Uttar Pradesh: यूपी में बिजनेसमैन की बल्ले-बल्ले! नहीं जाना पड़ेगा जेल, पेनाल्टी से हो जाएगा काम, 570 नियम किए गए खत्म

उत्तर प्रदेश में सरकार ने बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सरकार 570 ऐसे नियमों को खत्म कर दिया है, जिसमें उद्यमियों के लिए जेल का प्रावधान था, अब ऐसे मामलों में सिर्फ उनको पेनाल्टी देना पड़ेगा. इतना ही नहीं, कई ऐसे नियम भी खत्म किए गए हैं, जिसमें उद्यमियों को फाइल की फाइनल होने में 6 से 24 महीने लगते थे. अब इसमें सिर्फ 72 घंटे से 300 घंटे तक ही लगेंगे.

Yogi Adityanath
आशीष श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 18 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:01 AM IST

उत्तर प्रदेश में सरकार लगातार बिजनेस को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है. नियमों को आसान बनाया जा रहा है, ताकि उद्यमियों को किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो.उत्तर प्रदेश में उद्यमियों को जेल भेजने वाले 570 नियमों को खत्म कर दिया गया है. इसमें अब सिर्फ पेनल्टी देनी होगी और जेल भेजने का प्रावधान खत्म किया गया है.

अपराध की श्रेणी से हटाए गए 570 नियम-
जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में औद्योगिककरण को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है. जिसमें अब 570 नियमों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है, जिसके तहत 6 महीने से 1 साल तक की जेल प्रावधान था. इतन ही नहीं, 2978 नियमों को डिजिटल भी कर दिया गया है, जिससे उद्यमियों को अब विभागों को चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.

22 विभागों से मंगवाई गई थी लिस्ट-
कारोबारी संगठन ने इन नियमों के बारे में शासन को जानकारी दी थी और उसके बाद से ही इस कंप्लायंस कर खत्म करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. उत्तर प्रदेश सरकार पिछले 1 साल से काम कर रही थी, जिसमें हर विभाग से अनुप्रयुक्त नियम और नियामक अनुपालन की एक सूची मंगवाई थी, जिसमें 22 विभागों ने शासन को नियमों के अनुपालन का एक विवरण भेजा था. जिसपर रिसर्च करने के बाद 45004 अनुपालनों को कम कर दिया गया और 2978 अनुपालनों को सरल और डिजिटल कर दिया गया. इसमें 1450 नियम उपभोक्ता को रिलीफ देने वाले हैं. 

24 महीने का काम 72 घंटे में-
इसमें कई ऐसे नियम थे, जिससे उद्यमियों को परेशानी का उठाना पड़ रहा था और इन नियमों की वजह से एक फाइल को फाइनल होने में 6 से 24 महीने तक का समय लगता था. और नियम के हटने के बाद अब यह समय 72 घंटे से 300 घंटे हो गया है. सबसे ज्यादा जो कानूनी नियम बनाए गए थे, वो फायर विभाग, श्रम विभाग, परिवहन और विधिक माफ विज्ञान विभाग के थे. अब इन सभी को कंपाउंड कर दिया गया है यानी कि उन्हें अब अपराध के स्थान पर आर्थिक दंड में बदल दिया गया है. इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश औद्योगिक अशांति अधिनियम, जिसमें मजदूरी का समय पर भुगतान होता है, 1978 के अंतर्गत जेल भेजने का प्रावधान भी अपराध की श्रेणी से बाहर दिया गया है. इस कानून को खत्म करने के लिए 4:30 से ज्यादा पत्र संगठनों ने सरकार को दिए थे और कहा था कि एक शिकायत पर विभाग और पुलिस केस दर्ज करके जेल भेज देती थी. इसे अब समाप्त कर दिया गया है. इसी तरह से कृषि, बेसिक शिक्षा, ऊर्जा, आबकारी खाद एवं नागरिक आपूर्ति, उच्च शिक्षा, गृह विभाग, आवास सिंचाई एवं जल संसाधन, न्याय विधिक, पंचायती राज, राजस्व चीनी जैसे विभागों में कानूनों को भी खत्म किया गया है.

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