भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को भारत के लिए एक डिजिटल करेंसी से संबंधित एक कांसेप्ट नोट जारी किया है. आरबीआई के मुताबिक, इसका उद्देश्य सामान्य रूप से सीबीडीसी और डिजिटल रुपये (e-rupee ) के बारे में लोगों को जागरूक करना है. CBDC, या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, को ‘देश की करेंसी का डिजिटल रूप’ में परिभाषित किया जा सकता है.
लॉन्च करते हुए सेंट्रल बैंक ने सीबीडीसी के बारे में कहा की ये डिजिटल फॉर्म में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी लीगल टेंडर है. यह सॉवरेन पेपर करेंसी के समान है. इसकी भी उतनी ही वैल्यू होगी जितनी देश में पेपर करेंसी की है.
क्या है डिजिटल रुपया?
कांसेप्ट नोट के मुताबिक, आरबीआई ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपए को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी लीगल टेंडर के रूप में परिभाषित किया है. डिजिटल रुपया देश में चल रही पेपर करेंसी के बराबर होगी. इसका इस्तेमाल भी उसी तरह किया जाएगा, जैसे पेपर करेंसी का किया जाता है.
डिजिटल रुपया की विशेषताएं
1. सीबीडीसी सेंट्रल बैंकों द्वारा उनकी मोनेटरी पॉलिसी के अनुरूप जारी की गई एक संप्रभु मुद्रा है. आसान शब्दों में कहें तो ये पेपर करेंसी जैसी है.
2. डिजिटल करेंसी देश में पेमेंट का माध्यम, लीगल टेंडर, और सभी नागरिकों, एंटरप्राइज और सरकार द्वारा वैल्यू के एक सेफ स्टोर के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.
3. कमर्शियल बैंक के पैसे और कैश से अलग सीडीबीसी का इस्तेमाल करेंसी के रूप में किया जा सकता है.
4. इसके साथ धारकों के पास इसे इस्तेमाल करने के लिए कोई बैंक अकाउंट होना जरूरी नहीं है.
डिजिटल रुपया डिजिटल रूप में पैसे से कैसे अलग है?
सीबीडीसी और डिजिटल रूप में पैसे के बीच अंतर बताते हुए, आरबीआई ने कहा, "एक सीबीडीसी जनता के लिए उपलब्ध मौजूदा डिजिटल पैसे से अलग होगा क्योंकि सीबीडीसी रिजर्व बैंक की लॉयबिलिटी होगी, न कि एक कमर्शियल बैंक की."
कई देश अपना चुके डिजिटल करेंसी
गौरतलब है कि केवल भारत ही इसे लॉन्च करने वाला अकेला देश नहीं है. बल्कि अटलांटिक काउंसिल के सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी ट्रैकर के अनुसार, नौ देश हैं जिन्होंने पूरी तरह से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च की है. नौ में से आठ देश कैरिबियन में स्थित हैं. बहामास का सैंड डॉलर दुनिया का पहला CBDC था, इसे 2019 में लॉन्च किया गया था. इसके अलावा, G20 देशों में से, 19 अपने स्वयं के CBDC को लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि उनमें से 16 पहले से ही इसपर काम कर रहे हैं या पायलट फेज में हैं. इसमें दक्षिण कोरिया, जापान और रूस शामिल हैं. अब भारत भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है.