इनकम टैक्स (Income Tax Return) फाइल करने का समय आ गया है. मध्यम वर्ग के लोग इस समय जोड़-तोड़ में जुटे हैं कि उन्हें अपना आयकर फाइल करते हुए कौनसी टैक्स व्यवस्था अपनानी चाहिए. एक ओर जहां पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) आपको कई तरह की राहतें देती है, वहीं नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) में आसान टैक्स स्लैब आकर्षक लग सकते हैं.
आइए जानते हैं कि किस टैक्स स्लैब से आपको कौनसे फायदे मिल सकते हैं, ताकि आप यह फैसला कर सकें कि इस साल आपको कौनसी टैक्स रिजीम चुननी है.
ओल्ड बनाम न्यू, क्या है मूल फर्क?
इससे पहले कि आप यह फैसला करें कि आपको इस साल किस रिजीम से टैक्स फाइल करना है, एक बार नज़र डाल लेते हैं कि दोनों व्यवस्थाओं में मूल फर्क क्या है. सरकार न्यू टैक्स रिजीम 2020-21 बजट में लेकर आई थी. इस रिजीम में टैक्स दरों को आसान किया गया था. तीन लाख रुपए तक की आय पर जहां कोई टैक्स नहीं था, वहीं सात लाख रुपए तक की आय पर टैक्स छूट दी गई.
इसके अलावा 7-10 लाख पर 10 प्रतिशत, 10-12 लाख पर 15 प्रतिशत, 12-15 लाख पर 20 प्रतिशत और 15 लाख से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत कर लगाया गया. दूसरी ओर, ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं था जबकि पांच लाख रुपए तक टैक्स रिबेट मौजूद था. 5-10 लाख रुपए की आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया ही जा रहा था.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 67 प्रतिशत करदाताओं ने न्यू टैक्स रिजीम का रुख कर लिया है. यानी दो-तिहाई लोगों को यह फायदेमंद लगा. लेकिन आपको किन कारकों के आधार पर अपने टैक्स रिजीम का निर्णय लेना है? इसे एक उदाहरण से समझते हैं.
आपके लिए क्या है बेहतर?
दोनों टैक्स रिजीम की आसान तुलना के लिए उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं कि आपकी सालाना आय 12 लाख रुपए है. ओल्ड टैक्स रिजीम के अनुसार, इस आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा, जबकि न्यू टैक्स रिजीम के अनुसार 15 प्रतिशत टैक्स ही लगता है. सरसरी तौर पर देखने से लगता है कि न्यू टैक्स रिजीम बेहतर है, लेकिन अगर आप डिडक्शन का इस्तेमाल करें तो तस्वीर कुछ और है.
-ओल्ड टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत आपको 50,000 रुपए की छूट मिलती है. यानी किसी भी अतिरिक्त छूट के बिना ही आपको 11.5 लाख पर टैक्स देने की ज़रूरत है.
-इसके बाद अगर आप प्रोविडेंट फंड, ईएलएसएस या एनएससी (EPF, PPF, ELSS, NSC) में निवेश करते हैं तो आप इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए बचा सकते हैं. अब अगर आप नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश करते हैं तो सेक्शन 80CCD के तहत 50,000 रुपए की राहत पा सकते हैं. यानी कुल दो लाख रुपए (11,50,000 - 2,00,000 = 9,50,000).
-अगर आपने होम लोन ले रखा है तो आप इनकम टैक्स की धारा 24बी के तहत अधिकतम दो लाख रुपए की टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं. इसी तरह अगर आपने अपने और अपने परिवार के लिए मेडिकल इंश्योरेंस ले रखा है तो आप सेक्शन 80डी के तहत कुल 50,000 रुपए बचा सकते हैं. इसमें आपके और आपके बीवी-बच्चों के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए मिली 25,000 की रिबेट और आपके माता-पिता के लिए मिली 25,000 की रिबेट शामिल है.(9,50,000-2,50,000- 7,00,000)
ऐसे में सब तरह की राहतों का इस्तेमाल करने के बाद आप ओल्ड टैक्स रिजीम के 5-10 लाख रुपए वाले स्लैब में आ जाएंगे. इस व्यवस्था के अनुसार आपको सात लाख रुपए पर 20 प्रतिशत यानी 1,40,000 रुपए टैक्स देना होगा.
दूसरी ओर, आपको न्यू टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपए पर 75,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा और 11,25,000 रुपए पर 20 प्रतिशत टैक्स देना होगा. यानी 2.25 लाख रुपए.
साफ है कि अगर ऊपर दी गई इनवेस्टमेंट का सही तरह लाभ उठाकर राहत पा सकते हैं तो ओल्ड टैक्स रिजीम आपके लिए अच्छा है. वरना न्यू टैक्स रिजीम आपके लिए है. इसे पता लगाने का एक आसान तरीका यह है कि आप न्यू टैक्स रिजीम के अनुसार अपना आयकर कैलकुलेट करें और फिर अपने निवेशों का लेखा-जोखा तैयार करें.