क्या होता है Hindu Rate of Growth, जीडीपी में गिरावट को लेकर क्या बोले पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, यहां जानिए

भारत में 1950 से 1980 के दशकों के बीच जीडीपी की 3.5% की बेहद धीमी विकास दर को Hindu Rate of Growth कहा जाता है. आरबीआई के पूर्व गवर्नर Raghuram Rajan ने हिंदू ग्रोथ रेट को लेकर चिंता जताई है. 

जीडीपी में गिरावट
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 5:24 PM IST
  • रघुराम राजन ने हिंदू ग्रोथ रेट को लेकर जताई चिंता 
  • GDP 13.2 फीसदी से घटकर महज 4.4 फीसदी रह गई है

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हिंदू ग्रोथ रेट को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि भारत इसके खतरनाक स्तर के बहुत करीब पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि निवेश में निजी क्षेत्र की घटती अनिच्छा, रिजर्व बैंक के लगातार दरें बढ़ाने व इस साल भी वैश्विक विकास दर में गिरावट की आशंका को देखते हुए नहीं पता कि हमें विकास दर तेज करने की गति कहां से मिलेगी.

जताई चिंता
रघुराम राजन ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय की ओर से हाल में जारी तीसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े चिंतित करने वाले हैं. आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 6.3 फीसदी और पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 13.2 फीसदी से घटकर महज 4.4 फीसदी रह गई है. इससे पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 5.2 फीसदी था. रघुराम राजन ने कहा कि ये आंकड़े बड़ी चिंता का सबब बन रहे हैं. 

पांच प्रतिशत दर हासिल की तो होंगे भाग्यशाली
रघुराम राजन ने कहा कि मुख्य सवाल यह है कि 2023-24 में भारत का विकास कैसा रहेगा. अगर हम 5 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करते हैं, तो हम भाग्यशाली होंगे. रिपोर्ट में अगले वित्तीय वर्ष में Economic Growth और घटने का अनुमान जताया गया है. RBI की ओर से एक के बाद एक लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जा रही है. इस सबके बीच ग्लोबल ग्रोथ भी धीमे रहने की आशंका है. 

हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ का क्या है मतलब
हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ शब्दावली का आशय धर्म से नहीं बल्कि अर्थशास्त्र से है. 1947 में भारत आजाद हुआ तो देश की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. अगले तीन दशक (1951-52 से 1979-80 तक) विकास दर बेहद धीमी रही. इस अवधि में देश की औसत वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर महज 3.5 प्रतिशत के आस-पास थी. यही वजह है कि सत्तर के दशक में जाने माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर राज कृष्ण ने इस धीमी विकास दर को 'हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ' नाम दिया. प्रोफेसर राजकृष्ण ने 50 से 70 के दशक तक निम्न आर्थिक वृद्धि के लिए 'हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ' शब्दावली का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा कि कुछ भी कर लें, लेकिन हमारी विकास दर इतनी ही रहती है। प्रोफेसर राज कृष्ण हसमुख स्वभाव के थे और उन्होंने हसी-मजाक में यह बात कही थी। यह बात अलग है कि आज तक उनकी इस शब्दावली का व्यापक तौर पर इस्तेमाल हो रहा है.


 

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