होंने पी-ब्रिक्स से ग्रामीण गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में 11,000 शौचालय, घर और इमारतें बनाईं. 

'द रिसायकल मैन ऑफ इंडिया'
बिनीश का नाम 2018 में फोर्ब्स 30 अंडर 30 एशिया की सफल सामाजिक उद्यमियों की सूची में भी शामिल किया गया था. उद्यमी और लेखक, निखिल चंदवानिया ने उसी साल 'द रीसाइकिल मैन' नामक पुस्तक के रूप में बिनीश की जर्नी को डॉक्यूमेंट किया. साल 2023 में उन्होंने अपनी कंपनी के तहत, ReArtham ब्रांड की शुरुआत की. यह ब्रांड अब कमर्शियली इको-वुड प्रोडक्ट्स का उत्पादन कर रही है. 

कंपनी अलग-अलग वेस्ट को रिसायकल करके कई तरह के प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है. इन सभी प्रोजेक्ट्स से उनका सालाना टर्नओवर 60 लाख से ज्यादा हो रहा है. जैसे पीओपी गणेश मूर्तियों से स्कूल के लिए बेंच बनाई जा रही हैं. उन्होंने कोरोना काल में फेस मास्क, पीपीई किट आदि के वेस्ट से इको-ब्रिक बनाई थी. बिनीश का कहना है कि हमारे यहां कुछ वेस्ट नहीं होता है आप इससे कमाई कर सकते हैं. 

 

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