कैपिटल मार्केट रेगुलेटर, सेबी (Sebi) ने मंगलवार को कैफे कॉफी डे चलाने वाली कॉफी डे एंटरप्राइजेज पर 26 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. कॉफी डे एंटरप्राइजेज पर सहायक कंपनियों से प्रमोटर्स की कंपनी को फंड डायवर्ट करने का आरोप लगा है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक आदेश में कहा कि कंपनी को 45 दिनों के भीतर जुर्माना भरने का निर्देश दिया गया है.
देश में शुरू किया कॉफी कल्चर
कैफे कॉफी डे को भारत की बेहतरीन घरेलू सफलता की कहानियों में से एक माना जाता है. साल 1996 में कर्नाटक के रहने वाले वीजी सिद्धार्थ (VG Siddhartha) ने देश में बढ़ते कॉफी कल्चर को देखते हुए कैफे कॉफी डे की शुरुआत की थी. चाहे वह दोस्तों के साथ वीकेंड गेटवे हो, पहली डेट हो या फिर अपने परिवार को अपना समय देना हो, हर मौके को स्पेशल बनाने की जगह एक ही थी कैफे कॉफी डे.
CCD बाहर से भले ही समृद्ध दिखता था लेकिन इसके मैनेजमेंट में कई समस्याएं थीं. कंपनी पर करोड़ों का ऋण था और यह सब सामने आया जब वीजी सिद्धार्थ की सुसाइड की खबर सामने आई. मैंगलोर के पास नेत्रावती नदी में कुदने के बाद उनकी मौत हो गई. सूत्रों के मुताबिक निगम पर 7000 करोड़ रुपए का कर्ज था.
मालविका हेगड़े ने संभाली दूसरी पारी
सिद्धार्थ के जाने के बाद सबको लगा कि कंपनी अब बंद हो जाएगी. कंपनी कर्ड में थी और कंपनी शुरू करने वाला जा चुका था. ऐसे में, कंपनी की कमान सिद्धार्थ की पत्नी मालविका हेगड़े ने संभाली. उन्होंने सीसीडी के सीईओ का पद संभाला. आपको बता दें कि मालविका हेगड़े कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा की बेटी हैं.
उनका जन्म 1969 में बैंगलोर शहर में हुआ था. उनकी शादी 1991 में वीजी सिद्धार्थ से हुई थी और वह कंपनी के गैर-कार्यकारी बोर्ड के सदस्य थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब सिद्धार्थ ने मालविका को बताया था कि वह एक कप कॉफी के लिए 25 रुपये चार्ज करेगा जो स्थानीय रूप से 5 रुपये में उपलब्ध है, तो वह उनके प्रस्ताव पर हंस पड़ी थीं. लेकिन सिद्धार्थ ने CCD खड़ा किया और अब इसकी जिम्मेदारी मालविका ने उठाई.
CCD को फिर से किया खड़ा
जुलाई 2020 में, मालविका ने अपना पहला सार्वजनिक बयान दिया और कंपनी के 25,000 कर्मचारियों को संबोधित किया और कहा, "वह कॉफी डे के भविष्य के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है," और आश्वासन दिया कि कॉफी डे को बचाया जा सकता है. 31 मार्च 2019 तक कैफे कॉफी डे पर करीब 7000 करोड़ रुपए का कर्ज था.
मालविका ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने अपने पति के सीसीडी को एक सफल बिजनेस मॉडल बनाने के सपने को पूरा करने की ठान ली और काम करना शुरू कर दिया. वह सीसीडी में काम करने वाले हजारों कर्मियों की जिम्मेदारियों और स्थितियों को भी अच्छी तरह समझती थीं. सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने अपने कर्जदाता को 1,644 करोड़ रुपये का भुगतान किया. मालविका ने इंवेस्टर्स को बढ़ाया और कंपनी में हिस्सेदारी बेची, जिससे घाटे को कम करने में मदद मिली.
इसके अलावा, मालविका ने अपने 20,000 एकड़ के कॉफी बागान में उगाई जाने वाली उच्च गुणवत्ता वाली कॉफी बीन्स का निर्यात करके अच्छा फायदा लिया. दूसरी ओर, मालविका ने उन कैफे कॉफी डे आउटलेट्स को भी बंद कर दिया, जो फायदे में नहीं थे. कई आईटी पार्कों और कंपनियों में स्थापित कई कॉफी वेंडिंग मशीनों को वापस ले लिया.
टॉप कॉफी कंपनी बनाने का है लक्ष्य
मालविका की शानदार सोच के साथ, कैफे कॉफी डे वर्तमान में देश भर में 572 आउटलेट और 333 कैफे कॉफी डे वैल्यू एक्सप्रेस कियोस्क संचालित कर रहा है. इसके अलावा, विभिन्न फर्मों में कैफे कॉफी डे की 36,000 कॉफी वेंडिंग मशीनें भी कंपनी को अच्छा मुनाफा दे रही हैं.
मालविका यह सुनिश्चित करने में सक्षम रही हैं कि उनके पति का सपना सफलतापूर्वक जारी रहे और अपने मूल्यवान ग्राहकों को वापस लाने में सक्षम रही हैं. उनका सपना है कि CCD टॉप कॉफी कंपनी बने.