Iran-Israel War: ईरान-इजरायल की लड़ाई बढ़ाएगी भारत की मुश्किलें... शिपिंग से लेकर तेल तक... जानिए किन सेक्टर्स पर पड़ेगा असर

Iran-Israel War: दुनिया में जब भी दो देशों के बीच युद्ध होता है तो इसका असर सिर्फ उन दो देशों ही नहीं बल्कि बाकी देशों पर भी पड़ता है. जैसे ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता संघर्ष भारत की अर्थव्यवस्था को काफी प्रभावित कर सकता है. इसका सबसे बड़ा कारण है इस युद्ध के कारण ट्रेड रूट पर असर पड़ना, जिसका सीधा प्रभाव आयात-निर्यात पर पड़ेगी.

Iran and Israel war
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 03 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 1:06 PM IST

ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ते युद्ध के बीच से मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया है, जिससे क्षेत्रीय संकट की चिंता बढ़ गई है. अगर स्थिति बिगड़ती है, तो ग्लोबल लेवल पर इसका असर पड़ेगा. खासकर, कच्चे तेल की कीमतों पर काफी असर पड़ सकता है, क्योंकि ईरान प्रमुख तेल उत्पादकों में से एक है.

तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने से केंद्रीय बैंकों से ब्याज दरों में कटौती की कोई उम्मीद नहीं रह जाएगी, क्योंकि हाई इनफ्लेशन आर्थिक सुधार को और मुश्किल बना सकता है. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेशकों की भावनाओं पर भी भारी असर पड़ सकता है, जो अपनी 80% तेल जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है. 

भारतीय स्टॉक पहले से ही प्रीमियम वैल्यूएशन पर कारोबार कर रहे हैं, ऐसे में, लंबे समय तक चलने वाले युद्ध से हो सकता है कि ग्लोबल इंवेस्टर अपना ध्यान भारत से हटा लें. भारत वर्तमान में दुनिया के टॉप परफॉर्मेंसिंग शेयर मार्केट्स में से एक है. ऐसे में, इंवेस्टर अपने पैसे को भारतीय इक्विटी जैसी रिस्की संपत्तियों से बॉन्ड या गोल्ड जैसे सुरक्षित ऑप्शन में लगा सकते हैं. 

ईरान-इजरायल में बढ़ा तनाव
मिडिल-ईस्ट में जियोपॉलिटिकल तनाव तेजी से बढ़ गया है क्योंकि ईरान ने हाल ही में इज़राइल पर लगभग 180 बैलिस्टिक मिसाइलें लॉन्च की हैं, जो विशेष रूप से सैन्य ठिकानों और सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बना रही हैं. ईरान ने इजराइल को चेतावनी जारी की है और धमकी दी है कि अगर इजराइल जवाब देगा तो वह और मिसाइल हमले करेगा. बदले में, इज़राइल ईरान की तेल उत्पादन सुविधाओं और अन्य प्रमुख रणनीतिक स्थलों सहित संभावित लक्ष्यों के साथ एक बड़े जवाबी हमले की तैयारी कर रहा है.

प्रतिक्रिया में हवाई हमले, सीक्रेट ऑपरेशन आदि किए जाने की उम्मीद है. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल के अपनी रक्षा के अधिकार के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की है. लेकिन ईरान-इजरायल के युद्ध से भारत के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. भारत के तीन पहलुओं पर इस युद्ध का सीधा-सीधा असर पड़ सकता है. 

भारतीय शेयर बाज़ार पर असर
भारत वर्तमान में वैश्विक स्तर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले शेयर बाजारों में से एक है और यह लगातार उभरते बाजार के रूप में पहचाना जा रहा है. अगर युद्ध और बढ़ता है तो भारत को  महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. इसमें से एक है शेयर बाजार के लिए चुनौतियां. आने वाले समय में क्या होगा कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है. ऐसे में, विदेशी इंवेस्टर भारत के एसेट्स से अपना कैपिटल निकालकर ज्यादा सुरक्षित जगहों पर लगा सकते हैं जिससे भारत का मार्केट प्रभावित होता. 

इस साल अब तक, भारतीय इक्विटी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) का इनफ्लो ₹1 लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है, जो अर्थव्यवस्था में वैश्विक निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है. लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि क्षेत्र में तनाव बढ़ने से यह स्थिति पलट सकती है, जिससे ग्लोबल ट्रेड की गतिशीलता और कच्चे तेल की कीमतों पर उलटा प्रभाव पड़ेगा. यह लगातार चल रहा युद्ध विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार से पूंजी निकालकर ज्यादा स्टेबल ऑप्शन में लगाने के लिए प्रेरित कर सकता है. 

ट्रेड रूट्स पर पड़ेगा असर 
ईरान इजरायल में युद्ध बढ़ने से समुद्री मार्ग पर असर पड़ेगा. लाल सागर में बढ़ता तनाव भारत की अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकता है. युद्ध के कारण समुद्र का व्यापारी मार्ग प्रभावित होगा जिस कारण आयात-निर्यात मुश्किल हो जाएगा. साथ ही, भारत-मिडिल ईस्‍ट और यूरोप के बीचन बनने वाले इकनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) प्रोजक्ट भी प्रभावित हो सकता है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से भारत की निर्भरता स्वेज कैनाल पर कम हो जाएगी लेकिन हालातों को देखते हुए सिर्फ चिंता बढ़ रही है. अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो भारत की शिपिंग कॉस्ट बढ़ने की संभावना है. 

सोने की कीमतों पर असर
इस साल सोने की कीमतें दूसरे एसेट्स से बेहतर परफॉर्म करते हुए आसमान छू रही हैं. केंद्रीय बैंकों ने डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम किया है और इंस्टिट्यूशनल इंवेस्टर्स अपना पोर्टफोलियो बढ़ा रहे हैं. इंवेस्टर्स का सोने में निवेश पर खास ध्यान है. इस कारण, सोना रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. लेकिन अब युद्ध के माहौल में सोने में निवेश और बढ़ सकता है और इसकी कीमतों में बढ़ोतरी भारत के बड़े त्यौहारों को खराब कर सकती है. 

बढ़ सकते हैं कच्चे तेल के दाम 
भारत अपना तेल ईरान से आयात करता है. ईरान और इजरायल के संघर्ष का असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ना स्वाभाविक है. जबसे ईरान ने इजरायल पर मिसाइल अटैक किया है तब से कच्चे तेल के दाम बढ़ने लगे हैं. अगर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ीं तो इसका सीधा असर भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों पर पड़ेगा. 

ईरान-इजरायल से व्यापार पर असर 
भारत के दोनों ही देशों से राजनयिक संबंध हैं. भारत और ईरान के बीच 1958 से राजनयिक संबंध हैं. ईरान में भारत के बहुत से बच्चे पढ़ रहे हैं तो कुछ भारतीय कारोबारी वहां रहते हैं. भारत और ईरान के बीच आयात-निर्यात का अच्छा संबंध है. भारत ईरान को मीट, स्किम्ड मिल्क, छाछ, घी, प्याज, लहसुन और डिब्बाबंद सब्जियां एक्सपोर्ट करता है तो वहीं, ईरान से तेल, मिथाइल अल्कोहल, पेट्रोलियम पदार्थ, खजूर और बादाम खरीदता है. युद्ध के बढ़ने से इस पूरे व्यापार पर असर पड़ेगा. 

भारत और इजरायल के व्यापार संबंध भी जग-जाहिर हैं. इजरायल भारत से हीरे, डीजल, विमानन टरबाइन ईंधन, रडार उपकरण, चावल और गेहूं खरीदता है. वहीं, भारत इजरायल से अंतरिक्ष उपकरण, पोटेशियम क्लोराइड, मेकैनिकल एप्लायंस, प्रिंटेड सर्किट आदि लेता है. अब तनाव बढ़ने से इन सभी गुड्स और सर्विसेज का इंपोर्ट-एक्सपोर्ट महंगा होगा और इससे देश पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा. 

 

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