एक बड़े शहर की एक छोटी सी दुकान से हरि दर्शन धूप अगरबत्ती की शुरुआत हुई थी. शुरुआत में कंपनी का माल बिना किसी ब्रॉन्डिंग के बेचा जाता था. लेकिन जब कंपनी ने इसे हरि दर्शन नाम दिया तो मार्केट में छा गया. एक-एक करके देश के तमाम राज्यों में बिकने लगा. अब बारी विदेश की थी, कंपनी ने अपने कारोबार का विस्तार विदेश में भी किया. आज दुनिया के कई देशों में हरि दर्शन सेवाश्रम प्राइवेट लिमिटेड का सामान बिकता है और इसकी जिम्मेदारी प्रबंध निदेशक गोल्डी नागदेव के पास है. चलिए आपको इस कंपनी के विस्तार की कहानी बताते हैं.
दिल्ली में छोटी सी दुकान से शुरुआत-
नागदेव फैमिली ने 1800 के दशक में जड़ी-बूटियों और सुगंधित तेलों का कारोबार करना शुरू किया था. कारोबार ठीक-ठाक चल रहा था. लेकिन साल 1947 में जब देश का बांटवारा हुआ तो इनका कारोबार अचानक मंद पड़ गया. आजादी के बाद कारोबार कुछ खास नहीं चल रहा था. 1960 के दशक में फैमिली ने दिल्ली के सदर बाजार में एक छोटा सी दुकान खोली और धूपबत्ती बनाने का काम शुरू किया.
छा गया हरि दर्शन ब्रांड-
1980 दशक में जब ब्रांडिंग का कॉन्सेप्ट शुरू हुआ तो हरि दर्शन ब्रांड अस्तित्व में आया. कंपनी के प्रबंध निदेशक गोल्डी नागदेव के पिता ने साल 1983 में इसकी शुरुआत की थी. आज भी कंपनी के पास सदर बाजार की उस छोटी दुकान का मालिकाना हक है, जहां से इसकी शुरुआत हुई थी. कंपनी का कारोबार धीरे-धीरे बढ़ता गया और हरि दर्शन ब्रांड देशभर में फेमस हो गया.
कंपनी का कारोबार-
हरि दर्शन ब्रांड का बिजनेस पूरे देश में फैल गया. इसके बाद कंपनी ने अपने बिजनेस का विस्तार विदेशों में करना शुरू किया. आज कंपनी मध्य पूर्व, श्रीलंका, लैटिन अमेरिका और दूसरे देशों में अगरबत्ती और धूप का निर्यात करती है. कंपनी ज्यादातर कच्चे माल अपने देश से ही प्राप्त करती है. कंपनी अगरबत्ती, धूप, हवन सामग्री, संभ्राणी, पूजाा तेल का उत्पादन करती है. कंपनी सालाना 50-100 करोड़ का कारोबार करती है.
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