Success Story of Godrej: ताला बनाने से लेकर सैटेलाइट्स तक, ब्रिटिश भारत में हुई थी शुरुआत, दुनिया को दिए Made in India प्रोडक्ट्स

Godrej Group: रिपोर्ट्स के मुताबिक, जल्द ही गोदरेज परिवार अपने बिजनेस का बंटवारा करने जा रहा है. गोदरेज ग्रुप देश के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप्स में से एक है. आज जानिए इसकी सफलता की कहानी.

Godrej Success Story
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 04 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 3:04 PM IST
  • घरेलु ब्रांड बन गया गोदरेज 
  • दुनियाभर में पहुंचाए Made in India प्रोडक्ट्स 

गोदरेज, एक ब्रांड नाम है जो भारत और विदेशों में अलमारियों का पर्याय है. हालांकि, इस कंपनी के पीछे एक बहुत ही दिलचस्प कहानी है और विरासत है. यह ब्रांड भारत की आजादी से बहुत पहले शुरू किया गया था और इसे एनी बेसेंट और रविंद्रनाथ टैगोर जैसे भारत के महान लोगों का सपोर्ट मिला. गोदरेज कंपनी इतना लोकप्रिय था कि इंग्लैंड की रानी ने भी 1921 में भारत की यात्रा के दौरान उनके एक आविष्कार का उपयोग किया था. 

गोदरेज की कहानी सिर्फ बड़े और फैले हुए बिजनेस के बारे में नहीं है. बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो ब्रिटिश भारत में इंग्लैंड से आने वाले ताले से भी बेहतर ताले बनाता था, और वह भी एक छोटे से शेड में. 7 मई 1897 को, अर्देशिर गोदरेज ने वकालत छोड़ने के बाद एक शेड में गोदरेज कंपनी की नींव रखी.

उन्होंने देखा कि विदेशी निर्मित तालों में एक इंटीग्रेटेड स्प्रिंग होता था जो अक्सर टूट जाता था, जिससे उन्हें ताले बनाकर मार्केट करने का ख्याल आया. उन्होंने काम शुरू किया और यह चल पड़ा. उनके ताले इंग्लैंड से आयातित तालों की तुलना में ज्यादा किफायती होते थे. अर्देशिर ने अपने भाई पिरोजशा के साथ मिलकर गोदरेज ब्रदर्स कंपनी की स्थापना की, जिसे आज गोदरेज ग्रुप के नाम से जाना जाता है. 

'गोदरेज' नाम के पीछे की कहानी
अर्देशिर एक पारसी थे जिनका जन्म 1868 में बॉम्बे (अब मुंबई के रूप में जाना जाता है) में हुआ था. वह अपने माता-पिता के छह बच्चों में सबसे बड़े थे. जब अर्देशिर लगभग तीन साल के थे, तब उनके पिता बुर्जोरजी गुथेराजी ने परिवार का नाम बदलकर गोदरेज रख दिया और इस तरह कंपनी का नाम भी 'गोदरेज' पड़ा. लॉ स्कूल से पढ़ने के बाद, अर्देशिर को 1894 में बॉम्बे सॉलिसिटर की एक फर्म में काम मिला. लेकिन वह अपने मामलों में कोर्ट में झूठ की हेरफेर नहीं कर पाए और इसलिए इस प्रोफेशन को उन्होंने छोड़ दिया. 

इसके बाद उन्होंने एक केमिस्ट की दुकान पर काम किया. यहां काम करते-करते उन्होंने ठान लिया कि वह अपना खुद का बिजनेस करेंगे. उन्होंने कुछ पैसे जुटाकर एक छोटी-सी जगह में ताले बनाना शुरू किया. उनके ताले काफी लोकप्रिय हुए लेकिन अर्देशिर को और आगे बढ़ना था और वह अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहे. 1897 में कंपनी स्थापित होने के कुछ साल बाद, उन्होंने साबुन बनाना शुरू किया. यह दुनिया में अब तक का पहला एनिमल-फैट-फ्री साबुन है. 

घरेलु ब्रांड बन गया गोदरेज 
गोदरेज ने 1923 में अलमारी (स्टील की अलमारी) के साथ फर्नीचर लॉन्च किया. इसके बाद यह घर-घर में पहुंचने लगा और शादी-ब्याह में गोदरेज के प्रोडक्ट्स देना शान की बात हो गई थी. साल 1952 में गोदरेज ने सिंथॉल साबुन लॉन्च किया, जिसने उन्हें भारत में दूसरे सबसे बड़े साबुन निर्माता के रूप में रैंकिंग दी. 1958 में कंपनी ने रेफ्रिजरेटर लॉन्च किया. 1990 के दशक में, गोदरेज प्रॉपर्टीज़ की स्थापना करके, कंपनी ने भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में कदम रखा. 

इसके एक वर्ष के बाद, कंपनी ने गोदरेज एग्रोवेट की स्थापना करके कृषि व्यवसाय में कदम रखा. 1997 में, गोदरेज ने एक समूह के रूप में अपने अस्तित्व के 100 साल पूरे किये. साल 2005 में गोदरेज नेचर बास्केट की शुरुआत के साथ, गोदरेज ने स्वादिष्ट खुदरा बाजार में प्रवेश किया. 30 से ज्यादा प्रीमियम आउटलेट के साथ, कंपनी वर्तमान में दुनिया भर से बढ़िया सामानों के लिए भारत का टॉप शॉपिंग डेस्टिनेशन है. 

2008 में, भारत चंद्रयान-1 के साथ चंद्रमा पर मानवरहित मिशन तैनात करने वाला पांचवां देश बन गया था. इस मिशन में गोदरेज कंपनी का भी योगदान रहा. कंपनी ने मिशन के प्रक्षेपण यान और चंद्र ऑर्बिटर के निर्माण में मदद की. भारत के पहले मंगल मिशन पर, गोदरेज को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ काम करने का सम्मान मिला है. सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल गोदरेज एयरोस्पेस इंजन से ऑपरेशनल है.

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दोनों ने 2017 में गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड को लिस्ट किया. गोदरेज ने 2019 में नाइजीरिया की डांगोट ऑयल रिफाइनरी के लिए 95 मीटर लंबा कंटीन्यूअस कैटेलिटिक रीजेनरेशन रिएक्टर दिया, जो दुनिया में सबसे ऊंचा है. कहा जाता है कि इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार से भी ज्यादा है. 

दुनियाभर में पहुंचाए Made in India प्रोडक्ट्स 
आर्देशिर गोदरेज ने जिस जमाने में काम शुरू किया तब भारत में अंग्रेजी हुकुमत थी. लेकिन अर्देशिर की देशभक्ति ऐसी थी कि उन्होंने अंग्रेजों के विरोध के वाबजूद अपनी कंपनी के प्रोडक्ट्स पर मेड इन इंडिया लिखना शुरू किया. उस समय अंग्रेज इस बात के लिए तैयार नहीं थे. उनका मानना था कि प्रोडक्ट पर मेड इन इंडिया लिखने से उसकी मार्केट वैल्यू गिर जाएगी, जिसकी वजह से प्रोडक्ट की बिक्री घट जाएगी और अंग्रेजों को मुनाफा कमाने का मौका नहीं मिल पाएगा. लेकिन अर्देशिर ने अपनी जिद नहीं छोड़ी और देश-दुनिया में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स से अपनी पहचान बनाई. 

आज गोदरेज कंपनी एक MNC है और इसकी वर्थ 1.76 लाख करोड़ रुपए है. गोदरेज ग्रुप की पांच लिस्टेड कंपनियां हैं - गोदरेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रॉपर्टीज, गोदरेज एग्रोवेट और एस्टेक लाइफसाइंसेज. वित्त वर्ष 2033 में उनका संयुक्त प्रफिट ₹4,065 करोड़ था, जबकि वित्त वर्ष के दौरान संचयी टर्नओवर ₹42,172 करोड़ था. 

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