मिडिल-क्लास के लिए सेकंड-हैंड कपड़े या एक्सेसरीज पहनना कोई बड़ी बात नहीं है. भारत के आम घरों में अक्सर यह होता है कि किसी बच्चे के कपड़े छोटे हो जाएं तो रिश्तेदारी या आस-पड़ोस में ही किसी छोटे बच्चे के लिए दे दिए जाते हैं. और अगर आस-पड़ोस में न जाएं तो ये कपड़े दान में दे दिए जाते हैं. लेकिन सेकंड हैंड कपड़े जो घर-परिवार या चैरिटी तक ही सीमित थे, आज वे ग्लोबल ट्रेंड बन रहे हैं. इतना ही नहीं, बड़े ब्रांडस इन सेकंड हैंड कपड़ों को मार्केट कर रहे हैं.
नेटफ्लिक्स ड्रामा "एमिली इन पेरिस" के लेटेस्ट सीज़न के एक एपिसोड में एक लग्जरी ब्रांड, वेस्टियायर कलेक्टिव को दर्शाया गया. यह एक लग्जरी रिेलिंग साइट, जहां से डिजाइनर आउटफिट खरीद सकते हैं. इस तरह पॉपुलर ऑनलाइन मार्केटप्लेस, ईबे ने ब्रिटिश रियलिटी शो "लव आइलैंड" के साथ पार्टनरशिप की है. इस शो के प्रतियोगी पुराने सेकंड-हैंड कपड़ों में नजर आ चुके हैं. वहीं, पिछले साल लंदन फैशन वीक में लिथुआनियाई रिसेलिंग साइट विंटेड और एक चैरिटी संस्था. ऑक्सफैम ने सेकेंड-हैंड आउटफिट्स दिखाए थे.
9 लाख करोड़ रुपए का है मार्केट
एक बैंक, लोम्बार्ड ओडिएर की रिसर्च के अनुसार, इस्तेमाल किए गए कपड़ों और एक्सेसरीज़ का ग्लोबल मार्केट अब लगभग 100 बिलियन डॉलर का है, जो 2020 में 30-40 बिलियन डॉलर से ज्यादा है. कंसल्टेंसी, मैकिन्से का मानना है कि अमेरिकी रिसेलिंग मार्केट 2023 में कपड़ों की खुदरा बिक्री की तुलना में 15 गुना तेजी से बढ़ा है, और इस साल ग्लोबल एप्रेल मार्केट में सेकेंड-हैंड बिक्री का हिस्सा 10% होगा. द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, वेस्टियायर पर अब हर दिन लगभग 30,000 आइटम नए लिस्टेड होते हैं. आजकल कई फैशन ब्रांड मुश्किलें झेल रही हैं, लेकिन वहीं रिसेलिंग साइटें फलफूल रही हैं.
सस्टेनेबल लाइफस्टाइल है प्रेरणा
सेकेंड-हैंड सामान की मार्केट बढ़ने का एक कारण सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को कहा जा सकता है. बहुत से खरीदार आजकल पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं और इस कारण सेकंड हैंड सामान खरीदते हैं. फैशन इंडस्ट्री ग्लोबल कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लगभग 10% के लिए ज़िम्मेदार है, जो शिपिंग और हवाई यात्रा से ज्यादा है. इसमें पानी का भी बहुत इस्तेमाल होता है.
एक कारण कीमत भी है. उपभोक्ता पैसे बचाने के लिए तेजी से पुरानी वस्तुओं की ओर रुख कर रहे हैं. वेस्टियायर ने कैल्क्यूलेशन की है कि उसकी साइट पर खरीदा गया सेकेंड-हैंड डिजाइनर गियर एचएंडएम जैसी कंपनियों के फर्स्टहैंड फास्ट फैशन की तुलना में औसतन 33% सस्ता है. वहीं, यह अंतर कोट, ड्रेस जैसी चीजों के लिए और बढ़ जाता है. हालांकि, यह मार्केट और बढ़ सकता है. माना जा रहा है कि लोगों की अलमारी में 200 बिलियन डॉलर कीमत के लक्जरी सामान हैं जो रिसेल के लिए तैयार हैं. इनमें से सिर्फ 3% ही हर साल बाज़ार में आते हैं.
रिसेलिंग प्लेटफॉर्म बना रहे प्रोसेस को आसान
ज्यादा से ज्यादा लोग अपने पुराने कपड़ों को रिसेलिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए दें, इस प्रक्रिया को सस्ता और आसान बनाने पर काम कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि विंटेड ने 2016 में विक्रेताओं के लिए लिस्टिंग शुल्क खत्म कर दिया. इसके बदले खरीदारों से लगभग 5% शुल्क लिया जाता है. पिछले साल लंदन स्थित सोशल कॉमर्स फर्म डेपॉप और ईबे ने ब्रिटेन में भी इस स्ट्रेटजी को फॉलो किया था. रिसेलिंग प्लेटफ़ॉर्म खरीदारों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.
भारत में भी है कई थ्रिफ्ट स्टोर्स
भारत में भी कई थ्रिफ्ट स्टोर्स हैं जहां सेकंड हैंड सामान मिलता है या कई जगहों पर पुराने कपड़ों को अपसायकल करके बेचा जाता है. आपको ऑनलाइन थ्रिफ्ट स्टोर्स भी मिल जाएंगे. The Thrift Kart भारत का प्रीमियम थ्रिप्ट स्टोर है जहां से आप फेमस ब्रांड्स के कपड़े खरीद सकते हैं. इसके अलावा, Bombay Clote Cleanse पर भी आप कपड़े खरीद, बेच और रेंट कर सकते हैं. My Thrift Kart भी फेमस ऑनलाइन थ्रिफ्ट सटोर है.