हायरेक्ट ने 40% स्टाफ को नौकरी से निकाला, VerSe Innovation में भी हुई छंटनी

हायरिंग प्लैटफॉर्म हायरेक्ट ने अपने 40% कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. इसके अलावा वर्से इनोवेशन (VerSe Innovation) ने भी वेतन में कटौती और छंटनी की घोषणा की है. कंपनी ने लगभग 150 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST
  • हायरेक्ट ने अपने 40% कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
  • हायरेक्ट में 450 से अधिक कर्मचारी हैं.
  • कंपनी ने लगभग 150 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.

हायरिंग प्लैटफॉर्म हायरेक्ट ने अपने 40% कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. फिलहाल बेंगलुरु और सैन फ्रांसिस्को स्थित स्टार्टअप हायरेक्ट में 450 से अधिक कर्मचारी हैं. सीईओ राज दास ने कहा कि कंपनी अपने बिज़नेस मॉडल में रणनीतिक बदलाव कर रही है और फर्म के पास अब भी सैकड़ों कर्मचारी हैं.  7 महीने पहले ही Hirect ने छंटनी को लेकर Linkedin पोस्ट साझा की थी जिसमें लिखा था- Hirect उन लोगों से सीधे जुड़ने का सबसे तेज़ तरीका है जो आपको नियुक्त करना चाहते हैं. मंदी की आशंका के बीच कई कंपनियां अपने स्टाफ की संख्या में कटौती कर रही है.

2018 में शुरू हुई थी कंपनी

नौकरी से निकाला जाना केवल छोटी कंपनियों में ही नहीं बल्कि मेटा, अल्फाबेट, ट्विटर जैसी स्थापित कंपनियों में भी छंटनी की जा रही है. हालांकि स्टार्टअप्स में नौकरी जाने की आशंका ज्यादा है क्योंकि मंदी की आशंका और इन कम के सोर्स कम होने के कारण निवेशक सतर्क हो रहे हैं. बेंगलुरु और सैन फ्रांसिस्को में स्थित स्टार्टअप कंपनी Hirect लगभग 472 एंप्लॉय हैं. एक समय में कंपनी में 600 एंप्लॉय थे. हायरेक्ट की शुरुआत 2018 में हुई थी. यह तेजी से ग्रोथ वाले स्टार्टअप्स और छोटे बिजनेस को बगैर कंसल्टेंट्स हायरिंग प्लेटफॉर्म ऑफर करती है.

मंदी की आशंका के बीच हो रही छंटनी 
Hirect  के अलावा डेलीहंट (Dailyhunt) और शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म जोश की पैरेंट कंपनी वर्से इनोवेशन (VerSe Innovation) ने भी वेतन में कटौती और छंटनी की घोषणा की है. कंपनी ने लगभग 150 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. इससे पहले Amazon.com, मेटा और ट्विटर ने भी छंटनी की घोषणा की थी. आर्थिक मंदी की आशंका के बीच बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती कर रही है. इस वक्त अमेरिका, यूरोप सहित कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में उतार का दौर है और इसका असर मांग और नौकरियों पर दिखने लगा है. 

 

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