Korean and Japanese Industrial Cities: नोएडा में जल्द बनेंगे कोरियन और जापानी इंडस्ट्रियल शहर, जानिए क्या होगा खास

जल्द ही, उत्तर प्रदेश के नोएडा में Korean और Japanese इंडस्ट्रियल सिटीज का निर्माण होने जा रहा है. यहां पर दोनों देशों की कंपनियां अपनी यूनिट्स सेटअप करेंगी.

Noida to have Korean and Japanese cities
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 26 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST

यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने 'जापानी' और 'कोरियाई' औद्योगिक शहरों के लिए दो क्षेत्रों को अलग करने का फैसला किया है, जहां इन दोनों देशों की कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफेक्टरिंग यूनिट्स स्थापित करेंगी. 'जापानी सिटी' यमुना ईवे से दूर सेक्टर 5A में बनेगी, जहां 395 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, तो 'कोरियन सिटी' सेक्टर 4A में 365 हेक्टेयर पर स्थापित की जाएगी. 

इन शहरों में होंगी ये सुविधाएं 
जेवर में नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक पहुंच से इन दोनों परियोजनाओं को कनेक्टिविटी के मामले में बढ़ावा मिलने की उम्मीद है क्योंकि एयरपोर्ट यहां से मुश्किल से 10 किमी दूर है. प्राधिकरण के सीईओ अरुण वीर सिंह ने कहा कि दो इलेक्ट्रॉनिक हब में चिप्स, सेमीकंडक्टर, AI डिवाइसेज और कैमरे बनाने वाली कंपनियां होंगी. भूमि की लागत, स्टाम्प शुल्क में छूट से 'जापानी' और 'कोरियाई' शहरों के लिए रास्ता साफ हो गया है. 

शहरों में इन विदेशी देशों - जापान और कोरिया के कंपनी कर्मचारियों के लिए आवासीय यूनिट्स भी होंगी. उन्होंने कहा कि वहां रहने वाले जापानी और कोरियाई नागरिकों के लिए आवास, स्कूल, अस्पताल और अन्य जरूरी सुविधाओं के प्रावधान के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाई जा रही है. दोनों शहरों की स्थापना का निर्णय पिछले साल यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले जापान और कोरिया के निवेशकों के साथ बैठक के दौरान लिया गया था. 

FDI पॉलिसी से मिली मदद 
अधिकारियों ने कहा कि कुछ जापानी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने पिछले साल ईवे से दूर औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा किया था. स्थान की जांच करने और मिट्टी परीक्षण करने के बाद, कंपनियों ने इस क्षेत्र में निवेश करने में रुचि व्यक्त की. राज्य सरकार की FDI पॉलिसी में भूमि की लागत और स्टांप शुल्क में छूट के साथ-साथ अन्य रियायतें भी शामिल हैं, जिसके कारण पिछले साल अक्टूबर में नई औद्योगिक टाउनशिप की स्थापना को बढ़ावा मिल सका. 

इन सेक्टरों में मिश्रित भूमि उपयोग होगा, जिसमें 70% इंडस्ट्री के लिए और 13% कमर्शियल इस्तेमाल के लिए अलग रखा जाएगा. इसके अतिरिक्त, कुल भूमि का 10% आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए और 5% अस्पतालों, स्कूलों और कॉलेजों जैसे संस्थागत उद्देश्यों के लिए बांटा जाएगा. शेष 2% का उपयोग अन्य सुविधाओं के विकास के लिए किया जाएगा. दोनों शहरों का विकास 2,544 करोड़ रुपये में होने की उम्मीद है. 

 

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