Wheelchair-cum-Motorbike: हजारों दिव्यांगों को सक्षम बना रहा है NeoMotion... IIT मद्रास से पढ़े छात्रों ने किया यह इनोवेशन

चेन्नई का स्टार्टअप, NeoMotion की Wheelchair-cum-Motorbike दिव्यांगों की जिंदगी बदल रही है. इस इनोवेशन की मदद से आज बहुत से दिव्यांग लोग न सिर्फ आजीविका कमा रहे हैं बल्कि उनका कहीं भी आना-जाना आसान हो गया है.

Wheelchair that turns into motorbike
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 21 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST

भारत आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है, खासकर तकनीक के मामले में. जिंदगी के हर एक क्षेत्र में तकनीक धीरे-धीरे अपने पैर पसार रही है. तकनीकी क्रांति से हर सेक्टर की परेशानियां हल हो रही हैं. खासकर दिव्यांगों के लिए तकनीक एक उम्मीद की किरण दिखाती है. रॉबोटिक आर्म से लेकर ऑटोमेटिक व्हीलचेयर तक, कई तरह के तकनीकी इनोवेशन दिव्यांगों को लिए हो रहे हैं. और आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे स्टार्टअप के बारे में, जिसके इनोवेशन से हजारों दिव्यांगों को उड़ान मिल रही है.   

चेन्नई बेस्ड स्टार्टअप, NeoMotion ने एक ऐसी व्हीलचेयर बनाई है, जो न सिर्फ उनके जिंदगी को आसान बना रहा है. बल्कि उन्हें अपने सपने को पूरा करने और कमाने का भी मौका देती है. यह व्हीलचेयर न सिर्फ बैठने में कंफर्टेबल है बल्कि इसे जरूरत पड़ने पर बाइक में भी बदला जा सकता है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास (IIT मद्रास) के पू्र्व छात्रों ने दिव्यांगजनों के अनुकूल इस  कस्टमाइज व्हीलचेयर बनाया है. स्वदेशी रूप से विकसित यह डिवाइस उन लोगों के लिए बनाया गया है जो चलने-फिरने में सक्षम नहीं हैं. 

हाल ही में, ज़ोमैटो के एक डिलीवरी पार्टनर का वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह नियोमोशन की व्हीलचेयर कम मोटरबाइक से डिलीवरी कर रहे थे. इसके बाद, नियोमोशन काफी चर्चा में आई. 

दिव्यांगजनों के लिए बड़ा इनोवेशन 
नियोमोशन के फाउंडर्स में से एक, सिद्धार्थ डागा का कहना है कि उनके स्टार्टअप का मिशन दिव्यांगजनों की जिंदगी बदलना है. आईआईटी मद्रास में टीटीके सेंटर फॉर रिहैबिलिटेशन रिसर्च एंड डिवाइस डेवलपमेंट (R2D2) की प्रमुख प्रोफेसर सुजाता श्रीनिवासन के नेतृत्व में इस व्हीलचेयर को बनाया गया है. इस व्हीलचेयर को बनाने से पहले टीम ने व्हीलचेयर यूज करने वालों का सर्वे किया. 

दिव्यांगजनों नें रोजमर्रा की जिंदगी में हो रही अपने परेशानियों पर खुलकर बात की. जिससे टीम को पता चला की कैसे चलने में असमर्थता न सिर्फ एक जगह से दूसरे जगह आने जाने में परेशानी का कारण बनता है. बल्कि इससे जीने की आजादी और आत्मसम्मान की भावना को भी ठेस पहुंचाती है.

कस्टमाइज्ड व्हीलचेयर
सिद्धार्थ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें सर्वे से पता चला कि बाजार में उपलब्ध ज्यादातर व्हीलचेयर आरामदायक नहीं हैं. जिसके कारण दिव्यांगजनों को अपने काम करने में और कहीं आने-जाने में मुश्किल होती है. वे मुश्किल से उस पर 1-2 घंटा ही लगातार बैठ पाते हैं. वहीं, नियोमोशन की बनाई नियोफ्लाई व्हीलचेयर पर लोग लंबे समय तक बैठ सकते हैं. साथ ही, इन व्हीलचेयर्स के साथ कुछ अटैचमेंट्स भी आते हैं. इस अटैचमेंट को व्हीलचेयर में लगाकर इसे चलता-फिरता स्कूटर बनाया जा सकता है. अभी नियो मोशन के दो प्रोडक्ट हैं: नियो फ्लाई व्हीलचेयर और नियोबोल्ट. 

नियोफ्लाई बैठने में है आरामदायक
यह कस्टममेड व्हील चेयर है, जिसे अलग-अलग लोगों के शरीर के हिसाब से डिजाइन किया जाता है. यह बैठने में आरामदायक और सुविधाजनक है. यह पारंपरिक व्हीलचेयर की तुलना में छोटी और कंफर्टेबल होती है. जिस पर बैठकर घंटों पढ़ाई या फिर रोजमर्रा के कामों को किया जा सकता है. 

नियो बोल्ट है बाइक की तरह
नियोबोल्ट बाइक की तरह है. जिसे बिना किसी की मदद के ही अपनी व्हीलचेयर में फिट किया जा सकता है. यह एक ईवी है, जिसमें लीथियम आयन बैटरी होती है. इसे व्हीलचेयर से अटैच करने के बाद यह मोटरबाइक बन जाती है. और इसे कहीं भी ले जा सकते हैं. इतना ही नहीं आप इसे आसानी से डिटैच भी कर सकते है, वह भी बिना किसी की मदद के. अभी तक, इसके दो वैरिएंट हैं- 25 किमी रेंज और 50 किमी रेंज वाले मॉडल.

दिव्यांगजन होंगे सशक्त
आम व्हीलचेयर के साथ सबसे बड़ी परेशानी घर से बाहर होती है. अक्सर किसी गाड़ी में चढ़ने के लिए किसी की मदद पर निर्भर रहना पड़ता है. वहीं, नियो बोल्ट में दिव्यांगजनों को किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. ऐसे में इस व्हीलचेयर की सहायता से दिव्यांगजन को आर्थिक आजादी भी मिलेगी. जिससे वो अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकते हैं. कीमत की बात करें तो नियो मोशन ने दाम काफी सुलभ रखा है.  कस्टमाइज व्हीलचेयर (नियोफ्लाई-नियोबोल्ट संयोजन) की कीमत 1,10,000 रुपये है.

आज देश में 5000 से ज्यादा दिव्यांग नियोमोशन की व्हीलचेयर कम बाइक इस्तेमाल कर रहे हैं. कंपनी का कहना है कि हर एक राज्य में कम से कम एक यूजर तो है, इसके अलावा नेपाल और बांग्लादेश में भी उन्होंने पहुंच बनाई है. 

(यह स्टोरी नेहा मिश्रा ने लिखी है. नेहा Gnttv.com में बतौर इंटर्न काम कर रही हैं.) 

 

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