Nexus Power: फसलों के वेस्ट से EV बैटरी बना रही हैं ये दो जुड़वां बहनें, शुरू किया अपना स्टार्टअप

निकिता बलियारसिंह और निशिता बलियारसिंह ने साथ मिलकर Nexus Power कंपनी शुरू की, जो ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए इको-फ्रेंडली बैटरी बना रही है ताकि इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की खपत बढ़ सके.

Nexus Power making biodegradable batteries
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 31 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 12:32 PM IST

पिछले कुछ सालों से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री-खरीद में तेजी आई है. इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी पर चलते हैं और इसलिए आने वाले समय में EV बैटरीज सेक्टर में बहुत ज्यादा संभावनाएं होंगी. हालांकि, इस सेक्टर में एक समस्या भी है कि बैटरी मैन्यूफैक्चरिंग को इको-फ्रेंडली कैसे बनाया जाए? और इस समस्या का हल ढूंढा है ओडिशा की दो जुड़वां बहनों ने. 

निकिता बलियारसिंह और निशिता बलियारसिंह अपने भुवनेश्वर स्थित स्टार्टअप के जरिए एग्रीकल्चरल वेस्ट को अपसायकल करके ईवी बैटरी बना रही हैं. साल 2019 में इन दोनों बहनों ने Nexsus Power नाम से अपना स्टार्टअप शुरू किया था. एक रोज देर रात छत पर हुई बातचीत और उनके दादाजी की लाइब्रेरी की एक पुरानी बायोकैमिस्ट्री की किताब ने इस स्टार्टअप को जन्म दिया. 

इस तरह हुई शुरुआत 
इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर चर्चा करते हुए, इन बहनों को एहसास हुआ कि बैटरी तकनीक में नवाचार या इनोवेशन की जरूरत है. आपको बता दें कि निकिता ने मीडिया और मास कम्युनिकेशन में मास्टर कोर्स किया जबकि निशिता ने कॉर्पोरेट फाइनेंस में अपनी पढ़ाई पूरी की. 

इसके अलावा, निशिता ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी सॉल्यूशन खोजने के लिए बैटरी थर्मल मैनेजमेंट, हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल डिजाइनिंग और इनोवेशन और आईपी अधिकारों की स्टडी की है. निकिता ने एनर्जी स्टोरेज के लिए नैनो मैटेरियल्स के चयन में कुछ कोर्स किए हैं. नेक्सस पावर की सीईओ निशिता बलियारसिंह ने फोर्ब्स को बताया कि ईवी उद्योग में एफिशिएंट बैटरियों की कमी है. क्योंकि ज्यादातर बैटरीज को चार्ज होने में लगभग चार से छह घंटे लगते हैं. इसलिए, केवल एक मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर ही अनुकूलन को तेज करेगा.

फसल के अवशेषों से बनी बैटरी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेक्सस पावर बैटरियां बायो-डिग्रेडेबल हैं, जो फसल के अवशेषों से बनाई जाती हैं. हम सब जानते हैं कि खेतों से अक्सर पराली या अन्य तरह के अवशेषों को आमतौर पर जला दिया जाता है, जिससे सर्दियों में भारी वायु प्रदूषण होता है. कंपनी फसल के अवशेष खरीदती है और उससे रिचार्जेबल एनर्जी-स्टोरिंग सेल बनाती है. 

निकिता का कहना है कि उनकी बैटरियां लिथियम-आयन-फ्री हैं और इसलिए ये पर्यावरण के अनुकूल और सस्टेनेबल हैं. उनकी कंपनी किसानों से फसल अपशिष्ट खरीदती है. कंपनी में बनने वाली हर  100 बैटरी से किसानों को 25,000 रुपए की अतिरिक्त आय होती है. कंपनी का दावा है कि यह बैटरी 50 मिनट में 0 से 100 तक चार्ज हो सकती है. उनका लक्ष्य इसे घटाकर 25 से 30 मिनट करना है. 

 

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