Studio Kilab: वेस्ट पेपर का इस्तेमाल करके बना दिया ब्लुटूथ स्पीकर, नेचुरल तरीकों से बैग, फर्नीचर और होम डेकॉर बनाकर खड़ा किया कारोबार

Startup Story: रीसायकल प्रक्रिया में विलो विकर, पाइन, अखरोट, पेपर माचे और अन्य सामग्रियों का मुख्य रूप से डिजाइन में उपयोग किया जाता है. बुरहान के स्टूडियो किलाब की वजह से अब श्रीनगर और आसपास के क्षेत्र के 100 से अधिक कारीगरों के पास अब नौकरी और सहायता का स्रोत है.

Studio Kilab
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2023,
  • अपडेटेड 5:31 PM IST
  • वेस्ट पेपर का इस्तेमाल करके बना दिया ब्लुटूथ स्पीकर
  • कई सौ लोगों को दे रहे रोजगार 

रीसायकल! कश्मीर के बुरहान उद दीन खतीब यही करना चाहते हैं. लेकिन क्यों? बुरहान उद दीन खतीब ने ग्रेजुएशन होने के बाद कश्मीर की पारंपरिक कला को पर्यावरण के अनुकूल और भविष्य के हिसाब से बनाने के लिए स्टूडियो कलिब की स्थापना की इसमें बुरहान वेस्ट पेपर का इस्तेमाल करके ब्लुटूथ स्पीकर, नेचुरल तरीकों से बैग, फर्नीचर और होम डेकोर जैसी चीजें बनाते हैं. आज उनका ये कारोबार काफी बड़ा हो गया है. 

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन से की पढ़ाई पूरी 

बुरहान उद दीन खतीब ने अपने सहपाठियों से अलग हटकर अपने फील्ड चुना. उन्होंने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन से पढ़ाई पूरी करने के बाद एक बड़े फर्म में काम करना नहीं चुना, बल्कि अपना एक अलग फील्ड बनाया. 30 साल के कश्मीरी बुरहान ने अपने  कारीगरों को आगे बढ़ाने की सोची. उन्होंने देखा कि कैसे उनके क्षेत्र में शिल्प कौशल की स्थिति काफी खराब हो गई है. वह सस्टेनेबिलिटी और रीसायकल को सपोर्ट करके कुछ बनाना चाहते थे. 

वापस लौट गए बुरहान 

यही सब देखते हुए बुरहान कश्मीर वापस लौट आे और श्रीनगर में एक कश्मीर इनोवेशन लैब, स्टूडियो किलाब की स्थापना की. ये एक डिजाइन स्टूडियो है जिसका उद्देश्य टिकाऊ और बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों के उपयोग के माध्यम से घाटी के गायब हो रहे शिल्प उद्योग को फिर से खड़ा करना था. यहां बैग, घर की सजावट, फर्नीचर, पोल्ट्री कॉप्स और घर की उपयोगिता जैसी चीजें बनती हैं. 

हालांकि, बुरहान ने इसे टिकाऊ बनाए रखते हुए पारंपरिक कश्मीरी शिल्प कौशल को आधुनिक डिजाइन के साथ जोड़ने का एक तरीका खोज लिया है. अपने उत्पादों को हरा-भरा बनाने और कार्बन इफेक्ट को कम करने के लिए, वे लकड़ी, पेपर माचे और विलो विकर जैसी सामग्रियों का उपयोग करते हैं.

सफर में मिले लोग 

हालांकि, इस सफर में बुरहान को कुछ लोग भी मिले. यहीं पर उनकी मुलाकात इंडोनेशियाई डिजाइनर सिंगिह कार्तोनो से हुई. सिंगिह कार्तोनो ने सबसे बड़े कॉलेजों में से एक से पढ़ाई की है, लेकिन वह यह देखने के लिए अपने गांव लौट आए कि वह स्थानीय सामग्री और स्किल का उपयोग करके सामान कैसे बना सकते हैं. इसके अलावा, बुरहान ने यह भी सोचा कि इस क्षेत्र में प्रदान करने के लिए सामग्री का खजाना है. लेकिन उनका उपयोग नहीं हो रहा है. बस तभी स्टूडियो किलाब खोलने की सोची.

बाद में, इस बात की बेहतर समझने के लिए बुरहान कार्तोनो की यात्रा की कि कैसे आजीविका का समर्थन करने के लिए डिजाइन का उपयोग किया जा सकता है और टिकाऊ डिजाइन को अधिक व्यावहारिक बनाया जा सकता है.

ऐसे में बुरहान ने सोचा कि सरकार शिल्प उद्योग का समर्थन करने के लिए क्या कर रही है और क्या स्थानीय स्तर पर इसी तरह की पहल करने वाले कोई अन्य व्यवसाय हैं. तब उन्होंने पाया कि इनमें से अधिकांश संगठन केवल कुछ कार्यों को पूरा करने के लिए ही काम कर रहे हैं. इसे लेकर किसी के पास भी कोई लंबी अवधि की योजना नहीं है.

कई सौ लोगों को दे रहे रोजगार 

रीसायकल प्रक्रिया में विलो विकर, पाइन, अखरोट, पेपर माचे और अन्य सामग्रियों का मुख्य रूप से डिजाइन में उपयोग किया जाता है. पेपर मैश आस-पास के प्रिंटिंग प्रेस, कार्यालयों और संगठनों के स्क्रैप पेपर से बनाया जाता है. गंदरबल में विलो सींक का उत्पादन होता है, जो सींक के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. स्टूडियो किलाब वन विभाग के साथ मिलकर काम करते हैं क्योंकि ऐसा करने के लिए उनके पास विशेष रूप से पुराने पेड़ों से लकड़ी मिल जाती है. बुरहान के स्टूडियो किलाब की वजह से अब श्रीनगर और आसपास के क्षेत्र के 100 से अधिक कारीगरों के पास अब नौकरी और सहायता का स्रोत है.


 

Read more!

RECOMMENDED