मंगलुरु के बीकरनाकट्टे के रहने वाले ज्ञान शेट्टी को बचपन से ही पौधों से लगाव था. आज, वह अपनी नर्सरी में विदेशी शहतूत, आम, टमाटर और अनार उगा रहे हैं. उनका छत पर लगा बगीचा रंग-बिरंगा है, जिसमें फॉलिएज, सैक्यूलेंट्स, कैप्टर्स, लिली, औषधीय जड़ी-बूटियां, सजावटी और एयर प्लांट्स लगे हुए हैं.
ज्ञान (28) अपने पैशन को बिजनेस में बदलने में कामयाब रहे हैं. इंजीनियरिंग से लेकर डिजाइन और फिर बागवानी तक, उनका सफर सबसे अलग रहा. उन्होंने अपनी छत पर बागवानी की शुरुआत की. उन्होंने छत पर कुछ फलों के पेड़ लगाए, जैसे आम, शहतूत और अनार. कोविड -19 महामारी के दौरान सोशल मीडिया के जरिए उन्हें अपने टैरेस गार्डन को बढ़ाने में मदद मिली.
मां से मिला शौक
ज्ञान वर्क फ्रॉम होम के दौरान सोशल मीडिया पर अपने पौधों की तस्वीरें पोस्ट करते थे. उन्हें बागवानी करने से मानसिक शांति मिली, और उन्हें नहीं पता था कि यह उनका व्यवयसाय भी हो सकता है. उनका कहना है कि उनकी मां को बागवानी का शौक है और उनसे यह शौक ज्ञान को मिला.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बचपन से ही उन्होंने पौधों को समझना सीख लिया था. आज वह बागवानी के लिए रसोई के जैविक कचरे का उपयोग करते हैं. उनका कहना है कि इससे बनी खाद काला सोना है. वह स्प्रे के रूप में नीम के तेल का उपयोग करते हैं. उन्होंने धीरे-धीरे नर्सरी तैयार की.
शुरू की नर्सरी
ज्ञान ने इस साल फरवरी में अपने घर के बगल में एक नर्सरी शुरू की और अपने पौधों को छत से हटाकर यहां रखा. ज्ञान और उनकी मां के लिए दिन का पहला काम नर्सरी को साफ करना और गिरे हुए पत्तों से खाद बनाना है. ज्ञान कहते हैं, "पत्तों की खाद पौधों के लिए बहुत अच्छी होती है क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा अधिक होती है. हम सूर्य-प्रेमी पौधों को रोजाना पानी देते हैं और एयर प्लांट्स को नियमित पानी की आवश्यकता नहीं होती है."
उनकी नर्सरी की बिक्री में तेजी आई है. ज्ञान ने शुरू में इंफॉर्मेशन साइंस में इंजीनियरिंग की थी, लेकिन निजी कारणों से दो साल के बाद कोर्स छोड़ दिया. उन्हें इंटीरियर डिजाइनिंग में दिलचस्पी थी और उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में तीन साल का डिप्लोमा किया. उन्होंने मंगलुरु में एक डिजाइनर के रूप में और कुछ वर्षों तक बेंगलुरु में काम किया.
किफायती दाम में अच्छे पौधे
ज्ञान के पौधों की कीमत 30 रुपये से 650 रुपये तक है, जो स्थानीय नर्सरी से कम है. नर्सरी शुरू करने से पहले ही उनके पास ऑर्डर आने लगे थे क्योंकि वह सोशल मीडिया पर पौधों के बारे में पोस्ट करते रहते थे. उन्हें मध्य प्रदेश और झारखंड से भी ऑर्डर मिल रहे हैं.