दिल्ली ने बेंगलुरु से छीना स्टार्टअप कैपिटल का तमगा, इस बार के इकोनॉमिक सर्वे में सामने आई बात

सोमवार को संसद में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे 2021-22 के अनुसार, अप्रैल 2019 और दिसंबर 2021 के बीच बेंगलुरु में 4,514 नए स्टार्टअप बने, जबकि दिल्ली में 5,000 से भी अधिक स्टार्टअप शुरू किए गए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी को बधाई देने के लिए ट्विटर पर लिखा, ''एक और उपलब्धि के लिए दिल्ली को बधाई! 5,000 स्टार्टअप के साथ दिल्ली ने स्टार्ट-अप कैपिटल के रूप में बेंगलुरु की जगह ले ली है.”

दिल्ली में 5,000 से भी अधिक स्टार्टअप शुरू किए गए.
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:39 PM IST
  • भारत के पास 277.77 अरब डॉलर के वैल्यू वाले कुल 83 यूनिकॉर्न
  • पेटेंट आवेदनों में हुई जबरदस्त वृद्धि 

बेंगलुरु को पिछले कई सालों से भारत का स्टार्टअप कैपिटल कहा जाता रहा है. लेकिन इस साल के इकोनॉमिक सर्वे की मानें तो भारत की राजधानी दिल्ली ने बेंगलुरु से ये तमगा छीन लिया है. सोमवार को संसद में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे 2021-22 के अनुसार, अप्रैल 2019 और दिसंबर 2021 के बीच बेंगलुरु में 4,514 नए स्टार्टअप बने, जबकि दिल्ली में 5,000 से भी अधिक स्टार्टअप शुरू किए गए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी को बधाई देने के लिए ट्विटर पर लिखा, ''एक और उपलब्धि के लिए दिल्ली को बधाई! 5,000 स्टार्टअप के साथ दिल्ली ने स्टार्ट-अप कैपिटल के रूप में बेंगलुरु की जगह ले ली है.”

भारत के पास 277.77 अरब डॉलर के वैल्यू वाले कुल 83 यूनिकॉर्न

पूरे देश में महाराष्ट्र के पास सबसे अधिक कुल 11,308 मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं. रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि  2021 में भारत के 44 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने, जिसकी वजह से यूके को पछाड़कर भारत अमेरिका और चीन के बाद 2021 में सबसे अधिक  यूनिकॉर्न बनाने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया. वर्तमान में, भारत के पास 277.77 अरब डॉलर के वैल्यू वाले कुल 83 यूनिकॉर्न हैं.

पेटेंट आवेदनों में हुई जबरदस्त वृद्धि 

सर्वे के मुताबिक भारत में दायर पेटेंट की संख्या भी 2016-17 के 45,444 से बढ़कर 2020-21 में 58,502 हो गई. इसी तरह देश में दिए गए पेटेंट की संख्या भी 9,847 से बढ़कर 28,391 हो गई. खास बात यह है कि इस बार मल्टीनेशनल कंपनियों के बजाय भारतीयों की तरफ से पेटेंट आवेदनों की संख्या तेजी से आ रही है. कुल आवेदनों में भारतीय निवासियों की हिस्सेदारी 2010-11 में 20 प्रतिशत थी. 2016-17 में यह बढ़कर लगभग 30 प्रतिशत हुई  और 2020-21 में यह 40 प्रतिशत हो गई है.

 

Read more!

RECOMMENDED