अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो चुकी है. इस दिन की तैयारियां पूरे देश में लंबे समय से चल रही थीं. रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का उत्साह सिर्फ अयोध्या नहीं बल्कि देश के लगभग हर गांव-शहर में देखा गया. लकड़ी के काम के लिए प्रसिद्ध यूपी के सहारनपुर में कारीगरों के पास राम मंदिर के रेप्लिका मॉडल्स के ऑर्डर की बाढ़ आ गई है.
इससे जिले के एक हजार से ज्यादा कारीगरों को लगातार काम मिल रहा है. सहारनपुर टिम्बर ट्रेड एंड वुड कार्विंग एसोसिएशन के मुताबिक राम मंदिर की प्रतिकृतियां तैयार करने वालों में से 70% से अधिक मुस्लिम हैं.
हर दिन 4000 रेप्लिका के ऑर्डर
तीन से 12 इंच तक की राम मंदिर की छोटी प्रतिकृतियां, बड़ी प्रतिकृतियों की तुलना में ज्यादा मांग में हैं. जिस कारण श्रमिक वर्ग और छोटे स्तर के व्यवसायियों को फायदा हुआ है. कारीगरों को देश भर से और यहां तक कि अमेरिका से भी ऑर्डर मिल रहे हैं. वर्तमान में, ये प्रतिकृतियां स्मृति चिन्ह या रिटर्न गिफ्ट के रूप में काम करती हैं.
उनके अलावा, बाज़ार में छोटे और बड़े पैमाने पर भी कई आपूर्तिकर्ता हैं. पहले जहां कारीगर बद्रीनाथ या केदारनाथ की केवल 400-500 प्रतिकृतियां ही बेच पाते थे. अब, हर दिन लगभग 2,000 पीस बेच रहे हैं. राम मंदिर के लिए हर दिन 4,000 से ज्यादा ऑर्डर मिल रहे हैं. इस मांग को पूरी करना चुनौतीपूर्ण हो गया है. ठंड के कारण भी काम धीमा पड़ रही है.
400 करोड़ तक का कारोबार
सहारनपुर में, लकड़ी पर नक्काशी का व्यवसाय करने वाले लोग किसी तरह लकड़ी के पैनलों को काटकर या उन्हें चिपकाकर प्रतिकृतियां तैयार करने में लगे हुए हैं. जिला उद्योग केंद्र (सहारनपुर) के उपायुक्त वी के कौशल ने टीओआई को बताया कि निर्माताओं को अब तक थोक ऑर्डर मिले हैं, और ऐसा लगता है कि राम अभिषेक के बाद खुदरा ऑर्डर मिलेंगे.
इस बार शहर में 400 करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद है. भारी ऑर्डर के कारण, निर्माता आउटसोर्सिंग कर रहे हैं, सैकड़ों कारीगरों को रोजगार दे रहे हैं. इन मॉडल्स की कीमत 100 रुपये से शुरू होती है और 2 लाख रुपये तक जाती है.