SEBI reduces IPO Listing Time: सेबी ने कम किया आईपीओ लिस्टिंग का समय, 6 दिन की बजाय तीन दिन में होगा काम, जानें फायदा

SEBI ने एक बहुत बड़ा कदम उठाया है. दरअसल IPO लिस्टिंग का टाइम कम कर दिया है जिसका फायदा कंपनी या इश्यूअर और ग्राहक, दोनों को हो सकता है.

SEBI
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 30 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:28 PM IST

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के शेयरों को सूचीबद्ध करने की समय अवधि को निर्गम बंद होने की तारीख (टी दिन) से मौजूदा छह दिनों के बजाय तीन दिन तक कम करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सेबी ने कहा है कि टी+6 दिनों के बजाय टी+3 दिनों की संशोधित समयसीमा दो चरणों में लागू की जाएगी - 1 सितंबर 2023 को या उसके बाद सभी पब्लिक ऑफरिंग्स के लिए वॉलंट्री फेज, और 1 दिसंबर 2023 या उसके बाद खुलने वाले सार्वजनिक निर्गमों के लिए अनिवार्य. 

क्या होगा इससे फायदा 
सेबी का यह कदम उनके मई के डिस्कशन पेपर में सिफारिशों के अनुरूप है. लिस्टिंग समय में इस कटौती से जारीकर्ता (Issuer) और निवेशक (Invester) दोनों को फायदा होगा. पूंजी बाजार नियामक ने, हाल के वर्षों में, आईपीओ इकोसिस्टम को सरल बनाने और शेयरों की लिस्टिंग के लिए सार्वजनिक निर्गम के लिए ड्राफ्ट पेपर दाखिल करने की प्रक्रिया में शामिल गतिविधियों को मैनेज करने के लिए कई उपाय किए हैं.

सेबी ने कहा कि लिस्टिंग के लिए समयसीमा कम करने का निर्णय सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद लिया गया है, जिसमें एंकर निवेशक, रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट, ब्रोकर-वितरक, बैंक आदि शामिल हैं. लिस्टिंग समयसीमा में इस कटौती से हितधारकों को लाभ होने की उम्मीद है क्योंकि जारीकर्ताओं को उनके फंड मिलेंगे और आवंटियों (Allottees) को कम समय अवधि में उनकी सिक्योरिटीज मिलेंगी. 

इसके अलावा, यह कदम यह भी सुनिश्चित करता है कि जिन ग्राहकों को शेयर आवंटित नहीं किए गए थे, उन्हें उनका पैसा जल्दी वापस मिल जाएगा. सेबी ने कहा, "सार्वजनिक निर्गम प्रक्रिया में स्टॉक एक्सचेंज, बैंक, डिपॉजिटरी, ब्रोकर जैसे सभी हितधारकों के संसाधनों को कम समय के लिए लगाया जाएगा."

 

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