उत्तर प्रदेश में इटावा शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित एक हाइड्रोपोनिक फार्म इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह फार्म पांच हजार स्क्वायर फीट में फैला है. इस फार्म पर हाइड्रोपोनिक फार्मिंग तकनीक से पत्तेदार सब्जियां उगाई जाती हैं.
विशेष बात यह है कि ये सब्जियां बिना मिट्टी, बिना खाद और बिना केमिकल के तैयार हो रही हैं. बहुत ही कम समय में ये सब्जियां उगती हैं और बैक्टीरिया रहित आरओ वाटर से तैयार होती हैं. दिलचस्प यह है कि इस कारनामे को करने वाला कोई मंझा हुआ किसान नहीं बल्कि एक 25 साल की लड़की है.
यह कहानी है 25 साल की पूर्वी मिश्रा की, जिन्होंने लंदन से बीबीए-एमबीए किया है. पढ़ाई के बाद हीरो कंपनी की मार्केटिंग की जॉब की और अब हाइड्रोपोनिक फार्मिंग से नाम और पैसा कमा रही हैं.
कोरोना काल में आया आइडिया:
कोरोना काल में जब लॉकडाउन लगा तो सभी व्यापार प्रभावित हुए और उस समय कोरोना से भी लोग जूझ रहे थे. हर कोई अपनी इम्यूनिटी पर काम कर रहा था. तब पूर्वी के दिमाग में यह हाइड्रोपोनिक फार्मिंग का आइडिया आया और उन्होंने सामान्य खेती की तकनीक को बदलने के लिए इजरायल की इस तकनीक को अपनाया.
जिसमें बिना मिट्टी के कम पानी में ही इम्यूनिटी बुस्टर कही जाने वाली पत्तेदार सब्जियां उगाई जा सकती हैं. पूर्वी ने यह आइडिया अपने घरवालों को बताया. सभी की मदद से उन्होंने हाइड्रोपोनिक फार्मिंग शुरू की.
बना लिया बिजनेस:
पूर्वी किसी भी मौसम की सब्जी अपने हाइड्रोपोनिक सिस्टम से उगाती हैं. जिनमें खासतौर पर लेटस, बटर हेड, ग्रीकओक, रेड ओक, लोकरसि, कैल, बोक चॉय, बेसिल, ब्रोकली, रेड कैप्सिकम, येलो कैप्सिकम, चेरी टोमाटो, और भी अन्य विदेशी सब्जियां शामिल हैं.
इन सब्जियों को वह बड़े होटल रेस्टोरेंट्स को बेच रही हैं. पूर्वी मिश्रा ने बताया कि इस खेती में मिट्टी का कोई भी प्रयोग नहीं होता है. सिर्फ पानी का प्रयोग होता है. कोकोपीट में सब्जियां उगाई जाती हैं. इसे लोग सॉइलेस फॉर्मिंग भी बोलते हैं.
इसमें एनएफटी टेबल लगाई गई है जिसमें पानी का फ्लो होता है. यह पानी वापस जाकर फिर से रीसायकल होता है. इसमें 80% पानी की बचत होती है.
कर रही हैं अच्छी कमाई:
उन्होंने आगे कहा कि उनकी सब्जियां रेस्टोरेंट और होटल में सप्लाई हो रही हैं. पास के शहर आगरा और कानपुर में भी सप्लाई होती है. उनकी रुचि हमेशा से कृषि में थी. जब उनका करियर शुरू हुआ तो कोविड आ गया.
ऐसे में, उन्होंने मार्केटिंग की नौकरी छोड़ कर खेती को अपनाया ताकि लोगों को शुद्ध खिला सकें. साथ ही वह अच्छी कमाई कर रही हैं. वह युवाओं को भी अपना कोई काम करने की सलाह देती हैं.
(अमित तिवारी की रिपोर्ट)