बॉलीवुड सुपरस्टार आलिया भट्ट अक्सर अपने फैशन और कपड़ों को लेकर चर्चा में रहती हैं. खासकर इस बात के लिए उनकी सराहना की जाती है कि वे अपने कपड़े रिपीट करती हुई दिखती हैं. जी हां, आज के फास्ट फैशन के जमाने में आलिया भट्ट अपनी कोशिशों से सस्टेनेबल फैशन को प्रमोट करती रहती हैं. फिर चाहे वह अपनी शादी के फंक्शन के लिए बेकार बचे कपड़ों को अपसायकल कराकर लहंगा तैयार कराना हो, या अपने कपड़ों को बार-बार रिपीट करना हो या फिर सिंथेटिक डाई की जगह प्लांट-डाई यानी नेचुरल डाई कलर वाले कपड़े पहनना.
दिवाली के बाद आलिया ने अपने पति और जाने-माने एक्टर, रणबीर कपूर और बेटी राहा के साथ बहुत ही प्यारी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की. इसके तस्वीर में आलिया, रणबीर और राहा मे मैचिंग कपड़े पहने हुए हैं और दिलचस्प बात यह है कि आलिया ने जो साड़ी पहनी हुई थी, उस साड़ी को कलर करने के लिए प्लांट-डाई या नेचुरल कलर का इस्तेमाल किया गया था.
मंदिर में चढ़े फूलों को किया रिसायकल
मशहूर फैशन डिजाइनर अतीव आनंद के ब्रांड लेबल, Re-Ceremonial ने आलिया, राहा और रणबीर के आउटफिट्स को डिजाइन किया था. इन आउटफिट्स को रंगने के लिए किसी सिंथेटिक डाई कलर का इस्तेमाल नहीं किया गया, बल्कि आनंद की टीम ने मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में चढ़ने वाले गेंदे के फूलों को रिसायकल किया और उनके अर्क से कपड़ों को रंग दिया गया. अतीव आनंद अपने लेबल के जरिए सस्टेनेबल फैशन और हमारी विरासत को सहेजने पर जोर दे रहे हैं. आपको बता दें कि अतीव जाने-माने फुटवियर डिजाइनर भी रहे हैं. फिलहाल वह अपनी जो ब्रांड्स, WearTeev और Receremonial चला रहे हैं.
इस तरह से वह दो तरह से पर्यावरण को प्रदुषित होने से बचा रहे हैं. मंदिरों में चढ़ने वाले या सजावट में इस्तेमाल वाले फूलों को अगर सही से डिस्पोज न किया जाए तो ये हमारे पानी के स्त्रोतों को प्रदुषित कर सकते हैं. वहीं, दूसरी तरफ सिंथेटिक डाई पर्यावरण के साथ-साथ हमारी स्किन को भी नुकसान पहुंचाती हैं. ऐसे में, सबसे अच्छा तरीका है नेचुरल डाई इस्तेमाल कराना, जैसे कि अतीव और उनकी टीम कर रही है.
ये ब्रांड्स कर रहे हैं फूलों को रिसायकल
Phool.co एक नॉन-प्रॉफिट भारतीय उद्यम है जो गरीब दलित परिवारों की महिलाओं को रोजगार देता है. इस उद्यम में महिला कर्मचारी फूलों को रिसायकल करके धूप, और स्टायरोफोम के इको-फ्रेंडली विकल्प आदि बना रहे हैं. यह संगठन उत्तर प्रदेश के आसपास के मंदिरों से प्रतिदिन पांच टन से ज्यादा फूलों को इकट्ठा करता है. इससे नदियां भी दुषित नहीं होतीं और बहुत से लोगों को रोजगार मिल रहा है.
दिल्ली की रहने वाली पूनम सहरावत का स्टार्टअप, आरुही, 15 मंदिरों से हर महीने 1,000 किलोग्राम से ज्यादा फूलों के कचरे की प्रोसेसिंग करता है. सहरावत के उद्यम ने 3,000 से ज्यादा महिलाओं को पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद बनाने, के लिए प्रशिक्षित किया है और अब वे सभी आत्मनिर्भर होकर काम कर रही हैं.