देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) यानी एसबीआई (SBI) अपने करोड़ों ग्राहकों को जोर का झटका दिया है. दरअसल, एसबीआई ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में इजाफा कर दिया है.
नई दरें 15 अगस्त 2024 से लागू हो गई हैं. एमसीएलआर में बढ़ोतरी से अब बैंक से लोन लेना महंगा हो जाएगा. इतना ही नहीं होम लोन, कार लोन और एजुकेशन लोन की ईएमआई (EMI) भी ज्यादा चुकानी होगी. इससे ग्राहकों के जेब पर सीधा असर पड़ेगा.
ग्राहकों को एसबीआई लगातार दे रहा झटका
भारतीय स्टेट बैंक अपने ग्राहकों का लगातार झटका दे रहा है. बैंक ने जून 2024 से लेकर अब तक कुल तीन बार ब्याज दरों में इजाफा किया है. कुछ अवधि की ब्याज दरों में 30 बेसिस प्वाइंट्स तक की बढ़ोतरी हो चुकी है. आपको मालूम हो कि अभी हाल ही में आरबीआई की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक हुई थी. इसमें नौवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया. आरबीआई की ओर से रेपो रेट को लगातार नौवीं बार 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने के बाद एसबीआई ने ब्याज दर में बढ़ोतरी की है.
कितना किया इजाफा
स्टेट बैंक ने लोन की ब्याज दरों (SBI MCLR Hike) में 10 बेसिस प्वाइंट या 0.10 फीसदी का इजाफा किया है. ये बदलाव अलग-अलग टैन्योर के कर्ज को प्रभावित करेगा. नई दरों के लागू होने के साथ तीन साल के टैन्योर के लिए एमसीएलआर 9% से बढ़कर 9.10% हो गया है, जबकि ओवरनाइट एमसीएलआर 8.10 बढ़कर 8.20% हो गया है.
अलग-अलग टैन्योर पर नई MCLR दरें
1. ओवरनाइट: 8.10% से बढ़कर 8.20%
2. एक महीना: 8.35% से बढ़कर 8.45%
3. तीन महीने: 8.40% से बढ़कर 8.50%
4. छह महीने: 8.75% से बढ़कर 8.85%
5. एक साल: 8.85% से बढ़कर 8.95%
6. दो साल: 8.95% से बढ़कर 9.05%
7. तीन साल: 9.00% से बढ़कर 9.10%
ये बैंक भी कर चुके हैं MCLR में इजाफा
एसबीआई से पहले केनरा बैंक (Canera Bank), यूको बैंक (UCO Bank) और बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank Of Baroda) ने भी अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट्स में बढ़ोतरी की थी. इनकी नई दरों अगस्त महीने से लागू हो चुकी हैं. केनारा बैंक ने अपने MCLR में 5 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है. बैंक की नई दरें 12 अगस्त से लागू हो चुकी हैं. यूको बैंक ने अपनी ब्याज दरों में बदलाव किया और नई ब्याज दरें 10 अगस्त से लागू हो चुकी हैं. बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की. बैंक की नई दरें 12 अगस्त 2024 से लागू हो चुकी हैं.
क्या होता है MCLR
अब हम आपको बता रहे हैं कि बैंक का MCLR आखिर होता क्या है और इसका लोन लेने वाले पर क्या असर पड़ता है. MCLR रिजर्व बैंक की ओर से तय की गई एक पद्धति है, जो कॉमर्शियल बैंक्स द्वारा ऋण ब्याज दर तय करने के लिए इस्तेमाल की जाती है. एमसीएलआर वह न्यूनतम दर होती है, जिसके नीचे कोई भी बैंक ग्राहकों को लोन नहीं दे सकता है. इससे साफ है कि यदि इसमें बदलाव किया जाता है तो फिर लोन की ईएमआई पर असर दिखाई देता है. MCLR जितना बढ़ता है लोन पर ब्याज भी बढ़ जाता है.
इसके कम होने पर घट जाता है. दरअसल, जब आप किसी बैंक से कर्ज लेते हैं तो बैंक द्वारा लिए जाने वाले ब्याज की न्यूनतम दर को आधार दर कहा जाता है. अब इसी आधार दर की जगह पर बैंक MCLR का इस्तेमाल कर रहे हैं. आपको मालूम हो कि MCLR रेट बढ़ने पर आपके लोन पर ब्याज दरें तुरंत नहीं बढ़ती हैं. लोन लेने वालों की EMI रीसेट डेट पर ही आगे बढ़ती है. बैंकों के लिए हर महीने अपना ओवरनाइट, एक महीने, तीन महीने, छह महीने, एक साल और दो साल का एमसीएलआर घोषित करना अनिवार्य होता है.