आम की खेती कर महाराष्ट्र का ये ग्रेजुएट युवा कमा रहा है लाखों रुपए, नौकरी की बजाय रखा अपनी खेती पर भरोसा

महाराष्ट्र का ये ग्रेजुएट युवा आम की खेती करके आज लाखों रुपये कमा रहा है. उसने नौकरी की बजाय अपनी खेती पर भरोसा रखा. इसके लिए अभ्यास किया, खेती के बारे में कई सारी चीजें समझी और फिर जाकर खेती शुरू की.

आम की खेती
gnttv.com
  • हिंगोली,
  • 13 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST
  • कृषि विज्ञान में हैं ग्रेजुएट  
  • 14 साल से कर रहे खेती 

महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के दांडेगांव में रहने वाले ग्रेजुएट युवक किसान आज आम की खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं. मराठवाड़ा के किसान सूरेश ठाकुर आम की बागवानी से इतना पैसा कमा रहे हैं. दरअसल, सुरेश ने नौकरी करने की जगह अपनी पुश्तैनी खेती को अपनी कमाई का जरिया बनाया. सुरेश अपनी 15 एकड़ खेती है उसमे सें चार एकड़ खेती में उन्होंने आम के पेड़ लगाए हैं. आज इसी से उनकी कमाई लाखों रुपये पहुंच गई है. 

कृषि विज्ञान में हैं ग्रेजुएट  

बताते चलें दांडेगांव के किसान सुरेश ठाकुर कृषि विज्ञान में ग्रेजुएट हैं. मगर उन्होंने नौकरी की बजाय अपनी खेती पर भरोसा रखा. शुरू में वे सोयाबीन, गेहूं, चना, ज्वार की पारंपरिक तरीके से खेती करते थे, मगर उसमे मुनाफे से ज्यादा लागत का खर्चा होने लगा. कभी बारिश तो कभी सूखे की वजह सें पूरी फसल का नुकसान होता था. उसके बाद उन्होंने वैज्ञानिक तरीके सें खेती करने की ठान ली. 

शुरू में किया अभ्यास 

सुरेश ने पहले तो कोकण महाराष्ट्र के अलग-अलग विभाग में जाकर बागवानी और पारंपरिक खेती का अभ्यास किया. उसके बाद उन्होंने आम की वैज्ञानिक तरीके से खेती शुरू की. इसके लिए उन्हें कृषि विद्यापीठ और कृषि विभाग की काफी मदद मिली. उनके मार्गदर्शन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपना कर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया. अच्छी जमीन का चयन, आम के पौधे लगाने के लिए मिट्टी तैयार करना, ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का इस्तेमाल, कीटनाशकों का सही प्रबंधन, तकनीक आधारित खेती और फलों की सही ढंग से ग्रेडिंग, इसमें शामिल है. 

सबसे पहले तो सुरेश अच्छी क्वालिटी के कलम लाए. उसके बाद चार एकड़ में 15×15 की दुरी पर,600 आम के पेड़ लगाए,पहले तिन साल तक अंतर्गत फसल कि तौर पर सोयाबीन, चना, गेहूं फसल लगाई उससे उनकी आम की लागत और खाद का खर्चा निकलता रहा. इस वैज्ञानिक खेती से शुरुआती चरण में ही अच्छी सफलता मिली और पौधों पर जल्दी मंजर आ गए, फल भी जल्दी लग गए.

साल में हुआ कितना खर्चा?

देश विदेशों में हाफूस आम के बाद केसर आम की बड़ी मांग है. इसकी पैदावार और सही मायने में गुणवत्ता के लिए मराठवाड़ा का वातावरण अच्छा होता है. बस यही बात ध्यान में रखकर किसान सुरेश ने केसर आम की फसल लगाई. आम के मंजर पर कीटों का बड़ा हमला होता है. इससे बचने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव किया गया. गोबर खाद मिलाकर इसके लिए साल में प्रति एकड़ के हिसाब सें उन्हें 70 हजार खर्चा लगा. हार्वेस्टिंग की स्टेज पर भी सुरेश ने आम के पेड़ों और फलों का पूरा ख्याल रखा. हार्वेस्टिंग के समय पर आमों को चुन-चुन कर हाथ से तोड़ा ताकि नुकसान कम हो.

14 साल से कर रहे खेती 

गौरतलब है कि सुरेश पिछले 14 साल से सही तकनीक और सच्ची लगन से वैज्ञानिक तरीके से खेती कर रहे है. आम के साथ-साथ उन्होंने दस एकड़ खेती में अब नींबू ओर मोसंबी के बाग भी लगाए हैं. बागवानी खेती से उन्हें हर साल अच्छी कमाई मिल रही है. साथ ही अपने आसपास के किसानों को वैज्ञानिक खेती और किसानों को प्रोत्साहित कर रहे है. सुरेश का मानना है कि अगर मराठवाड़ा का किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती करे तो किसान को आत्महत्या करने की जरुरत नहीं पड़ेगी.उन्हें लाखों में मुनाफा होगा. 

(द्न्यानेश्वर उंडल की रिपोर्ट)  


 

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