केंद्र सरकार सिंगल विंडो क्लीयरेंस को और भी आसान बनाने पर काम कर रही है. जल्द ही सरकार नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम मे बदलाव करने जा रही है. सरकार आवेदन के लिए पैन नंबर के इस्तेमाल पर विचार कर रही है. फिलहाल आवेदन के लिए कई तरह की आईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन सरकार अब इनकी जगह सिर्फ पैन नंबर के प्रयोग की इजाजत दे सकती है.
मंत्री ने दिए संकेत-
कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल ने कहा कि उनका मंत्रालय पहले ही इस मामले में राजस्व विभाग से संपर्क कर चुका है. हम मौजूदा डेटाबेस में से सिंगल इंट्री प्वाइंट यानी किसी एक डेटाबेस के इस्तेमाल किए जाने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये डेटाबेस पहले से ही सरकार के पास है. संभवत: वह पैन नंबर होगा.
सिंगल विंडो का क्या है मकसद-
उद्योग और व्यापार को बढ़ावा देने के मकसद से नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम को शुरू किया गया है. इसका मतलब है कि एक जगह पर ही निवेशकों को सारी सुविधाएं मिले और सारी कागजी कार्रवाई के लिए वन स्टॉप शॉप बनाना है. दरअसल सरकार निवेशकों को विभागों के चक्कर से छुटकारा दिलाना चाहती है. इसलिए विभागों से तमाम तरह के क्लीयरेंस के लिए डिजिटल सिंगल विंडो मुहैया कराया है.
पैन नंबर के इस्तेमाल से क्या होगा फायदा-
सिंगल विंडो के तहत आवेदन के लिए पैन नंबर का इस्तेमाल होने से निवेशकों को कई तरह से फायदे होंगे. इससे डुप्लीकेशन को रोका जा सकता है. इससे क्लीयरेंस मिलने में आसानी होगी. अप्रूवल प्रोसेस तेजी से हो पाएगा. इस समय आवेदन के लिए ईपीएफओ, ईएसआईसी, टिन, टैन जैसी 13 से अधिक व्यावसायिक आईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसकी प्रक्रिया काफी थकाऊ है. अगर इसकी जगह पर पैन नंबर का इस्तेमाल किया जाएगा तो निवेशकों को तमाम तरह के कागजी कार्रवाई से बचाव होगा. उनको कम से कम दस्तावेजों से व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाने का मौका मिलेगा.
सरकार का कहना है कि निवेशकों का बेसिक डेटा पहले से ही पैन डेटाबेस में मौजूद है. ऐसे में उसको दोबारा मांगना ठीक नहीं है. इससे सूचना देने की प्रक्रिया में दोहराव से बचा जा सकता है.
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