क्रिप्टोकरेंसी पर RBI गवर्नर ने जताई आशंका, जानिए इस डिजिटल मनी ने क्यों बढ़ाई चिंता

आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने इसे एक तरह की अट्टकलबाजी बताया है.

RBI गवर्नर
शताक्षी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST
  • भारत समेत दुनिया में क्रिप्टो का कोई नियामक नहीं
  • छोटे निवेशकों को मोटी कमाई का लालच देकर पूंजी हड़पने की भी आशंका

क्रिप्टोकरेंसी का ट्रेंड दुनिया भर में फैला है. इसमें दुनिया के लाखों लोगों ने अपना पैसा लगाया है. हालांकि आरबीआई के गवर्नर शशिकांत दास ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि ये क्रिप्टोकरेंसी अर्थव्यवस्था के खतरा है. इस पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने इसे सट्टेबाजी करार किया है. गौरतलब है कि आरबीआई ने पहली बार 2018 में क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में एक सर्कुलर जारी किया था. आरबीआई ने विनियमित संस्थाओं को ऐसे उपकरणों में काम करने से रोका था.

आरबीआई गवर्नर का कहना है ऐसा कुछ भी जो बिना किसी अंतर्निहित विश्वास या मूल्य के है या जिसका मूल्य सिर्फ परसेप्शन के आधार पर तय किया जाता है, वह सिर्फ एक सोफिस्टिकेटेड अटकलबाजी है. उन्होंने कहा कि हमें उभरते हुए जोखिमों से सावधान रहना चाहिए. 

दरअसल आरबीआई गवर्नर का ये बयान एफएसआर (Financial Stability Report) के स्ट्रेस टेस्ट के बाद आया है. जिसमें ये बात सामने आई है कि बैंक बैंक न्यूनतम पूंजी आवश्यकता से नीचे गिरे बिना भी गंभीर और तनावपूर्ण आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. शशिकांत दास ने कहा कि हाल के दिनों में चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था में रिकवरी हो रही है. हमें महंगाई और जियो-पॉलिटिकल चुनौतियों से सख्ती से निपटने की जरूरत है.

एफएसआर की प्रस्तावना में दास ने ये भी कहा कि प्रौद्योगिकी ने वित्तीय क्षेत्र की पहुंच को बढ़ावा दिया है और इसके फायदों का पूरी तरह से उपयोग करना चाहिए, लेकिन वित्तीय स्थिरता को बाधित करने इसकी क्षमता से भी बचाव का उपाय किया जाना चाहिए. लेकिन वित्तीय स्थिरता को बाधित करने की इसकी क्षमता से भी बचाव का उपाय किया जाना चाहिए. उन्होंने आगे ये भी कहा कि वित्तीय प्रणाली धीरे-धीरे डिजीटल हो रही है, जिससे साइबर जोखिम भी बढ़ा है. इसके मद्देनजर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

क्रिप्टो पर आरबीआई की चिंता की क्या है वजह?
आरबीआई की सबसे बड़ी चिंता है कि भारत समेत दुनिया में क्रिप्टो का कोई नियामक नहीं. इसके अलावा देश में 500 से दो हजार रुपए निवेश करने वाले 80 फीसदी लोग हैं. इसके अलावा छोटे निवेशकों को मोटी कमाई का लालच देकर पूंजी हड़पने की भी आशंका है. दुनिया भर में क्रिप्टो के नाम पर खाते से पैसे उड़ाने के कई मामलों ने चिंता बढ़ाई है.
 
 

 

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