आए दिन ओला, उबेर कैब में लोगों को अचानक से फेयर बढ़ा हुआ दिखाई देता है. कंज्यूमर जब पूछते हैं कि ऐसा कैसे हुआ तो इसके जवाब में कैब ड्राइवर सर्ज चार्ज (Surge Charge) की दुहाई देते हैं. कैंसलेशन चार्ज से लेकर राइड कैंसलेशन तक में कंज्यूमर को पेनेल्टी के रूप में कुछ एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ता है. कंज्यूमर द्वारा इसकी शिकायत करने के बाद भी इसपर कोई एक्शन नहीं लिया जाता है.
अब इसपर नियंत्रण पाने के लिए सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने कैब एग्रीगेटर्स के साथ मंगलवार को एक मीटिंग की है. जिसमें ओला-उबेर जैसी एप आधारित कैब सर्विस देने वाली तमाम कंपनियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं. इसमें कैब एग्रीगेटर्स को कहा गया है कि वे जल्द से जल्द कंज्यूमर की समस्याओं को सुलझाएं. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनपर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
कैब कैंसिलेशन एक बड़ा मुद्दा है
आउटलुक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में, क्लूट्रैक ने मीडिया आउटलेट Inc42 के साथ ओला और उबर के ऐप्स के लिए Google Play Store और Apple Store पर 21,573 रिव्यूज का एनालिसिस किया था. इसमें से 97 प्रतिशत ग्राहकों ने राइड कैंसिलेशन को एक प्रमुख मुद्दा बताया था, जबकि खराब रेड्रेसल मैकेनिज्म और खराब मोबाइल एप एक्सपीरियंस ग्राहकों के बीच चिंता का दूसरा सबसे बड़ा कारण था.
वहीं लोकल सर्किल ने एक और सर्वे किया जिसमें 65,000 ग्राहकों को एनालाइज किया गया. जिसमें 71 प्रतिशत ने कैब राइडर्स द्वारा बार-बार कैब कैंसल करने की ओर इशारा किया, जबकि 45 प्रतिशत लोगों ने बताया कि कैब सर्विस लेते समय एकदम से फेयर बढ़ा है.
एक ही जगह के लिए अलग-अलग किराया क्यों?
कंज्यूमर अफेयर्स के सेक्रटरी रोहित सिंह ने मीटिंग में कहा कि उन्होंने ओला और उबर जानकारी मांगी है. इसके साथ, कैब कंपनियों से भी पूछा गया है कि एक ही जगह पर जाने के लिए राइडर से अलग अलग फेयर क्यों लिया जाता है. इसके अलावा मंत्रालय ने यात्रियों के डेटा को सुरक्षित रखने के लिए कंपनियों द्वारा जो भी कदम उठाए गए हैं, उनकी जानकारी मांगी है.
क्या कहती है मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस?
मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस, 2020 के अनुसार, चूंकि सिटी टैक्सी का किराया WPI द्वारा इंडेक्स किया गया है, इसलिए ट्रिप चार्ज को बेस फेयर के 1.5 गुना पर कैप किया गया है, जबकि न्यूनतम चार्जेबल प्राइस को बेस फेयर के 50 प्रतिशत पर कैप किया गया है. जिन राज्यों में कैब की कीमतें निर्धारित नहीं की गई हैं, वहां 25 रुपये/30 रुपये मूल किराया होगा. अधिकांश राज्यों ने अभी तक कैब किराए का निर्धारण नहीं किया है. कोई भी ग्राहक अगर 3 किलोमीटर से ज्यादा यात्रा करता है तो कम से कम उससे बेस फेयर लिया जाएगा.
इसके अलावा, एग्रीगेटर के लिए शेयर को 20 प्रतिशत और ड्राइवर के लिए 80 प्रतिशत तक सीमित कर दिया गया है. कैब चालक या राइडर द्वारा बिना किसी वैध कारण के सवारी रद्द करने के मामले में, कुल किराया 100 रुपये से ज्यादा होने पर 10 प्रतिशत का जुर्माना लगाया गया है.
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