Gen Z and Financial Anxiety: हर वक्त सताता रहता है पैसे कमाने का डर, आखिर क्या है Gen Z के बीच बढ़ रहा मनी डिस्मॉर्फिया

मनी डिस्मोर्फिया में सबसे बड़ा योगदान सोशल मीडिया का है. इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म ने पैसों और फाइनेंशियल नॉलेज को लेकर एक अलग स्टैंडर्ड सेट किया है. जिससे प्रभावित होकर युवा अलग-अलग फैसले लेते हैं और उनके मन में इसे लेकर डर पैदा होता है.

Gen Z and Financial Anxiety (Representative Image/Unsplash)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST
  • आज की आर्थिक स्थिति है एकदम अलग 
  • सोशल मीडिया है बड़ी वजह 

आज के डिजिटल युग में युवाओं के पास कई करियर ऑप्शन हैं और उतनी ही ज्यादा फाइनेंशियल इन्फॉर्मेशन. खासकर जेनरेशन Z (Generation Z) या जिन्हें जेन-Z भी कहते हैं. जेन-Z वो युवा हैं जिनका जन्म 1997 और 2012 के बीच हुआ है. अब जेन-Z को लेकर ही एक नई रिपोर्ट सामने आई है. इसमें पता चला है कि लगभग आधे युवा "मनी डिस्मॉर्फिया" (Money Dysmorphia) का अनुभव कर रहे हैं. 

मनी डिस्मॉर्फिया क्या है? 
मनी डिस्मोर्फिया नॉर्मल फाइनेंशियल स्ट्रेस से काफी परे है. इसमें अपने फाइनेंशियल स्टेटस के बारे में लगातार चिंता करना शामिल है. बिजनेस इनसाइडर के साथ एक इंटरव्यू में अमांडा क्लेमैन ने बताया कि ज्यादा सोचने वाले लोग पैसे पर ध्यान केंद्रित करते हैं. उनके लिए अपने पैसों को लेकर स्ट्रेस लेना काफी आसान होता है. और जब उनकी जिंदगी में बड़े बदलाव होते हैं तब ये स्ट्रेस और बढ़ जाता है. जैसे-शादी, घर खरीदना, करियर बदलना या परिवार शुरू करना. 

आज की आर्थिक स्थिति है एकदम अलग 
दरअसल, आज की आर्थिक स्थिति पिछली पीढ़ियों से बिल्कुल अलग है. लगभग 50% Zoomers (जेन Z व्यक्ति) शादी, परिवार शुरू करने या घर खरीदने जैसी प्रमुख घटनाओं के लिए वित्तीय सहायता के लिए अपने माता-पिता पर भरोसा करते हैं क्लेमैन के अनुसार, पहले की पीढ़ियों ने सोशल मीडिया के दबाव, क्रेडिट कार्ड और ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा से मुक्त होकर, अपने सभी निर्णय लिए थे. लेकिन आज ऐसा नहीं है. 

सोशल मीडिया है बड़ी वजह 
मनी डिस्मोर्फिया में सबसे बड़ा योगदान सोशल मीडिया का है. इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म ने पैसों और फाइनेंशियल नॉलेज को लेकर एक अलग स्टैंडर्ड सेट किया है. जिससे प्रभावित होकर युवा अलग-अलग फैसले लेते हैं और उनके मन में इसे लेकर डर पैदा होता है. कई बार यह अधूरी जानकारी भी इसकी वजह होती है. यूजर्स दूसरे लोगों के लग्जरी हॉलिडे, महंगी कारें और डिजाइनर कपड़े देखते हैं और मानते हैं कि उनके आसपास हर कोई आर्थिक रूप से सुरक्षित है. और इससे उन्हें अपने पैसों को लेकर चिंता सताने लगती है. 

पेंशन से लेकर सेल्फ फंडेड रिटायरमेंट तक  
इसके अलावा, लोग पेंशन से हटकर सेल्फ फंडेड रिटायरमेंट की ओर जा रहे हैं. मुद्रास्फीति और जीवन यापन की बढ़ती लागत के साथ, यह बदलाव एक और अलग दबाव डाल रहा है. 

पिछली पीढ़ियों, जैसे कि बेबी बूमर्स और जेनरेशन X, के पास अलग-अलग वित्तीय सहायता थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. उनके पास अक्सर स्टेबल पेंशन, किफायती घर और बाजार तक पहुंच होती थी. इन सबमें सबसे बड़ा था कि उनके पास सोशल मीडिया और क्रेडिट कार्ड की सुविधा नहीं थी. इससे उनमें घबराहट और चिंता का खतरा कम होता था. 

ऐसे में जरूरी है कि जेन Z को अपनी जरूरतों के हिसाब से अपनी फाइनेंशियल स्ट्रेटेजी प्लान करनी चाहिए. इससे उनकी चिंता कुछ हद तक कम हो सकती है. इसके अलावा उन्हें फाइनेंस से जुड़े प्रोग्राम में भाग लेना चाहिए ताकि उन्हें अधूरी जानकारी न हो. 

 

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