Air Fare Cap: जल्द सस्ती हो सकती है फ्लाइट की टिकटें, सरकार ने 27 महीने बाद हटाया फेयर कैप

कोरोना के कारण दो महीने के लॉकडाउन के बाद 25 मई 2020 को सर्विसेज फिर से शुरू होने पर एविएशन मिनिस्ट्री ने फ्लाइट ड्यूरेशन के आधार पर एयर फेयर पर लोअर और अपर लिमिट लगा दी थी.

जल्द सस्ती हो सकती है फ्लाइट की टिकटें, सरकार ने 27 महीने बाद हटाया फेयर कैप
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 8:46 AM IST
  • 27 महीने बाद हटा एयर फेयर
  • 2020 में लगा था फेयर कैप

एयरलाइंस कंपनियां अब बिना किसी प्रतिबंध के टिकट का प्राइस तय कर सकेगी. दरअसल सरकार ने कोरोना महामारी के वक्त लगाए गए एयर फेयर कैप को पूरी तरह हटाने का फैसला किया है. एयर फेयर कैप के ऊपरी और निचली दोनों लिमिट को हटाया जा रहा है, जो कि 31 अगस्त से लागू होगा. 

27 महीने बाद हटा एयर फेयर
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि लगभग 27 महीने की अवधि के बाद, घरेलू हवाई किराए पर लगाई गई सीमा 31 अगस्त से हटा दी जाएगी. हालांकि, एयरलाइंस यह तय करने के लिए स्वतंत्र होगी कि 31 अगस्त के बाद यात्रियों से क्या शुल्क लिया जाए. फेयर कैप वर्तमान में 15 दिनों के साइकिल के लिए रोलिंग बेसिस पर लागू है. यानी फ्लाइट बुकिंग की तारीख से 15 दिनों की अवधि के बाद की टिकटों की कीमतें निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं.

टिकट में मिल सकती है छूट
सरकार के इस फैसले से  इंडिगो, स्पाइसजेट, एयर इंडिया, विस्तारा और नई एयरलाइन अकासा सहित अन्य दूसरी एयरलाइंस को राहत मिलेगी. दरअसल भारत के डोमेस्टिक एयर ट्रैवल में फिर से यात्रियों की संख्या पूर्व-कोविड स्तरों को छू रही है. जिससे एयरलाइंस का रेवेन्यू बढ़ रहा है. 

उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसको लेकर एक ट्वीट भी किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि, "हवाई किराया सीमा को हटाने का निर्णय दैनिक मांग और एयर टरबाइन ईंधन (एटीएफ) की कीमतों के सावधानीपूर्वक विश्लेषण के बाद लिया गया है. स्थिरीकरण शुरू हो गया है और हम निश्चित हैं कि यह क्षेत्र निकट भविष्य में घरेलू यातायात में वृद्धि के लिए तैयार है."

2020 में लगा था फेयर कैप
कोरोना के कारण दो महीने के लॉकडाउन के बाद 25 मई 2020 को सर्विसेज फिर से शुरू होने पर एविएशन मिनिस्ट्री ने फ्लाइट ड्यूरेशन के आधार पर एयर फेयर पर लोअर और अपर लिमिट लगा दी थी. दरअसल ऐसा इसलिए किया गया था ताकि ट्रैवल रिस्ट्रिक्शन के कारण आर्थिक रूप से संघर्ष कर रही एयरलाइनों की मदद मिल सके, जिसके लिए लोउर फेयर बैंड लगाया गया था. अपर लिमिट इसलिए लगाई गई थी, ताकि सीटों की मांग अधिक होने पर यात्रियों से ज्यादा किराया न वसूला जाए.

 

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