अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं तो ये खबर आपके लिए है. साल 2024 की में जनवरी से मार्च तक की तिमाही के लिए जनरल प्रोविडेंट फंड की ब्याज दरों का ऐलान कर दिया गया है. सरकार ने GPF की ब्याज दरों में इस बार भी कोई बदलाव नहीं किया है. इस तिमाही के दौरान भी 7.1 फीसदी की दर से ही ब्जाज मिलेगा. यह ब्याज दरें 31 मार्च 2024 तक लागू रहेगी.
कहां-कहां लागू होंगी ब्याज दरें-
नोटिफिकेशन के मुताबिक साल 2024 में जनवरी से मार्च तक की अवधि के लिए 7.1 फीसदी की ब्जाय दर लागू होगी. ये ब्याज दरें जनरल प्रोविडेंट फंड (सेंट्रल सर्विसेज), कंट्रीब्यूशन प्रोविडेंट फंड (इंडिया), ऑल इंडिया सर्विस प्रोविडेंट फंड, स्टेट रेलवे प्रोविडेंट फंड, जनरल प्रोविडेंट फंड (डिफेंस सर्विसेज), इंडियन ऑर्डिनेंस डिपार्टमेंट प्रोविडेंट फंड, इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज वर्कमैन्स प्रोविडेंट फंड, इंडियन नेवल डॉकयार्ड वर्कमैन्स प्रोविडेंट फंड, डिफेंस सर्विसेज ऑफिसर्स प्रोविडेंट फंड और आर्म्ड फोर्सेज पर्सनल प्रोविडेंट फंड पर लागू होंगी.
कर्मचारी कैसे बनते हैं GPF के मेंबर-
एक सरकारी कर्मचारी अपनी सैलरी का एक निश्चित परसेंटेज का योगदान देकर GPF का सदस्य बनता है. ये कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है. लेकिन जब कर्मचारी सस्पेंड होता है तो ये अनिवार्य नहीं होता है. नियम के मुताबिक रिटायरमेंट की तारीख के 3 महीने पहले जीपीएफ की सदस्यता बंद कर दी जाती है.
जीपीएफ रेट कब कितना था-
साल 2007-08 के दौरान जनरल प्रोविडेंट फंड पर 8 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था, जो साल 2011 तक जारी रहा. लेकिन साल 2011 से 2012 के बीच इसमें बदलाव हुआ. साल नवंबर 2011 तक 8 फीसदी ब्याज दर तय किया गया था. लेकिन नवंबर 2011 से मार्च 2012 तक 8.6 फीसदी ब्याज दर कर दी गई थी.
साल 2012 से साल 2016 तक जीपीएफ के लिए ब्याज दर 8.80 फीसदी रही. फिर साल 2016 से 2017 के बीच इसमें बदलाव किया गया. सितंबर 2016 तक 8.1 फीसदी की दर से ब्याज मिला. लेकिन सितंबर 2016 से मार्च 2017 तक 7.8 फीसदी की दर से ब्याज मिला. इसके बाद भी लगातार बदलाव होते रहे.
सरकार ने साल 2020-2021 में जीपीएफ पर 7.1 फीसदी की दर से ब्याज मिलने लगा. जो आज तक जारी है. इस बार भी इसमें बदलाव नहीं किया गया है.
GPF, EPF और PPF में क्या है अंतर-
जनरल प्रोविडेंट फंड के ब्याज दर की समीक्षा हर तिमाही में होती है. जबकि एम्पलाई प्रोविडेंट फंड (EPF) की ब्याज दरों पर फैसला सालाना होता है. एम्पलाई प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन के सदस्यों को अभी उनके एम्पलाई प्रोविडेंट फंड पर 8.15 फीसदी का ब्याज मिलता है. ईपीएफओ ईपीएफ की ब्याज दर में बदलाव करता है. नियम के मुताबिक कर्मचारी हर महीने अपनी मूल वेतन का 12 फीसदी हिस्सा ईपीएफ खाते में जमा करता है. इतना ही कंट्रीब्यूशन नियोक्ता या कंपनी का भी होता है.
जबकि सरकार ने हाल ही में जनवरी-मार्च 2024 तिमाही के लिए दो छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों में 20 बीपीएस तक की बढ़ोतरी का ऐलान किया है. हालांकि पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) के लिए ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है. पीपीएफ रेट में अप्रैल-जून 2020 के बाद से कोई बदलाव नहीं किया गया है. उस समय पीपीएफ रेट में कटौती की गई थी और यह 7.9 फीसदी से घटकर 7.1 फीसदी हो गया था.
GPF विशेष तौर पर सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए होती है. जबकि EPF सरकारी बचत योजना है, जो संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है. PPF लॉन्ग टर्म बचत, टैक्स बचत प्रोविडेंट फंड की सरकार की ओर से गारंटी देता है. पीपीएफ में नौकरीपेशा के साथ-साथ कारोबारी आय वाले और स्वरोजगार वाले व्यक्ति दोनों को सदस्यता दी जा सकती है.
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