पहले सीजन में दर्शकों से मिले भरपूर प्यार के बाद 'शार्क टैंक इंडिया' का दूसरा सीजन 2 जनवरी 2023 से शुरू हो चुका है. इस शो में एंटरप्रेन्योर्स पैसा जुटाने के मकसद से निवेशकों के एक पैनल के सामने अपना बिजनेस आइडिया या प्रोडक्ट पेश करते हैं. युवा कारोबारी एक से एक कान्सेप्ट लेकर आते हैं, उसका पूरा लेखा जोखा देते हैं, और मसला इस बात पर खत्म होता है कि वो बिजनेस/प्रोडक्ट/आइडिया निवेशकों को पसंद आया या नहीं और सब गुणा-गणित और सवाल-जवाब करने के बाद निवेशक/शार्क्स तय करते हैं कि उसमें पैसा लगाना है या नहीं. शो के दौरान ये निवेशक/शार्क्स कई ऐसे -इक्विटी, वैल्यूएशन, D2C जैसे भारी-भरकम बिजनेस शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जो कई लोगों के पल्ले नहीं पड़ते.
आप शो का पूरा आनंद ले पायें इसलिए आपको आसान भाषा में समझाते हैं शार्क टैंक में अक्सर इस्तेमाल होने वाले बिजनेस टर्म.
1. डी2सी/D2C (Direct-to-Consumer)
D2C का सीधा मतलब है डायरेक्ट टू कंज्यूमर. इस बिजनेस मॉडल में कंपनी अपना प्रोडक्ट या सर्विस बिना किसी बिचौलिए के सीधे उपभोक्ता/ कस्टमर तक पहुंचाती है. इसमें कोई बीच का आदमी या होलसेलर नहीं होता.
कंपनी को अपने प्रोडक्ट या सर्विस को लोगों तक पहुंचाने के दो तरीके हैं, एक तो है कि वो अपना प्रोडक्ट या सर्विस पहले होलसेलर या किसी बीच वाली पार्टी को दे फिर वहां से आप तक पहुंचे. दूसरा तरीका है कि कंपनी सीधे कंज्यूमर यानि आप तक पहुंचे. जब कंपनी का प्रोडक्ट सीधे कस्टमर तक पहुंचता है, ऐसे बिजनेस मॉडल को डी2सी/D2C कहा जाता है.
जैसे-Boat के इयरफोन खरीदने के लिए आप Boat की वेबसाईट पर जाकर सीधे कंपनी से खरीद सकते हैं.
2. इक्विटी/Equity
आसान भाषा में समझें तो इक्विटी का मतलब होता है मालिकाना हक की हिस्सेदारी. अगर आपके पास किसी कंपनी की 10% इक्विटी है तो इसका मतलब आप उस कंपनी के इतने फीसदी हिस्से के मालिक हैं.
3. वैल्यूएशन/Valuation
वैल्यूएशन मतलब कंपनी या बिजनेस के आर्थिक मूल्य को निर्धारित करने का प्रोसेस. मोटा-मोटी समझें तो कंपनी या बिजनेस की कुल माली हैसियत के आकलन के प्रोसेस को वैल्यूएशन कहते हैं. वैल्यूएशन से किसी कंपनी या बिजनेस की आर्थिक स्थिति का अंदाजा होता है. जब हम कुछ खरीदते हैं तो इस बात का ध्यान रखते हैं कि जितना पैसा हम उस चीज को खरीदने में खर्च कर रहे हैं उससे उतनी वैल्यू भी मिले, या क्या उसकी कीमत के अनुसार वैल्यू भी है या नहीं.
वैल्यूएशन का इस्तेमाल, किसी कंपनी/बिजनेस को बेचने के लिए, किसी दूसरी कंपनी से पार्टनरशिप करने के लिए या निवेशकों से पैसा जुटाने के लिए के लिए होता है.
4. ऑफर और काउंटर-ऑफर/Offer vs Counter-Offer
किसी बिजनेस डील में जब दो व्यक्ति या पार्टियां लेन-देन या व्यापारिक सौदे पर बातचीत करने के लिए साथ आते हैं तो कोई एक दूसरे के सामने प्रस्ताव/ऑफर रख सकता है. काउंटर-ऑफर पहले/ओरिजिनल ऑफर का नई शर्तों के साथ रिप्लाई होता है.
जैसे-राहुल ने 1 करोड़ में अपना घर बेचने का तय किया. कुंदन इसे देखते हैं और राहुल को 1 करोड़ के बजाय 80 लाख का प्रस्ताव देते हैं. इसके बाद राहुल 90 लाख का काउंटर-ऑफर देने का फैसला करते हैं. अब गेंद कुंदन के पाले में है और वो इस काउंटर-ऑफर को एक्सेप्ट या रिजेक्ट कर सकते हैं.
5. प्रोटोटाइप/Prototype
जब आप कोई नया बिजनेस प्रोडक्ट तैयार करते हैं तो अपने प्रोडक्ट को टेस्ट करने के लिए आप उसका एक सैंपल तैयार करते हैं. इसी को प्रोटोटाइप कहा जाता है. इससे प्रोडक्ट में बहुत सारा पैसा लगाए बिना ये अंदाजा हो जाता है कि ये प्रोडक्ट मार्केट में चलेगा या नहीं और अगर चलेगा तो क्या-क्या सुधार की जरूरत है.