भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा से सटे उत्तरी कश्मीर के बारामुल्ला शहर में रहने वाली महिलाओं का एक समूह अपने घरों में मशरूम उगाकर सफलता की कहानी लिख रहा है. झेलम नदी के किनारे स्थित जिले के कृषि कार्यालय ने लगभग दो साल पहले महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के साथ एक "वर्टिकल फार्मिंग" कार्यक्रम शुरू किया था और अब यह पहल रंग ला रही है.
यदविंदर सिंह, मुख्य कृषि अधिकारी जिला, ने पीटीआई को बताया कि उनके पास इस जिले में 88 मशरूम फार्मिंग क्लस्टर हैं, जिनमें 22 महिलाएं अब तक जुड़ी हुई हैं. इसका उद्देश्य महिलाओं को घर में रहते हुए ही आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है.
जिला प्रशासन कर रहा है मदद
सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन प्रत्येक महिला उद्यमी को 15,000 रुपये के प्रारंभिक सहायता कोष के साथ 100 बैग मशरूम के बीज दे रहा है, जिसे स्पॉन के रूप में जाना जाता है. इन समूहों की सफलता की कहानी और भी महिलाओं को आगे आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.
बारामूला भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (एलओसी) का लगभग 105 किमी हिस्सा साझा करता है जो मुख्य शहर से लगभग 35-40 किमी दूर है. यह जम्मू और कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से लगभग 54 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है.
छात्राएं भी सीख रही हैं गुर
टीएनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक, कस्बे के फतेहपोरा इलाके की रहने वाली 12वीं कक्षा की छात्रा कुलसुम मजीद उन महिला उद्यमियों में शामिल हैं, जो अपनी मां शकीला बेगम के जिला प्रशासन में दाखिला लेने के बाद इस पहल पर काम कर रही हैं. कुलसुम का कहना है कि उनकी और उनके भाई-बहनों की शिक्षा पर बहुत पैसा खर्च होता है.
इसलिए जब उन्हें इस पहल के बारे में पता चला, तो उन्होंने अपनी मां के साथ घर पर मशरूम उगाने और स्थानीय बाजार में इसकी उपज को बेचने के बारे में सोचा. उन्होंने कृषि कार्यालय से संपर्क किया. जहां से खेती शुरू करने के लिए उन्हें 100 बैग बीज दिए गए.
20 से 25 हजार तक का मुनाफा कर रहे उद्यमी
सिंह ने टीएनआईए को बताया कि स्थानीय बाजार और कश्मीर घाटी के अन्य हिस्सों में मशरूम की उपज लगभग 180-200 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर बेची जाती है. एक उद्यमी एक फसल से लगभग 40,000 रुपये कमाता है, जिसमें लगभग दो महीने लगते हैं और इसमें उन्हें लगभग 20,000-25,000 रुपये का प्रॉफिट होता है.
बारामुला के डिप्टी कमिश्नर सैयद सेहरिश असगर ने कहा कि कुछ महिला उद्यमियों का कहना है कि वे मशरूम की खेती से प्रति माह 8,000 रुपये से 10,000 रुपये की कमाई कर रही हैं.